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भारतीय कफ सिरप को लेकर सुरक्षा चिंताएँ

16.05.2025

 

भारतीय कफ सिरप को लेकर सुरक्षा चिंताएँ

 

प्रसंग:
 हाल ही में कुछ भारतीय बच्चों के लिए बनाए गए कफ सिरप में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम सामने आए हैं। यह मामला न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का कारण बना है, विशेष रूप से तब जब ये सिरप अन्य देशों को भी निर्यात किए जाते हैं।

मुद्दे का सार:

  • फिक्स्ड डोज़ कॉम्बिनेशन (FDCs):
     इन सिरपों में दो या अधिक सक्रिय दवाओं का स्थिर अनुपात होता है, जिन्हें अक्सर छोटे बच्चों पर संयुक्त रूप से जांचे बिना ही दिया जाता है।
  • लक्षित समूह:
     ये सिरप विशेष रूप से 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दिए जाते हैं, जो प्रतिकूल दवा प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

हानिकारक तत्व:

  • क्लोरफेनिरामिन मालेएट (एंटीहिस्टामीन)
  • फिनाइलएफ्रिन (डीकंजेस्टेंट)
     ये तत्व श्वसन संकट, उनींदापन, अनियमित हृदय गति और कभी-कभी अचानक मृत्यु का कारण बन सकते हैं, विशेष रूप से नवजात और शिशुओं में।
     
  • अनियंत्रित बिक्री:
     ये सिरप बिना पर्ची के आसानी से मिल जाते हैं, जिनमें से कई दवा दुकानों में प्रशिक्षित कर्मी नहीं होते, जो 1940 के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का उल्लंघन है।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:
     ये सिरप भारत से निर्यात किए जाने वाले दवाओं का हिस्सा हैं। अतीत में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान जैसी जगहों पर भारतीय सिरप से बच्चों की मौतें जुड़ी थीं, जिससे भारत की फार्मा छवि पर असर पड़ा है।
  • हालिया सरकारी कार्रवाई:
     15 अप्रैल 2025 को भारत सरकार ने इन हानिकारक FDC सिरपों के निर्माण पर रोक लगाई।
     हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले से बने स्टॉक की बिक्री की अनुमति दे दी, जिससे प्रवर्तन और सुरक्षा पर सवाल उठे हैं।

आगे का रास्ता:

  • अभिभावकों की सतर्कता:
     लेबल पढ़ें, सामग्री की जांच करें।
     हानिकारक FDC से बचें, सुरक्षित विकल्प चुनें जैसे:
     
    • सिट्रीज़ीन (एलर्जी से जुड़ी खांसी के लिए)
    • फेक्सोफेनेडाइन (नॉन-सेडेटिंग एंटीहिस्टामीन)
       
  • जनजागरूकता:
     काउंटर सिरप के जोखिमों पर राष्ट्रीय अभियान चलाएं।
     घरेलू उपायों जैसे गरम पानी, शहद आदि के सुरक्षित विकल्पों का प्रचार करें।
  • नियामक सुधार:
     कानूनी खामियों को बंद करें।
     हानिकारक संयोजन पर सख्त प्रतिबंध लागू करें।
     फार्मेसी स्टाफ का उचित प्रशिक्षण सुनिश्चित करें।
  • ढाँचा और जनशक्ति:
     अधिक योग्य दवा निरीक्षकों की नियुक्ति हो।
     मौजूदा स्टाफ को दवा सुरक्षा पर प्रशिक्षित किया जाए।
  • सुरक्षित विकल्पों को बढ़ावा:
     वैज्ञानिक प्रमाणित घरेलू उपाय अपनाने की सलाह दें।
     बिना डॉक्टर परामर्श के बच्चों को कोई दवा न दें।
     

निष्कर्ष:
 भारत में असुरक्षित बाल चिकित्सा कफ सिरप की समस्या, फार्मा नियमन की बड़ी खामियों को उजागर करती है। सरकार की हालिया कार्रवाई सकारात्मक संकेत है, लेकिन संरचनात्मक और जागरूकता आधारित उपायों की ज़रूरत है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और भारत की वैश्विक फार्मा साख बनी रहे।

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