06.10.2025
- भारत-भूटान रेल संपर्क 2024 परियोजना
संदर्भ:
भारत और भूटान ने अपनी पहली रेल संपर्क पहल शुरू की है, जो द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार और क्षेत्रीय एकीकरण में एक मील का पत्थर साबित होगी। यह परियोजना भारत की " पड़ोसी पहले" नीति और वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच में सुधार, आपसी विश्वास और साझेदारी को मज़बूत करने के भूटान के लक्ष्य को दर्शाती है।
परियोजना के बारे में:
भारत-भूटान रेल संपर्क 2024 परियोजना दोनों देशों के बीच पहला रेल संपर्क स्थापित करती है। यह क्षेत्रीय संपर्क के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और भूटान की सतत आर्थिक वृद्धि की दिशा में उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्य विशेषताएँ:
- प्रकृति: भारत और भूटान को जोड़ने वाला पहला सीमापार रेल संपर्क।
- उद्देश्य: सामाजिक-आर्थिक संबंधों को गहरा करते हुए व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाना।
- लंबाई: लगभग 89 किमी, सीमा पार दो महत्वपूर्ण मार्गों को कवर करती है।
प्रस्तावित रेल गलियारे
- एक्ट ईस्ट नीति के तहत पूर्वोत्तर में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देता है ।
- बानरहाट (पश्चिम बंगाल) - समत्से (भूटान): यह सड़क दुआर्स क्षेत्र में समत्से को बानरहाट से जोड़ती है। यह भूटान की भारतीय व्यापार मार्गों तक पहुँच को बढ़ाती है और कृषि एवं वन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देती है।
सामरिक और आर्थिक महत्व
- भूटान के लिए:
- यह भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से भारत के विशाल रेल नेटवर्क और वैश्विक व्यापार मार्गों से संपर्क प्रदान करता है।
- इससे रसद लागत में कटौती होगी, व्यापार और पर्यटन की संभावनाओं में सुधार होगा।
- भारत के लिए:
- हिमालय में रणनीतिक उपस्थिति को सुदृढ़ करता है।
- भूटान के प्रमुख विकास साझेदार के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करता है।
- भारत के एक्ट ईस्ट और नेबरहुड फर्स्ट एजेंडे को आगे बढ़ाता है।
वित्तीय एवं विकास सहयोग
भारत भूटान का शीर्ष विकास साझेदार बना हुआ है।
- वित्तपोषण: भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-2029) के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वादा किया गया है, जिसमें कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- क्षमता निर्माण: रेलवे और संबद्ध परियोजनाओं के लिए तकनीकी और रसद सहायता।
पूरक कनेक्टिविटी पहल
- जगीगोपा अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल (असम): यह भूटान को कोलकाता और हल्दिया जैसे समुद्री बंदरगाहों तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।
- सड़क और हवाई संपर्क: भूटान-भारत मैत्री सहयोग के अंतर्गत चल रही परियोजनाएं सीमा पार गतिशीलता और व्यापार को बढ़ावा देती हैं।
जलविद्युत सहयोग:
जलविद्युत भारत-भूटान संबंधों का केंद्र बना हुआ है।
प्रमुख संयुक्त उद्यमों में शामिल हैं:
- चूखा (336 मेगावाट), 1988 से चालू।
- ताला (1,020 मेगावाट), 2006 में प्रक्षेपित।
- मंगदेछू (720 मेगावाट), का उद्घाटन 2019 में हुआ।
- कुरिचू और पुनात्सांगछू परियोजनाएँ नवीकरणीय ऊर्जा संबंधों को और मज़बूत बनाती हैं।
ये परियोजनाएँ भारत को स्वच्छ बिजली प्रदान करती हैं और भूटान की अर्थव्यवस्था को सहारा देती हैं।
भू-राजनीतिक और क्षेत्रीय महत्व
- यह हिमालयी क्षेत्र में भारत की सामरिक गहराई को मजबूत करता है और बाहरी प्रभाव का मुकाबला करता है।
- बिम्सटेक और बीबीआईएन ढांचे के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को एकीकृत करना, भूटान के कार्बन-तटस्थ लक्ष्यों का समर्थन करना।
निष्कर्ष:
भारत-भूटान रेल संपर्क 2024 परियोजना एक परिवर्तनकारी साझेदारी का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें बुनियादी ढाँचा, स्थिरता और कूटनीति का सम्मिश्रण है। यह साझा समृद्धि, क्षेत्रीय स्थिरता और दीर्घकालिक मित्रता का प्रतीक है, जो दक्षिण एशियाई एकीकरण और विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगी।