17.11.2023
प्रधान मंत्री-विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीएम-पीवीटीजी) विकास मिशन
प्रीलिम्स के लिए: पीएम-पीवीटीजी विकास मिशन, महत्वपूर्ण बिंदु, पीएम-पीवीटीजी विकास मिशन के तहत सुविधाएं प्रदान की जाएंगी
मुख्य पेपर के लिए: विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के संबंध में, पीवीटीजी की
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खबरों में क्यों :
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के खूंटी में जनजातीय गौरव दिवस, 2023 के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।
- कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने अपनी तरह की पहली पहल – ‘प्रधानमंत्री विशेष कमजोर जनजातीय समूह (पीएम पीवीटीजी) विकास मिशन’ का भी शुभारंभ किया।
महत्वपूर्ण बिन्दु:
- प्रधानमंत्री द्वारा बिरसा मुंडा की जयंती(जिसे जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है) पर आदिवासियों को सशक्त बनाने के लिए पीएम-पीवीटीजी विकास मिशन की शुरुआत की गई।
- वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में प्रधानमंत्री द्वारा पीवीटीजी विकास मिशन शुरू करने की घोषणा की थी।
पीएम-पीवीटीजी विकास मिशन के बारे में:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास के लिए 24,000 करोड़ रुपये की सरकारी योजना का अनावरण किया गया।
- इस परियोजना का उद्देश्य पीवीटीजी का विकास करना है।
- इसे दूरदराज के गांवों में रहने वाले पीवीटीजी समुदायों के लिए बिजली, पानी, सड़क कनेक्टिविटी, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे लाने के लिए डिजाइन किया गया है।
- योजना के तहत, पीएम-ग्राम सड़क योजना , पीएम-ग्राम आवास योजना, जल जीवन मिशन और अन्य जैसे लगभग 11 योजनाओं को नौ मंत्रालयों के सहयोग से लागू किया जाएगा।
- इसके अलावा, प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना, सिकल सेल रोग उन्मूलन , टीबी उन्मूलन ,100 प्रतिशत टीकाकरण, पीएम सुरक्षित मातृत्व योजना, पीएम मातृ वंदना योजना, पीएम पोषण और पीएम जन धन योजना जैसी योजनाओं के लिए संतृप्ति सुनिश्चित की जाएगी।
पीएम-पीवीटीजी विकास मिशन के तहत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी :
- PVTG क्षेत्र में सड़क और टेलीफोन कनेक्टिविटी,
- पावर,
- सुरक्षित घर,
- पीने का साफ पानी,
- सफाई,
- शिक्षा,
- स्वास्थ्य,
- पोषण तक बेहतर पहुंच
- रहन-सहन के मौके आदि।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के बारे में :
- भारत में जनजातीय समूहों में पीवीटीजी एक अधिक असुरक्षित समूह है।
- इन समूहों में आदिम लक्षण , भौगोलिक अलगाव , कम साक्षरता , शून्य से नकारात्मक जनसंख्या वृद्धि दर और पिछड़ापन है।
- इसके अलावा, वे भोजन के लिए शिकार और कृषि-पूर्व स्तर की प्रौद्योगिकी पर काफी हद तक निर्भर हैं।
- पीवीटीजी उपभोग के साथ-साथ बिक्री के लिए शहद, गोंद, बांस और मोम जैसे गैर-लकड़ी वन उत्पाद (एनटीएफपी) भी एकत्र करते हैं।
- अपने खान-पान के कारण ये जनजातियाँ अक्सर एनीमिया, मलेरिया, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार और त्वचा संक्रमण जैसी बीमारियों से पीड़ित रहती हैं।
- 1973 में, ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (पीटीजी) के लिए एक अलग श्रेणी की स्थापना की ।
- 1975 में, केंद्र सरकार द्वारा 52 आदिवासी समूहों को पीटीजी के रूप में दर्ज किया गया। जिसके बाद 1993 में इस सूची में 23 और समूह जोड़े गए।
- बाद में, 2006 में, इन समूहों को PVTGs का नाम दिया गया।
PVTGs की संख्या :
- वर्तमान में , भारत में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 220 जिलों के 22,544 गांवों में 75 जनजातियों से संबंधित 2.8 मिलियन( 28 लाख )पीवीटीजी हैं ।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, ओडिशा में पीवीटीजी की सबसे बड़ी आबादी 866,000 है।
- इसके बाद 609,000 के साथ मध्य प्रदेश और 539,000 के साथ आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित) का स्थान है।
- सबसे बड़ा पीवीटीजी ओडिशा का सौरा समुदाय है , जिसकी संख्या 535,000 है।
PVTGs का निर्धारण:
इसके निर्धारण के लिए निम्नलिखित मानदंड हैं।
- प्रारंभिक-कृषि स्तरीय प्रौद्योगिकी।
- स्थिर या घटती आबादी।
- अत्यधिक निम्न साक्षरता।
- निर्वाह स्तरीय अर्थव्यवस्था।