09.01.2024
भारत में बाल विवाह
प्रारंभिक परीक्षा के लिए: बाल विवाह, मुख्य बिंदु, प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?, नीतिगत हस्तक्षेप क्या रहे हैं?
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खबरों में क्यों ?
भारत में बाल विवाह पर लांसेट में प्रकाशित हालिया अध्ययन के अनुसार, देश भर में बाल विवाह में कुल मिलाकर कमी आई है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट में बताया गया है कि चार राज्यों, मुख्य रूप से बिहार (16.7%), पश्चिम बंगाल (15.2%), उत्तर प्रदेश (12.5%), और महाराष्ट्र (8.2%) में लड़कियों के बाल विवाह का आधे से अधिक हिस्सा है।
- लड़कों के लिए, गुजरात (29%), बिहार (16·5%), पश्चिम बंगाल (12.9%), और उत्तर प्रदेश (8.2%) का 60 प्रतिशत से अधिक है।
बाल विवाह
- बाल विवाह, विशेष रूप से भारत में कुछ समाजों में पाई जाने वाली प्रथा है, जिसमें आम तौर पर दो अलग-अलग रूप शामिल होते हैं।
- पहला रूप वह है जहां एक छोटे बच्चे, अक्सर अठारह वर्ष से कम उम्र की लड़की, की शादी एक वयस्क व्यक्ति से कर दी जाती है।
○यह रूप अपने निष्पादन में अधिक प्रत्यक्ष और तत्काल है।
- दूसरा रूप भविष्य की व्यवस्था से अधिक है: एक युवा लड़की और लड़के के माता-पिता अपने बच्चों की शादी एक-दूसरे से करने के लिए सहमत होते हैं जब वे दोनों अधिक उपयुक्त उम्र तक पहुंच जाते हैं।
○ इस रूप में, लड़का और लड़की आमतौर पर अपने विवाह समारोह के समय तक नहीं मिलते हैं।
- सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों में गहराई से निहित यह प्रथा अक्सर इसमें शामिल बच्चों के अधिकारों और कल्याण के संबंध में महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा करती है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- 'भारत में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लड़की और लड़के के बाल विवाह की व्यापकता, 1993-2021: एक दोहराया क्रॉससेक्शनल अध्ययन' शीर्षक वाला पेपर दर्शाता है कि भारत में अभी भी पांच में से एक लड़की की शादी कानूनी उम्र से कम होती है।
- कुल संख्या में सबसे बड़ी पूर्ण वृद्धि पश्चिम बंगाल राज्य में देखी गई, यानी कुल संख्या में 32.3% की वृद्धि हुई।
- बाल विवाह, विशेषकर बालिका विवाह, दशकों से पश्चिम बंगाल में नीति निर्माताओं के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है।
- 2019-20 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल राज्य में 2024 वर्ष की आयु की महिलाएं जिनकी शादी 18 वर्ष से पहले हुई थी, 41.6% के साथ देश में सबसे अधिक में से एक है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के दौरान भी प्रतिशत यही था।
- 2024 वर्ष की आयु की महिलाओं की 18 वर्ष की आयु से पहले शादी करने का अखिल भारतीय आंकड़ा 23.3% है।
नीतिगत हस्तक्षेप क्या रहे हैं?
- पश्चिम बंगाल सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए हैं।
- अक्टूबर 2013 में शुरू की गई कन्याश्री प्रकल्प एक सशर्त नकद हस्तांतरण योजना है और इसका उद्देश्य 13 से 18 वर्ष की आयु की सभी किशोर लड़कियों की स्कूली शिक्षा को प्रोत्साहित करना और साथ ही बाल विवाह को हतोत्साहित करना है।
- इस योजना ने लगभग 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं और इसे संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार 2017 के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।
- वर्ष 2023-24 के पश्चिम बंगाल बजट में कहा गया है कि इस योजना में लगभग 81 लाख लड़कियों को शामिल किया गया है।
- कन्याश्री के साथ-साथ राज्य सरकार के पास 'रूपश्री प्रकल्प' के नाम से लड़कियों की शादी के लिए नकद प्रोत्साहन योजना भी है।
स्रोत: द हिंदू