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गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य

29.04.2024

 

गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए: प्रोजेक्ट चीता, महत्वपूर्ण बिन्दु, गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में,

 

खबरों में क्यों ?                                                                                                                                                                                                                       

             हाल ही के खबरों के अनुसार मध्यप्रदेश के गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य को दक्षिण अफ्रीका से 5-8 चीते मिलेंगे।

 

महत्वपूर्ण बिन्दु :

  • अधिकारियों के अनुसार, जानवरों के प्रजनन और अनुकूल मौसम पर ध्यान केंद्रित करते हुए संभवतः साल की दूसरी छमाही में मध्य प्रदेश के गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में पांच से आठ चीतों को एक बाड़ वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
  • चीतों को लाने के लिए गांधीसागर में तैयारियों और कूनो राष्ट्रीय उद्यान में परियोजना की प्रगति की समीक्षा करने के लिए एक दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा।
  • यह प्रोजेक्ट चीता की योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अभयारण्य में चीतों को फिर से लाना है। ध्यान प्रजनन और अनुकूल मौसम स्थितियों पर है।
  • प्रजनन पर ध्यान केंद्रित करते हुए पांच से आठ चीतों को गांधीसागर के एक बाड़े वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।

 

प्रोजेक्ट चीता :

  • प्रोजेक्ट चीता का लक्ष्य स्वतंत्र भारत में विलुप्त हो चुकी एकमात्र बड़ी मांसाहारी प्रजाति को फिर से जीवित करना है।
  • आठ चीतों का पहला बैच सितंबर 2022 में भारत में लाया गया था, और 12 चीतों का दूसरा बैच फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था।
  • वर्तमान कार्य योजना, भारत में चीतों की शुरूआत के लिए पहले की कार्य योजना की व्यापक रूपरेखा का अनुसरण करते हुए, गांधीसागर की साइट-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त कुनो से सीखे गए अनुभवों के आधार पर संशोधित और तैयार की गई है।

 

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में :

  • गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश में मंदसौर और नीमच जिलों की उत्तरी सीमा पर स्थित है।
  • इसकी सीमा राजस्थान राज्य से लगती है।
  • मध्य प्रदेश-राजस्थान सीमा पर स्थित, पश्चिमी एमपी के मंदसौर और नीमच जिलों में गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य भारत में अफ्रीकी चीतों का दूसरा घर बनने के लिए तैयार है।
  • अभयारण्य के अधिकांश भाग में विरल वनस्पति और चट्टानी इलाके के साथ विशाल खुले परिदृश्य हैं, जो घने जंगलों के छोटे टुकड़ों से घिरे हुए हैं।
  • चंबल नदी इस अभयारण्य से होकर बहती है, जो इसे दो भागों में विभाजित करती है।
  • इस अभयारण्य का जंगल खतियार-गिर शुष्क पर्णपाती जंगल का हिस्सा है।
  • इस अभयारण्य मे हमें सलाई, करधई, धावड़ा, तेंदू, पलाश आदि जैसे पेड़ मिलेंगे।
  • यह अभयारण्य विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों का घर है। जिसमे प्रमुख रूप से चिंकारा (भारतीय चिकारा), नीलगाय और सांभर शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्त, भारतीय तेंदुआ, लंगूर, भारतीय जंगली कुत्ता, मोर, ऊदबिलाव और मगर मगरमच्छ इस क्षेत्र में पाए जाते हैं।
  • विश्व प्रसिद्ध चतुर्भुज नाला शैलाश्रय भी उसी गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा हैं।
  • मध्य प्रदेश में कुनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों के पुनरुत्पादन के लिए पहले घर के रूप में चुना गया है।

 

                                                                  स्रोत: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस