युक्रेन-रूस विवाद में भारत की भूमिका

 

युक्रेन-रूस विवाद में भारत की भूमिका

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2

(अंतरराष्ट्रीय संबंध)

संदर्भ:

  • युक्रेन-रूस विवाद वैश्विक राजनीतिक स्तर पर एक गंभीर मुद्दा है जिसमें दोनों देशों के बीच रक्षा, आर्थिक और सामर्थ्य संबंधों में तनाव है। युक्रेन और रूस के इस विवाद में भारत को अपनी विदेश नीति और अर्थव्यवस्था के संबंध में एक विशेष भूमिका हासिल होती है।
  • युक्रेन-रूस विवाद में भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस विवाद के पीछे कई गहरे इतिहासिक, राजनीतिक और सैन्य कारण हैं, जिसका सीधा असर विश्व की न्यूक्लियर शक्तियों और संतुलन पर पड़ता है।

विवाद का पृष्ठभूमि:

  • युक्रेन और रूस दोनों देश पूर्वी यूरोप के हिस्से में स्थित हैं। 1991 में सोवियत संघ के ढांचे से युक्रेन आजाद हुआ था, जिससे रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की बड़ी संख्या वहां रही जिसके कारण युक्रेन और रूस के बीच नागरिकता और भूमिका पर विवाद उत्पन्न हुआ।

भारत की भूमिका:

  • भारत एक विकासशील देश है जो आंतरिक और विदेशी नीतियों में गहरी रुचि रखता है। भारत ने विकसित राष्ट्रों से अपने संबंध बढ़ाने के लिए नौत्रंगीकरण के सभी आयामों का समर्थन किया है। रूस व युक्रेन जैसे राष्ट्रों से भी भारत के संबंध दोनों देशों के बीच समृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए युक्रेन-रूस विवाद के दौरान भारत को न्यायसंगत और संवेदनशील रणनीति अपनानी चाहिए जो दोनों पक्षों के साथ संवाद स्थापित करने में सहायता करे।
  • भारत एक महत्वपूर्ण विश्व राजनीतिक खिलाड़ी है, जिसकी संख्या विश्व में सबसे ज्यादा लोगों को जनसंख्या में दूसरी स्थान पर रखती है। भारत ने अपनी नीतियों में स्वतंत्रता, सुविधा, और नौसैनिकता का प्रमाण दिया है जिसके चलते वह किसी भी देश के साथ दोस्ताना संबंध बना सकता है।
  • युक्रेन-रूस विवाद में भारत की भूमिका नेतृत्व, विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों के संरक्षण में महत्वपूर्ण है। भारत की पॉलिसी निरंतरता, शांतिपूर्वक दिप्लोमेसी, और विश्व में न्यायपूर्वक साथी भूमिका के चलते यह इस विवाद को समाधान करने के लिए सकारात्मक योगदान कर सकता है।
  • भारत द्वारा विवाद के समाधान में योजना, न्यायसंगत और व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ विचारशीलता बना कर रखना महत्वपूर्ण है। भारत को उस समय पर संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए जब वह सभी तरह के संघर्षों को दूर करने और समाधान करने की कोशिश कर रहा है। भारत के समर्थन से युक्रेन और रूस के बीच बातचीत और अल्पकालिक समझौते के लिए मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

भारत का अनुबंधिकरण का मुद्दा:

  • युक्रेन-रूस विवाद में भारत का अनुबंधिकरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। भारत रूस के एक प्रमुख रक्षा साथी है और इसके साथ ही भारत युक्रेन के साथ व्यापारिक और रक्षा संबंधों को भी बढ़ाना चाहता है। भारत को इस मामले में संतुलित रखने के लिए सभी पक्षों के साथ सहयोग करके दूसरे राष्ट्रों के साथ नौसैन्य और व्यापारिक अनुबंधों को बनाए रखना आवश्यक है।

भारत की शांतिप्रिय नीति:

  • भारत की विदेश नीति में शांतिप्रियता एक प्रमुख स्तर पर है और यह भारत को विवाद के समय में भी एक उदार दृष्टिकोण बनाता है। भारत को दोनों देशों को अपने विवादों को शांतिपूर्वक समाधान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। भारत को युक्रेन और रूस दोनों के दोस्ताना रिश्तों के उद्धार में मध्यस्थता का काम करना चाहिए ताकि विवाद के समाधान में सहायता मिल सके।

भारत की अर्थव्यवस्था का प्रभाव:

  • युक्रेन-रूस विवाद के विश्वस्तरीय परिणाम भारत की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ते हैं। भारत को विश्व के दूसरे राष्ट्रों के साथ अर्थव्यवस्था और व्यापारिक संबंधों में नजदीक रहना चाहिए जिससे विवाद के समय भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित न हो।

भारत-रूस संबंध

  • प्राचीन भारत और रूस के बीच दोस्ताना संबंध बहुत समय से हैं। इस संबंध के विकास में विभिन्न कारणों ने अपना योगदान दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच गहरी संस्कृति और धार्मिक जीवन का सम्बन्ध देखा जा सकता है।
  • सांस्कृतिक अभिव्यक्ति: भारत और रूस दोनों देशों की संस्कृति बहुत गहरी और विशेष है। दोनों देशों की कला, संगीत, नृत्य और साहित्य में विशेष सम्बन्ध है। उदाहरण के लिए, भारत में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए रूस के विद्वान और पंडित भारत गए थे और रूस में भी भारतीय कला की चर्चा की जाती थी।
  • ऐतिहासिक संबंध: दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंध भी बहुत पुराने हैं। भारत में बुद्ध धर्म की संप्रदाय से रूस के बौद्ध धर्म के बीच संबंध होते थे। इसके अलावा, मगध साम्राज्य के अधीन भारतीय विद्वान रूस के विद्वानों के साथ बातचीत करने के लिए रूस के शासक भारत भेजते थे।
  • शिक्षा का आदान-प्रदान: भारत और रूस के बीच शिक्षा के क्षेत्र में भी संबंध बना रहा है। रूस में भारतीय भाषाएँ और साहित्य के अध्ययन के लिए भारतीय विद्वानों के भ्रमण होते हैं और विशेष रूप से रूस में संस्कृत और हिंदी के पाठयक्रम शामिल होते हैं।
  • राजनयिक संबंध: भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंध भी मजबूत हैं। दोनों देशों के बीच सरकारी संबंध, विदेशी नीति, आर्थिक सहयोग, व्यापार और वैज्ञानिक अनुसंधान में सहायक संबंध हैं।
  • विवादों की परंपरा के अभाव: भारत और रूस के बीच कभी भी कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है। ये दोनों देश एक-दूसरे के साथ खुले-दिल से बातचीत करते हैं और समस्याओं का समाधान निकालने के लिए मिलकर काम करते हैं।
  • समाप्ति के रूप में, भारत और रूस के बीच दोस्ताना संबंध न सिर्फ कला, संस्कृति और ऐतिहासिक संबंधों में विशेष है, बल्कि इन दोनों देशों के बीच साझा मूल्यों, समर्थन और समझौते के कारण भी मजबूत संबंध हैं। आने वाले समय में भी यह संबंध और विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा।

निष्कर्ष:

  • भारत को युक्रेन-रूस विवाद में शांतिपूर्वक समाधान को प्रोत्साहित करने और दोनों देशों के साथ नौसैन्य और व्यापारिक अनुबंधों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी नौत्रंगीकरण नीति पर ध्यान देना चाहिए। भारत को युक्रेन और रूस के साथ विकास संबंधों को स्थायी बनाए रखने के लिए विदेश नीति में विश्वासनीयता और समर्थन के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। भारत को शांतिप्रियता के साथ संवाद और सहयोग के माध्यम से विवाद के समाधान को समर्थन करना चाहिए। इससे भारत विश्व में एक भरोसेमंद दिग्गज राष्ट्र के रूप में उभर सकता है जो विवाद के समय भी अपने आत्मनिर्भर और विकासशील रास्ते पर चल सकता है।
  • भारत को युक्रेन-रूस विवाद में भूमिका निभाने के लिए एक मजबूत, सुसंगठित और दृढ़ संघर्ष की आवश्यकता होती है। भारत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करने का सामर्थ्य होना चाहिए, जिससे वह विश्वव्यापी शांति और सुरक्षा के लिए एक अहम भूमिका निभा सके। भारत के द्वारा समझौते के पक्ष में प्रयास करने से युक्रेन-रूस विवाद को संभवत: न्यायसंगत और शांतिपूर्वक समाधान मिल सकता है।

 

                                         -----------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न

युक्रेन-रूस विवाद में भारत की भूमिका रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकती है। विवेचना कीजिए।