विश्व महासागर दिवस

विश्व महासागर दिवस

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3

( पर्यावरण सरंक्षण )

8 जून,2023

भूमिका:

  • महासागर हमारी पृथ्वी पर न सिर्फ जीवन के प्रतीक हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन में भी प्रमुख भूमिका अदा करते हैं। पृथ्वी पर जीवन का आरंभ महासागरों से माना जाता है, जिनमें असीम जैव विविधता का भंडार समाया है।
  • हर साल विश्व महासागर दिवस के अवसर पर दुनियाभर में महासागर से जुड़े विषयों पर विभिन्न आयोजन किए जाते हैं, जो महासागर के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के प्रति जागरूकता पैदा करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

विश्व महासागर दिवस ( World Ocean Day):

  • हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस ( World Ocean Day) मनाया जाता है। 8 जून 2009 को पहला विश्व महासागर दिवस मनाया गया था।
  • विश्व महासागर दिवस 2023 की थीम : “प्लैनेट ओशन: द टाइड्स आर चेंजिंग” यानी “महासागर ग्रह: लहरें बदल रही हैं।”
  • पृष्ठभूमि: साल 2009 से विश्व महासागर दिवस मनाने की शुरुआत हुई, जिसकी नींव साल 1992 में हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन में रखी गई थी। ओशंस इंस्टिट्यूट ऑफ कनाडा और कनाडा के इंटरनेशनल सेंटर फॉर डेवलपमेंट ने इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव रखा गया था।

उद्देश्य:

  • जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा, पारिस्थितिकी संतुलन, जलवायु परिवर्तन, सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग इत्यादि विषयों पर प्रकाश डालना।
  • महासागरों की वजह से आने वाली चुनौतियों के बारे में दुनिया में जागरूकता पैदा करना।
  • महासागरों के महत्व और समुद्री संसाधनों के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना। 
  • महासागरों को बचाने और उन तरीकों को इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाना था, जिनसे महासागर के संसाधनों की कम से कम क्षति हो।

महासागर के बारे में:

  • पृथ्वी का लगभग सत्तर प्रतिशत भाग महासागरों से घिरा है। पृथ्वी पर उपलब्ध समस्त जल का लगभग 97 प्रतिशत जल महासागरों में समाया हुआ है। अपने आरंभिक काल से आज तक महासागर जीवन के विविध रूपों को संजोए हुए हैं।
  • महासागरों की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर पृथ्वी के सभी महासागरों को एक विशाल महासागर मान लिया जाए तो उसकी तुलना में पृथ्वी के सभी महाद्वीप एक छोटे द्वीप से प्रतीत होंगे।
  • पृथ्वी के विशाल क्षेत्र में फैले अथाह जल का भंडार होने के साथ ही महासागर अपने अंदर और आसपास अनेक छोटे-छोटे नाजुक पारितंत्रों को पनाह देते हैं, जिससे उन स्थानों पर विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पतियां पनपती हैं।
  • पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति महासागरों में ही हुई है। आज भी महासागर जीवन के लिए आवश्यक परिस्थितियों को बनाए रखने में सहायक हैं। महासागर पृथ्वी के एक तिहाई से अधिक क्षेत्र में फैले हैं। इसलिए महासागरीय पारितंत्र में थोड़ा-सा परिवर्तन पृथ्वी के समूचे तंत्र को अव्यवस्थित करने का सामर्थ्य रखता है।

प्रशांत महासागर:

  • गौरतलब है कि प्रशांत महासागर पृथ्वी पर सबसे बड़ा महासागर है। पृथ्वी की सतह का यह लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। इस महासागर की गहराई 35 हजार फुट और इसका आकार त्रिभुजाकार है। प्रशांत महासागर में लगभग 25 हजार द्वीप हैं।

अटलांटिक महासागर:

  • अटलांटिक महासागर क्षेत्रफल और विस्तार की दृष्टि से दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा महासागर है। इसके पास पृथ्वी का 21 प्रतिशत से अधिक भाग है। इस महासागर का आकार अंग्रेजी के अंक 8 की संख्या के जैसा है। इस महासागर की कुछ वनस्पतियां खुद से चमकती हैं, क्योंकि यहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती।

हिंद महासागर:

  • हिंद महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। यह धरती का लगभग चौदह प्रतिशत हिस्सा है। हिंद महासागर को रत्नसागर नाम से भी जाना जाता है। हिंद महासागर इकलौता ऐसा महासागर है, जिसका नाम किसी देश के नाम पर रखा गया है।

अंटार्कटिका महासागर:

  • अंटार्कटिका महासागरों में चौथा सबसे बड़ा महासागर है। इसको आस्ट्रल महासागर के नाम से भी जाना जाता है। इस महासागर में आइसबर्ग यानी पहाड़ की तरह दिखते बर्फ के विशालकाय टुकड़े तैरते हुए देखे जाते हैं। अंटार्कटिका की बर्फीली जमीन के अंदर 400 से भी अधिक झीलें हैं।

आर्कटिक महासागर:

  • आर्कटिक महासागर पांच महासागरों में सबसे छोटा और उथला महासागर है। इसे उत्तरी ध्रुवीय महासागर भी कहते हैं। सर्दियों में यह महासागर पूर्णत: समुद्री बर्फ से ढका रहता है।

महत्व:

  • महासागर केवल जल का स्त्रोत नहीं, बल्कि भोजन और पोषण का भी एक माध्यम हैं।
  • महासागरों से कई लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई हैं।
  • महासागर पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण होने के कारण महासागर अत्यंत उपयोगी हैं।
  • पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व यहां उपस्थित वायुमंडल और महासागरों जैसे कुछ विशेष कारकों के कारण ही संभव हो पाया है।
  • विश्व की कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत इन महासागरों के तटीय क्षेत्रों में निवास करता है तो ऐसी स्थिति में महासागर उनके लिए खाद्य पदार्थों का प्रमुख स्रोत होते हैं।
  • महासागर खाद्य पदार्थों का एक प्रमुख स्रोत होने के कारण हमारी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • पृथ्वी के विशाल क्षेत्र में फैले अथाह जल का भंडार होने के साथ ये समुद्र अपने अंदर और आसपास अनेक छोटे-छोटे नाजुक पारितंत्रों को पनाह देते हैं, जिससे उन स्थानों पर विभिन्न प्रकार के जीव और वनस्पतियां पनपती हैं।
  • इसी प्रकार तटीय क्षेत्रों में स्थित मैंग्रोव जैसी वनस्पतियों से संपन्न वन समुद्र के अनेक जीवों के लिए नर्सरी का काम करते हुए विभिन्न जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं।
  • महासागरों में पृथ्वी का सबसे विशालकाय जीव ह्वेल से लेकर सूक्ष्म जीव भी मिलते हैं। एक अनुमान के अनुसार केवल महासागर के अंदर करीब दस लाख जलीय जीवों की प्रजातियां उपस्थित हो सकती हैं।
  • हम सांस लेने के लिए जिस आक्सीजन का प्रयोग करते हैं, उसकी दस फीसद मात्रा हमें समुद्र से ही प्राप्त होती है। समुद्र में मौजूद सूक्ष्म बैक्टीरिया या जीवाणु आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं जो पृथ्वी पर मौजूद जीवन के लिए बेहद जरूरी है।

महासागरों से संबंधित चिंताएं:

  • वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के प्रभाव से महासागरों के तटीय क्षेत्रों में दिनों-दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
  • जहां तटीय क्षेत्र, विशेष कर नदियों के मुहानों पर सूर्य के प्रकाश की पर्याप्त उपलब्धता के कारण अधिक जैव-विविधता वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाने जाते थे, वहीं अब इन क्षेत्रों के समुद्री जल में भारी मात्रा में प्रदूषणकारी तत्वों के मिलने से वहां जीवन संकट में हैं।
  • तेलवाहक जहाजों से तेल के रिसाव के कारण और समुद्री जल के मटमैला होने पर उसमें सूर्य का प्रकाश गहराई तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे वहां जीवन को पनपने में परेशानी होती है और उन स्थानों पर जैव-विविधता भी प्रभावित हो रही है।
  • हाल के वर्षों में महासागरों में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बनता जा रहा है। अरबों टन प्लास्टिक का कचरा हर साल महासागरों में समा जाता है। आसानी से विघटित नहीं होने के कारण यह कचरा महासागरों में जस का तस पड़ा रहता है। अकेले हिंद महासागर में भारतीय उपमहाद्वीप से पहुंचने वाली भारी धातुओं और लवणीय प्रदूषण की मात्रा प्रतिवर्ष करोड़ों टन है।
  • विषैले रसायनों के रोजाना मिलने से समुद्री वनस्पति की वृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ने के साथ समद्री जैव विविधता भी प्रभावित होती है।
  • समुद्र में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण की वजह से ये बैक्टीरिया पनप नहीं पा रहे हैं, जिसके कारण समुद्र में आक्सीजन की मात्रा भी लगातार घट रही है। पहले ही जलवायु परिवर्तन या अन्य वजहों से समुद्रों की प्रकृति में अक्सर तेज बदलाव होता देखा जा रहा है जो कभी व्यापक विनाश का कारण बन सकता है। अगर हम समय रहते नहीं चेते तो यह पशु-पक्षियों के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।

निष्कर्ष:

  • हमारे जीवन में पृथ्वी और महासागरों का बहुत अहम स्थान है। आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से महासागरों से पेट्रोलियम सहित अनेक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों को निकाला जा रहा है। ये महासागर हर तरह से मानव सभ्यता के लिए अति उपयोगी एवं महत्वपूर्ण हैं। फिर भी हम इसके संरक्षण पर कोई भी खास ध्यान नहीं दे रहे हैं। संरक्षण के बजाय हम इसे दूषित करने में लगे हुए हैं।
  • महासागरों के संरक्षण एवं बचाव हेतु जलवायु परिवर्तन सहित अनेक मौसमी घटनाओं को समझने के लिए समुद्रों का अध्ययन किया जाना चाहिए।
  • पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले परितंत्रों में महासागर की उपयोगिता को देखते हुए यह आवश्यक है कि हम महासागरीय पारितंत्र के संतुलन को बनाए रखें। तभी हमारा भविष्य सुरक्षित रहेगा।

स्रोत-जनसत्ता

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

महासागरों से संबंधित चिंताओं के समाधान में विश्व महासागर दिवस आयोजन कहाँ तक उपयोगी साबित हुए हैं? विवेचना कीजिए।