विकसित देश बनने की चुनौतियां

 

विकसित देश बनने की चुनौतियां

GS-3: भारतीय अर्थव्यवस्था

(IAS/UPPCS)

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:

मानव विकास सूचकांक के मानक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी), आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति, वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी।

मेंस के लिए प्रासंगिक:

विकसित देश-प्रमुख विशेषताएं, भारत के विकसित राष्ट्र बनने की संभावनाएं-प्रमुख आधार, भारत की आर्थिक क्षमता, चुनौतियों के समाधान हेतु आगे की राह, निष्कर्ष।

27/04/2024

प्रसंग:

वर्तमान में पूरी दुनिया की निगाहें भारत के 2047 तक विकसित देश बनने के संकल्प पर टिकी हुई हैं। दरअसल, आने वाले तेईस वर्षों में भारत को विकसित देश बनाना एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है।

  • इस समय दुनिया में चालीस ही देश विकसित हैं, जिनमें प्रमुख रूप से औद्योगिक रूप से विकसित यूरोपीय देश हैं। भारत अभी विकासशील देश है। इसे विकसित देश बनाने के लिए लगातार आठ से नौ फीसद वार्षिक विकास दर प्राप्त करना जरूरी है।
  • देश की मौजूदा प्रति व्यक्ति आय, जो करीब 2600 डालर है, उसे करीब 12 हजार डालर तक पहुंचाने, मजबूत आर्थिक सुधारों, कृषि एवं श्रम सुधारों, अधिक पूंजीगत व्यय, अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, राजकोषीय आदर्श, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विकास के मूल्य, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अधिक गुणवत्तापूर्ण विकास तथा गरीबी और भ्रष्टाचार उन्मूलन की राह पर रणनीतिक रूप से तेजी से आगे बढ़ना प्रमुख चुनौतियां है।

विकसित देश

प्रमुख विशेषताएं:

  • अपेक्षाकृत ऊंची आर्थिक विकास दर,
  • बेहतर जीवन स्तर,
  • उच्च प्रति व्यक्ति आय, और
  • मानव विकास सूचकांक के मानकों पर अच्छा प्रस्तुतीकरण-शिक्षा, साक्षरता और स्वास्थ्य जैसी आधारभूत चीजें शामिल हैं।
  • इन सभी मानकों पर भारत अभी बहुत पीछे है और विकसित देश बनने का लक्ष्य पाना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है।

भारत के विकसित राष्ट्र बनने की संभावनाएं:

  • भारत दुनिया में वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच आर्थिक विकास की राह पर लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन आधारों की बुनियाद के साथ भारत 2047 तक विकसित देश बनने की संभावनाएं रखता है।

प्रमुख आधार:

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) का अनुमान:

  • वित्तवर्ष 2024-2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का वृद्धि दर अनुमान 6.7 फीसद से बढ़ाकर 7 फीसद (संशोधित अनुमान) कर दिया।
  • जीडीपी वृद्धि दर अनुमान, सार्वजनिक और निजी निवेश के बेहतर परिदृश्य और सेवा क्षेत्र की मजबूत स्थिति को देखते हुए बढ़ाया गया है।

 

बुनियादी ढांचे का विकास और निवेश में वृद्धि:

  • भारत में बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्र और राज्य सरकारों के पूंजीगत निवेश और निजी कंपनियों के निवेश बढ़ने, सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन तथा उपभोक्ता के आत्मविश्वास में सुधार की बदौलत वित्तवर्ष 2024-25 में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
  • प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजंसियों के मुताबिक़ विनिर्माण, निवेश और निर्यात हेतु भारत में स्थितियां उपयुक्त हैं।

निर्यात, विनिर्माण तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि:

  • वस्तुओं के निर्यात में सुधार और विनिर्माण तथा कृषि उत्पादन बढ़ने से वित्तवर्ष 2025-26 में भी वृद्धि दर बढ़ेगी।

दक्षिण-पश्चिमी मानसून का बेहतर प्रदर्शन:

आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति के मुताबिक़-

  • वर्ष 2024 में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के अच्छा रहने की उम्मीद है, जिससे कृषि गतिविधियों में तेजी आएगी।

मांग और खपत में वृद्धि:

  • शहरों और ग्रामीण बाजारों में मांग बढ़ने से निजी खपत में तेजी आने के संकेत हैं। मांग और खपत से उत्पादन बढ़ने से अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा।

एफडीआइ:

  • वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट के रुझान के बीच भारत दुनिया के सर्वाधिक एफडीआइ प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में शामिल है।

विदेशी मुद्रा भंडार:

  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से बढ़ा है। भारत ने एक उत्पादक राष्ट्र के रूप में आधार तैयार किया है।

मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए):

  • तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार के कारण भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) बढ़ रहे हैं। प्रवासी भारतीय लगातार अधिक विदेशी धन भेज रहे हैं।

तकनीकी विकास:

  • देश के वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष, कृत्रिम बुद्धिमता, सेमीकंडक्टर, ऊर्जा तथा नए तकनीकी विकास के कारण आर्थिक विकास को गति मिल रही है।

वैश्विक आपूर्तिकर्ता:

  • चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के मद्देनजर भारत नए वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरकर सामने आया है।

आगामी 5 वर्षों हेतु विजन:

  • प्रमुख सरकारी विभागों द्वारा भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आगामी 5 वर्षों के विकास कार्यों की रूपरेखा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • इस विजन में कृषि, बुनियादी ढांचा, शिक्षा, रोजगार उद्योग, सेवा क्षेत्र, व्यापार, स्टार्टअप, हरित ऊर्जा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिलाओं का उत्थान, गरीबी में कमी लाने, संतुलित क्षेत्रीय विकास, प्रभावी न्याय व्यवस्था आदि विषय शामिल हैं।
  • ये सभी विषय भारत को विकसित राष्ट्र बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल:

  • वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजंसी क्रिसिल की नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत आर्थिक वित्तीय तथा संरचनात्मक सुधारों के कारण वर्ष 2031 तक निम्न मध्यम से उच्च मध्यम आय वाला देश बन जाएगा और विकसित भारत की राह आगे बढ़ेगी।

भारत की आर्थिक क्षमता:

  • वर्तमान में भारत जीडीपी के मद्देनजर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत से आगे अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान हैं।
  • साल 2024 में, भारतीय अर्थव्यवस्था जापान की अर्थव्यवस्था से आगे निकल सकती है। इस बात की उम्म्मीद भारत द्वारा 2023 में आयोजित की गई जी-20 की सफल अध्यक्षता और इससे प्राप्त होने वाले आर्थिक लाभों से मिलना शुरू हो चुकी है।

चुनौतियों के समाधान हेतु आगे की राह:

  • इन विभिन्न क्षेत्रों के विकास की लंबी अवधि की रणनीति से भारत द्वारा वर्ष 2047 तक तीस लाख करोड़ डालर की विकसित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की संभावनाओं के आगे आने वाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करके ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।

जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में सुधार की आवश्यकता:

  • लगातार देश की जीडीपी बढ़ाने के साथ प्रतिव्यक्ति आय और आम आदमी की खुशहाली पर ध्यान देना होगा।
  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई मानव विकास सूचकांक (एचडीआइ) रपट में भारत 193 में से 134वें स्थान पर है।
  • विश्व खुशहाली रपट 2024 में 143 देशों में भारत को 126वां स्थान दिया गया है।
  • हालांकि पिछले दस वर्षों में बहुआयामी गरीबों में बड़ी कमी आई है, लेकिन अब बकाया पंद्रह करोड़ से अधिक गरीबों को नई मुस्कुराहट देने का जोरदार अभियान आगे बढ़ाना होगा।
  •  कृषि, श्रमिक, भूमि और अन्य सुधारों की जरूरत बनी हुई है।

शोध एवं विकास क्षेत्र पर परिव्यय में वृद्धि:

  • शोध और नवाचार की भूमिका को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को आरएंडडी पर कुल जीडीपी का दो फीसद तक खर्च करना होगा। इसमें निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी भी बढ़ानी होगी।
  • जीडीपी के अनुपात में हमारा शोध एवं विकास क्षेत्र पर कुल व्यय केवल 0.64 फीसद है। यह 2.71 फीसद के वैश्विक स्तर से बेहद कम है। इसे बढ़ाने की आवश्यकता है।

बुनियादी सेवाओं में सुधार और सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता:

  • देश में बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित कराने के साथ ही शांति कायम रखने और सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के जरूरी ऊंचे लक्ष्यों पर ध्यान देना होगा।

महिला सशक्तिकरण:

  • देश में उन्नीस करोड़ से अधिक महिलाओं को सवैतनिक श्रमशक्ति में शामिल करने की रणनीति को अमलीजामा पहनाना होगा।

सेवा क्षेत्र:

  • आर्थिक विकास की वृद्धि हेतु सेवा क्षेत्र पर विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा।
  • भारत को 2047 तक विकसित देश बनने के लिए पच्चीस वर्षों तक लगातार करीब सात से आठ फीसद की दर से बढ़ना होगा।

रोजगार सृजन:

  • नई पीढ़ी को नए कौशल से सुसज्जित करके बड़ी संख्या में नई नौकरियों का सृजन करना होगा। स्टार्टअप और स्वरोजगार के अधिक प्रयास करने होंगे।

कृषि क्षेत्र को बढ़ावा:

  • देश को कृषि क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने का मौका मुठ्ठियों में लेना होगा।
  • देश में दलहन और तिलहन की उन्नत खेती में ‘लैब टू लैंड स्कीम’ के प्रयोग और वैज्ञानिकों की सहभागिता के साथ नीतिगत समर्थन की नीति से तिलहन मिशन को तेजी से आगे बढ़ाना होगा।

निष्कर्ष:

भारत वैश्विक मंच पर बड़ी भूमिका के लिए तैयार है। वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत दी जा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के बाहरी झटकों से उबरने की क्षमता देश के टिकाऊ विकास की बुनियाद बन गई है। इसमें कोई दो मत नहीं कि इस समय भारत के पास टिकाऊ विकास के अभूतपूर्व अवसर हैं। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि देश वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य के समक्ष दिखाई दे रही चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता के शिखर पर पहुंचने में अवश्य कामयाब होगा। हालांकि भारत में कई अहम आर्थिक सुधार हुए और उनका सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

भारत के विकसित देश बनने की चुनौतियां के समाधान हेतु आगे की राह पर चर्चा कीजिए