ताइवान में भीषण भूकंप आपदा

ताइवान में भीषण भूकंप आपदा

GS-1: आपदा (भौतिक भूगोल)

(IAS/UPPCS)

 

05/04/2024

स्रोत: द हिंदू

 

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, ताइवान के पूर्वी हिस्से में लगभग 25 वर्षों में 7.4 तीव्रता का सबसे प्रचंड भूकंप महसूस किया।

  • इससे पहले ताइवान में सितंबर 1999 में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था। ताइवान में पहला भूकंप वर्ष 1624 में दर्ज किया गया था।

आपदा से संबंधित प्रमुख बिंदु:

भूकंप की तीव्रता:

  • अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार इस भूकंप की तीव्रता 7.4 थी जबकि ताइवान की भूकंप निगरानी एजेंसी ने इस भूकंप की तीव्रता 7.2 मापी है।

भूकंप का केंद्र:

  • इस भूकंप का केंद्र ताइवान के हुलिएन काउंटी शहर से 18 किलोमीटर (11 मील) दक्षिण में 34.8 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था, जो पूर्वी ताइवान में स्थित है।

प्रभाव:

  • इस भूकंप आपदा में 9 लोगों की मौत हो गई और 800 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
  • इस भूकंप के कारण जापान के कुछ हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किये गए।
  • इस भूकंप के पश्चात दक्षिणी जापान के कुछ हिस्सों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई।

ताइवान में भूकंप आपदा के कारण:

  • ताइवान में 'पैसिफिक रिंग ऑफ फायर' में स्थित होने के कारण भूकंप का एक लंबा इतिहास रहा है।
  • 'पैसिफिक रिंग ऑफ फायर' प्रशांत महासागर को घेरने वाली भूकंपीय दोषों की एक बेल्ट है, जहां दुनिया के अधिकांश भूकंप आते हैं।
  • पैसिफिक रिंग ऑफ फायर से निकटता: ताइवान में भूकंप आने का खतरा रहता है क्योंकि यह प्रशांत "रिंग ऑफ फायर" के किनारे स्थित है जहां दुनिया के 90% भूकंप आते हैं।
  • ताइवान में टेक्टोनिक प्लेटों - फिलीपीन सी प्लेट और यूरेशियन प्लेट और सुंडा प्लेट - की परस्पर क्रिया के कारण भूकंप आते हैं।

रिंग ऑफ फायर के बारे में:

  • द रिंग ऑफ फायर, जिसे सर्कम-पैसिफिक बेल्ट भी कहा जाता है। यह मूल रूप से सैकड़ों ज्वालामुखियों और भूकंप-स्थलों की एक श्रृंखला है जो प्रशांत महासागर के साथ चलती है।
  • यह श्रृंखला आकार में अर्धवृत्त या घोड़े की नाल जैसी है और जो लगभग 40,250 किलोमीटर तक फैली हुई है।
  • रिंग ऑफ फायर यूरेशियाई, उत्तरी अमेरिकी, जुआन डे फूका, कोकोस, कैरेबियन, नाज़्का, अंटार्कटिक, भारतीय, ऑस्ट्रेलियाई, फिलीपीन और अन्य छोटी प्लेटों सहित कई टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन बिंदुओं को घेरती है।
  • रिंग ऑफ फायर संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, मैक्सिको, जापान, कनाडा, ग्वाटेमाला, रूस, चिली, पेरू और फिलीपींस सहित 15 और देशों से होकर गुजरती है।

रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखी आने के कारण:

  • रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखी टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण भी आते हैं।
  • प्लेटों का सबडक्शन: कई ज्वालामुखियों का निर्माण सबडक्शन नामक प्रक्रिया के माध्यम से होता है।
  • इस प्रक्रिया में में जब दो प्लेटें टकराती हैं, भारी प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे धकेल दी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप गहरी खाई बन जाती है।
  • इस प्रक्रिया में प्रशांत प्लेट जैसी समुद्री प्लेट को गर्म मेंटल प्लेट में नीचे की ओर ले जाना शामिल है।
  • मैग्मा का उत्पादन: जैसे-जैसे समुद्री प्लेट को गहराई में धकेला जाता है, यह गर्म हो जाती है और इसमें अस्थिर तत्व मिश्रित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मैग्मा का उत्पादन होता है।
  • यह मैग्मा फिर ऊपर की प्लेट से होकर ऊपर उठता है और सतह पर फूटता है, जिससे ज्वालामुखी बनते हैं।
  • रिंग ऑफ फायर, जहां अधिकांश सबडक्शन क्षेत्र केंद्रित हैं, इस प्रक्रिया के कारण बड़ी संख्या में ज्वालामुखी मौजूद हैं।

भूकंप के बारे में:

  • भूकंप का अर्थ पृथ्वी के कंपन करने से है। पृथ्वी के अंदर अंतर्जात तथा बहिर्जात बलों के कारण उत्पन्न ऊर्जा से निकली भूकंपीय तरंगें के चारों ओर प्रसारित होने से जो कंपन पैदा होता है, उसे भूकंप कहते हैं।
  • भूकंप केंद्र(Epi-centre): भूकंपीय तरंगों को जिस स्थान पर सबसे पहले अनुभव किया जाता है उसे भूकंप केंद्र(Epi-centre) कहा जाता है। भूकंप केंद्र, भूकंप मूल(Focus) के ठीक ऊपर होता है।

भूकंप का मापन:

  • वर्तमान समय में दो पैमानों के आधार भूकंप का मापन किया जाता है- मरकेली पैमाना तथा 2. रिक्टर पैमाना ।
  • रिक्टर पैमाना: यह भूकंप की तीव्रता मापने के लिए उपयोग किया जाने वाला यंत्र है।
  • मार्कली पैमाना: इस यंत्र का उपयोग भूकंप की तीव्रता को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।
  • सिस्मोग्राफ: इस उपकरण पर भूकंपीय तरंगें दर्ज की जाती हैं।

भूकंप की उत्पत्ति के कारण:

  • यह भू-पृष्ठ पर होने वाला आकस्मिक कंपन है। इसकी उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से भू-तल के नीचे (भू-गर्भ में) होती है।
  • इसकी उत्पत्ति प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों ही कारणों से हो सकती है।
  • प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी क्रिया, प्लेट विवर्तनिक घटनाएं एवं भूगर्भिक गैसों का प्रसार आदि हैं।
  • कृत्रिम या मानव निर्मित भूकंप मानवीय क्रियाओं की अवैज्ञानिकता के कारण आते हैं।
  • भूकंप आने के पहले वायुमंडल में 'रेडॉन' गैसों की मात्रा में वृद्धि हो जाती है।
  • जिस स्थान पर इस गैस की मात्रा में वृद्धि होती है, वहां भूकंप आने का संकेत होता है।
  • भूकंप पृथ्वी के अंदर विवर्तनिक प्लेटों के टकराने के कारण आते हैं।
  • पृथ्वी के भीतर सात प्लेटें होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के किनारे मुड़ जाते हैं। सतह के किनारे मुड़ने के कारण वहां दबाव बनता है और प्लेटें टूटने लगती हैं। इन प्लेटों के टूटने से अंदर की भू-ऊर्जा बाहर आने से पृथ्वी कंपन करने लगती है, इसी कंपन को भूकंप कहा जाता है।

भूकंप के प्रकार:

  • विवर्तनिक भूकंप: यह भूकंप का सबसे सामान्य रूप है। यह पृथ्वी की भीतरी परत में मौजूद प्लेटों की गति के कारण आता है, जिन्हें विवर्तनक प्लेट कहा जाता है।
  • ज्वालामुखीय भूकंप: विवर्तनिक भूकंप की तुलना में इस प्रकार का भूकंप थोड़ा तीव्र होता है। इस प्रकार के भूकंप ज्वालामुखी फटने से पहले या बाद में आते हैं।
  • संक्षिप्त भूकंप: इस प्रकार का भूकंप भूमिगत खानों में चट्टानों के भीतर उत्पन्न दबाव के कारण आता है।
  • विस्फोटक भूकंप: यह एक प्रकार का कृत्रिम प्रकृति का भूकंप होता है, जो मानवीय गतिविधियों के कारण आता है, जैसे-परमाणु विस्फोट।

भूकंप का विश्व वितरण (World Distribution of Earthquake):

  • पृथ्वी की सतह पर भूकंपों एवं ज्वालामुखीयता से प्रभावित क्षेत्रों के विश्व वितरण में एक प्रकार का संबंध है, क्योंकि दोनों का ही संबंध भू-गर्भ में होने वाले अंतर्जनित भू-संचलन से है।
  • पृथ्वी की सतह पर भूकंपों का वितरण पेटियों के रूप में फैले हुए क्षेत्रों में पाया जाता है, जिसे भूकंप पेटी कहते हैं।
  • भूकंप की मुख्य पेटियों में 1. परि-प्रशांत महासागरीय पेटी 2. मध्य अटलांटिक पेटी तथा 3. मध्य महाद्वीपीय पेटी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं।

भारत में भूकंप के क्षेत्र:

  • भारतीय उपमहाद्वीप को चार भूकंपीय जोन II, III, IV और V में बांटा गया है।
  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का लगभग 54% क्षेत्र भूकंप से प्रभावित है। जोन 5 में सर्वाधिक खतरे वाले भूकंप आते हैं जबकि जोन 2 काफी कम जोखिम वाला क्षेत्र है।

भूकंप के सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव:

  • भूकंप आने से निम्नलिखित प्रभाव देखे जा सकते हैं:
  • भूकंप से भूस्खलन और हिमस्खलन में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है। उत्तराखंड में भूस्खलन और हिमस्खलन की घटनाएं देखी जा चुकी हैं।
  • भूकंप के कारण बड़े बांध टूटने से बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
  • सुनामी जैसी त्रासदियों के लिए भी भूकंपों को ही उत्तरदायी माना जाता है। भारत, जापान, श्रीलंका जैसे कई देशों में सुनामी का प्रकोप देखा जा चुका है।
  • भूकंप आधारभूत संरचनाओं को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं, जैसे इमारतें, आवासीय क्षेत्र, सड़कें, रेल की पटरियों, पुल इत्यादि।
  • भूकंप विनाशकारी होते हैं, जिनसे तीव्रता के अनुसार, अधिक जन-धन की क्षति होती है।
  • भूकंप से सागरों में अप्रत्याशित ऊंची लहरें उठती (ज्वार) है, जिससे तटीय क्षेत्रों में भयंकर बाढ़ आ जाती है।

 

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

रिंग ऑफ फायर क्या है? रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखी विस्फोट के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

दुनियाभर में आए दिन भूकंप आते रहते हैं। भूकंप उत्पत्ति के कारण एवं इसके सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालिए।