रैट होल खनन (Rat Hole Mining)

 

रैट होल खनन (Rat Hole Mining)

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

सिल्क्यारा सुरंग, रैट होल खनन, एनजीटी,  

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

रैट होल खनन का पूर्वोत्तर राज्यों में प्रचलन, रैट होल खनन पर प्रतिबंध के कारण, रैट होल माइनिंग से पर्यावरण एवं सुरक्षा संबंधी चिंताएँ

30 नवंबर, 2023

खबरों में क्यों:

हाल ही में, उत्तराखंड में सिल्क्यारा सुरंग में 17 दिनों तक फंसे रहे 41 श्रमिकों को बचावकर्मियों ने एनजीटी द्वारा प्रतिबंधित रैट होल खनन (Rat Hole Mining) तकनीक का उपयोग करके सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता अर्जित की है।

रैट होल माइनिंग के बारे में:

  • रैट-होल: 'रैट-होल' शब्द का तात्पर्य जमीन में खोदे गए एक संकीर्ण गड्ढे से है। रैट-होल किसी व्यक्ति को प्रवेश करने और कोयला निकालने के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करते हैं।
  • ये होल लंबवत और क्षैतिज दोनों तरह से खोदे जा सकते हैं।
  • रैट होल खनन: यह संकीर्ण होलों से कोयला निकालने की एक विधि है। कोयले के मैन्युअल निष्कर्षण के लिए गैंती, फावड़े और टोकरियाँ जैसे आदिम उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

रैट होल माइनिंग के प्रकार:

  • यह मोटे तौर पर दो प्रकार का होता है: साइड-कटिंग और बॉक्स-कटिंग।
  • साइड-कटिंग: पहाड़ी ढलानों पर संकीर्ण सुरंगें खोदी जाती हैं और श्रमिक कोयले की परत मिलने तक अंदर जाते हैं।
  • बॉक्स-कटिंग: इसे एक आयताकार कटिंग भी कहा जाता है, जो 10 से 100 वर्गमीटर तक होता है, और  इस कटिंग के माध्यम से 100 से 400 फीट गहरा एक ऊर्ध्वाधर गड्ढा खोदा जाता है।

रैट होल खनन पर प्रतिबंध के कारण:

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैज्ञानिक और असुरक्षित होने के कारण 2014 में रैट होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया। वर्ष 2015 से यह प्रतिबंध खासकर मेघालय में लागू है, क्योंकि यहां कोयला खनन के लिए रैट होल खनन प्रक्रिया का व्यापक तौर पर प्रचलन में है।
  • एनजीटी के अनुसार, मेघालय में अत्यधिक रैट होल माइनिंग से कई ऐसे कई मामले आए हैं जहां बरसात के मौसम के दौरान, खनन क्षेत्रों में पानी भर गया जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों/श्रमिकों सहित कई लोगों की मौत हो गई।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के बारे में:

  • एनजीटी (National Green Tribunal) राष्ट्रीय पर्यावरण अपीलीय प्राधिकरण की जगह राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत गठित एक वैधानिक (Statutory) और विशिष्ट निकाय है।
  • भारत दुनियाभर में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए एक विशेष वैधानिक निकाय का गठन करने वाला पहला विकासशील देश है।
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का मुख्यालय नई दिल्ली में है, जबकि इसकी क्षेत्रीय शाखाएं भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई में भी हैं।

रैट होल खनन का पूर्वोत्तर राज्यों में प्रचलन:

  • सामान्य तौर पर, इस तकनीक का उपयोग भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में संकीर्ण, क्षैतिज सीमों से कोयला निकालने के लिए किया जाता है।
  • मेघालय में रैट-होल कोयला खनन एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद भी निम्नलिखित कारणों से वर्तमान में बड़े पैमाने पर प्रचलित है:
    • अपवित्र सांठगांठ: राजनेताओं, नौकरशाहों और कोयला व्यापारियों के एक वर्ग के बीच अपवित्र सांठगांठ के कारण मेघालय में कोयला खनन जारी है।
    • गैर-अनुपालन: न्यायमूर्ति बीपी कटेकी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मेघालय खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की रोकथाम) नियम, 2022 को अधिसूचित करने के अलावा, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी द्वारा जारी किसी भी निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया है। संबंधित अधिकारियों द्वारा.
    • वोट बैंक की राजनीति: चुनाव के साथ कोयला खनन का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है और राज्य के एक राज्यसभा सदस्य मांग कर रहे हैं कि रैट होल खनन को वैध बनाया जाए।

पर्यावरण एवं सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:

  • रैट होल खनन से कई महत्वपूर्ण सुरक्षा और पर्यावरणीय खतरे पैदा होने की आशंका रहती है।
  • खदानें आम तौर पर अनियमित होती हैं, जिनमें उचित वेंटिलेशन, संरचनात्मक सहायता या श्रमिकों के लिए सुरक्षा गियर जैसे सुरक्षा उपायों का अभाव होता है।
  • इसके अतिरिक्त, खनन प्रक्रिया से भूमि क्षरण, वनों की कटाई और जल प्रदूषण हो सकता है।
  • खनन की इस पद्धति को इसकी खतरनाक कामकाजी परिस्थितियों, पर्यावरणीय क्षति और चोटों और मौतों के कारण होने वाली कई दुर्घटनाओं के कारण गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा है।

निष्कर्ष:

पूर्वोत्तर राज्यों में रैट होल खनन प्रक्रिया में प्रतिबंध के बावजूद भी सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तेजी देखी जाती रही है। भविष्य में पर्यावरण और मानव की आर्थिक आवश्यकताओं के मध्य संतुलन बना रहे इसके लिए एनजीटी और अन्य गैर-लाभकारी संस्थाओं को रणनीतिक उपाय तलाशने होंगे।

स्रोत: द हिंदू

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

रैट होल खनन प्रक्रिया क्या है? प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, विकास के लिए कोयला खनन अभी भी अपरिहार्य है। चर्चा करें।