राष्ट्रीय गोकुल मिशन

राष्ट्रीय गोकुल मिशन

प्रिलिम्स परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

राष्ट्रीय गोकुल मिशन और संबंधित पहल, राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना, गोकुल ग्राम, साहीवाल गाय, थारपारकर, लाल सिंधी, जर्सी, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), कृषि विज्ञान केंद्र

मेन्स परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

स्वदेशी मवेशी नस्लों को बढ़ावा देने का महत्त्व और रोज़गार सृजन तथा आर्थिक विकास पर उनका प्रभाव, पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने की पहलें

30 अक्टूबर, 2023

चर्चा में क्यों:

  • हाल ही में, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत सभी स्वदेशी नस्ल की गायों में से गिर किस्म की गाय की गुणवत्ता में सुधार करने को वरीयता दी गयी है।

“गिर” गाय

  • यह भारतीय मूल की गाय है जो दक्षिण काठियावाड़ यानी गुजरात राज्य के गिर वन क्षेत्र, महाराष्ट्र तथा राजस्थान के आसपास के जिलों में पायी जाती है।
  • जीवन काल:  इस नस्ल की गाय का जीवन काल 12-15 साल होता है
  • प्रजनन:  पूरे जीवनकाल में 6-12 बछड़े उत्पन्न करने की क्षमता होती है।
  • विशेषता: यह गाय अच्छी दुग्ध उत्पादताकता के लिए जानी जाती है।
  • इस गाय के दूध में सोने के तत्व पाए जातें हैं जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
  • गिर गायों की दुग्ध उत्पादन क्षमता और अनुकूलन सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों के कई कारकों से प्रभावित होता है।
  • उदाहरण के लिये गिर गायें झुंड में विकास करती हैं अतः अलग-अलग पाले जाने से उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है।

गिर की नस्ल में सुधार को वरीयता देने का कारण:

  • गिर उच्च दूध उपज और शांत स्वभाव वाली एक साहसी, अनुकूलनीय नस्ल की गाय है; हालाँकि विशेषज्ञों का कहना है कि आनुवंशिक रूप से बेहतर गायों की पहचान की जानी चाहिए और सभी स्वदेशी नस्लों में से उनका प्रजनन कराया जाना चाहिए।

इस कदम के प्रभाव

पशुधन संख्या पर प्रभाव:

  • वर्ष 2019 में की गई पशुधन जनगणना के अनुसार, वर्ष 2013 के बाद से शुद्ध नस्ल की गिर गायों में 70% की वृद्धि देखी गई है। जबकि, साहीवाल और हरियाना जैसी अन्य स्वदेशी नस्लों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई।
  • इस कदम से भारत में देशी मवेशियों की नस्लों की विविधता में कमी आ सकती है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन:

के बारे में

  • दिसंबर 2014 से कार्यान्वित यह मिशन स्वदेशी गाय की नस्लों के विकास और संरक्षण पर केंद्रित है। यह योजना राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत 2021 से 2026 तक जारी रहेगी, जिसका बजट परिव्यय रु. 2400 करोड़ है
  • मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
  • उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके गोवंश की उत्पादकता बढ़ाना और टिकाऊ दूध उत्पादन बढ़ाना।
  • प्रजनन प्रयोजनों के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के उपयोग का प्रचार करना।
  • प्रजनन नेटवर्क को मजबूत करने और किसानों के दरवाजे पर सेवाएं प्रदान करके कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का विस्तार करें।
  • स्वदेशी मवेशियों और भैंस पालन के वैज्ञानिक और समग्र संरक्षण को बढ़ावा देना।

इस मिशन का महत्व:

  • किसानों को लाभ: इससे छोटे और सीमांत किसानों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारत में सभी मवेशियों और भैंसों को कार्यक्रम का लाभ मिलेगा।
  • दूध उत्पादन में वृद्धि: इस योजना से दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा।
  • संरक्षण और विकास: यह दुधारू मवेशियों की भारतीय नस्लों के संरक्षण और विकास पर केंद्रित है।
  • डेयरी अवसंरचना स्थापना: मिशन प्रसंस्करण, अधिग्रहण और विपणन को बढ़ाने के लिए डेयरी अवसंरचना स्थापित करना चाहता है।
  • महिला सशक्तिकरण: यह पहल विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाएगी।
  • वर्तमान में देश में 70% से अधिक पशुधन कार्य महिलाओं द्वारा किया जाता है।

इस मिशन के घटक:

  • उच्च आनुवंशिक योग्यता जर्मप्लाज्म की उपलब्धता
  • कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क का विस्तार
  • स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण
  • कौशल विकास
  • किसानों की जागरूकता
  • गोजातीय प्रजनन में अनुसंधान विकास और नवाचार

क्रियान्वयन एजेंसी

राष्ट्रीय गोकुल मिशन से संबंधित सभी पहलों को राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए अर्थात पशुधन विकास बोर्ड) के माध्यम से लागू किया जाता है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत भारत सरकार की महत्वपूर्ण पहलें:

  • स्वदेशी नस्लों को विकसित करने के लिए गोकुल ग्राम नामक पशु विकास केंद्रों की स्थापना की गयी है।
  • किसानों को देशी नस्लों के पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गोपाल रत्न और कामधेनु जैसे पुरस्कारों की शुरूआत।
  • राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र (एनकेबीसी) को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित करना।
  • प्रजनकों और किसानों को जोड़ने वाले ई-मार्केट पोर्टल 'ई-पशु हाट - नकुल प्रजन बाजार' का निर्माण करना।
  • पशु संजीवनी पशु कल्याण कार्यक्रम का शुभारंभ, पशु स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करना।
  • इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और मल्टीपल ओव्यूलेशन एम्ब्रियो ट्रांसफर (एमओईटी) जैसी उन्नत प्रजनन तकनीकों को अपनाना।
  • स्वदेशी नस्लों के लिए राष्ट्रीय बोवाइन जीनोमिक केंद्र (एनबीजीसी-आईबी) की स्थापना।

गोकुल ग्राम के बारे में:

  • गोकुल ग्राम एकीकृत स्वदेशी मवेशी केंद्र हैं जिनका उद्देश्य स्वदेशी मवेशियों के वैज्ञानिक पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना है।
  • ये केंद्र उच्च-आनुवंशिक-योग्यता वाले बैल प्रसार के लिए स्वदेशी नस्लों का उपयोग करने, आधुनिक कृषि प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने और पशु अपशिष्ट के किफायती उपयोग सहित सामान्य संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। दुनिया की 14.5% मवेशी आबादी वाले भारत में 83% स्वदेशी मवेशी हैं।

समाधान:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ अधिक दुग्ध देने वाली गोजातीय नस्लों की बजाय आनुवंशिक रूप से श्रेष्ठ स्वदेशी नस्लों की गायों की पहचान करने और प्रजनन क्षमता को बढाने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए।
  • महाराष्ट्र के पशुपालन विभाग ने वर्ष 2012-14 में आनुवंशिक रूप से बेहतर स्वदेशी नस्लों के वीर्य को पशुशालाओं तक सुलभ कराकर एक सफल अनुप्रयोग किया, जो इस दृष्टिकोण की क्षमता को दर्शाता है।
  • गायों की लगातार क्रॉसब्रीडिंग नहीं की जानी चाहिए क्योंकि अलग-अलग नस्लों की गायें भारत में विशिष्ट क्षेत्रों के लिए अनुकूलित होती हैं। ऐसे में वर्गीकृत किस्मों की गायों में क्षेत्र-विशिष्ट लक्षण विलुप्त होने की आशंका है।
  • उदाहरण के लिये, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की बद्री गायों को गिर गायों के साथ संकरण कराने से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, लेकिन उनमें शारीरिक बदलाव आ सकता है, जिससे बचना चाहिए।
  • विशेषज्ञ श्वेत क्रांति की गलतियों को दोहराने के प्रति आगाह कराते हैं, जिसमें भारतीय गौ-वंशों के साथ क्रॉसब्रीडिंग के लिये जर्सी जैसी विदेशी नस्लों का आयात किया गया था।
  • हालाँकि इससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई, लेकिन इससे पशुपालकों की आय में वृद्धि नहीं हुई, क्योंकि संकर नस्ल की गायें बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील थीं और उन्हें अधिक देखभाल की आवश्यकता थी।

निष्कर्ष:

  • हालिया वर्षों में राष्ट्रीय गोकुल मिशन गाय की नस्लों की स्थिरता और उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चूंकि इस मिशन की सुधारात्मक पहलें बहुत ही सीमित रही हैं, विदर्भ क्षेत्र में तो पर्याप्त संसाधनों और सहायता के अभाव में गिर गाएं किसानों के लिए एक समस्या बन चुकी हैं, इसलिए इस मिशन को सर्वव्यापी बनाने की आवश्यकता है।

स्रोत: डाउन टु अर्थ                                      ------------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि रोज़गार और आय प्रदान करने के लिये पशुधन पालन की बड़ी संभावना है। भारत में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये उपयुक्त उपाय सुझाने पर चर्चा कीजिए।