ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा का अनावरण

ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा का अनावरण

यह टॉपिक आईएएस/पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के करेंट अफेयर और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 भारतीय कला एवं संस्कृति से संबंधित है

26 सितंबर, 2023

चर्चा में:

  • हाल ही में ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर स्थापित आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
  • ओंकार पर्वत (मांधाता पर्वत भी) की 11.5 हेक्टेयर जमीन पर अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) का निर्माण किया जा रहा है। इसी के मध्य में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है।
  • इसी क्षेत्र में आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना भी की जा रही है।

प्रतिमा के बारे में:

  • 108 फीट ऊंची यह प्रतिमा एकात्मकता का प्रतीक है। इसे 'स्टैच्यू ऑफ वननेस' का नाम दिया गया है।
  • इस मूर्ति की स्थापना अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) के मध्य में पत्थर निर्मित 16 फीट के कमल पर की गई है।
  • आदि शंकराचार्य की इस प्रतिमा में 12 साल के आचार्य शंकर की छवि को दर्शया गया है।
  • इस प्रतिमा का वजन 100 टन है और यह 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित की गयी है।
  • यह प्रतिमा 88% कॉपर, 4% जिंक और 8% टिन को मिलाकर बनाई गई है।
  • इस प्रतिमा के 290 पैनलों का निर्माण एलएंडटी कंपनी द्वारा किया गया है।
  • इस प्रतिमा पर श्रृंगेरी शारदा पीठ चिकमगलूर, कर्नाटक से लायी गयी 112 फीट लंबी माला को सुशोभित किया गया है। यह माला 10 हजार पांचमुखी रुद्राक्ष से बनी है।

आदिगुरु शंकराचार्य के बारे में:  

  • शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में 508-9 ईसा पूर्व और महासमाधि 477 ईसा पूर्व में हुई थी। इनकी मां का नाम आर्याम्बा और पिता का नाम शिवगुरु था।
  • 32 वर्ष की आयु में ही इन्होंने देश की चार दिशाओं में चार पीठों की स्थापना की थी:  बद्रीनाथ पीठ(उत्तराखंड), श्रृंगेरी पीठ (कर्नाटक), द्वारिका शारदा पीठ(गुजरात) और पुरी गोवर्धन पीठ(ओडिशा)।
  • ये चारों पीठ आज भी बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं।
  • इन चारों पीठों की स्थापना का उद्देश्य सांस्कृतिक रूप से पूरे भारत को उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम जोड़ना था।
  • सांस्कृतिक एकता और अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रचार प्रसार की परंपरा को अनवरत रूप से बनाए रखने के उद्देश्य से पूरब की पीठ में पश्चिम के, पश्चिम वाली पीठ में पूरब के, इसी तरह दक्षिण की पीठ में उत्तर के और उत्तर की पीठ में दक्षिण के पुजारी पूजा करते हैं।
  • आदि शंकराचार्य ने तीन बार पूरे देश की अखंड यात्रा की। उनका उद्देश्य सनातन धर्म को पुन: स्थापित करना था। उन्हें शंकर का अवतार माना जाता है। उन्होंने ब्रह्म सूत्रों की बड़ी ही विशद और रोचक व्याख्या की है।
  • उनके दर्शन के अनुसार, परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है।
  • आदि शंकराचार्य ने भारत में अनेक मंदिरों और शक्तिपीठों की स्थापना की थी।
  • इनमे शामिल हैं: नील पर्वत स्थित चंडी देवी मंदिर, माता हिंग लाज मंदिर (पाकिस्तान में)

आदि शंकराचार्य का मध्य प्रदेश से संबंध:

  • आदि शंकराचार्य ने 8 वर्ष की उम्र में केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और  ओंकारेश्वर (मध्यप्रदेश) का भ्रमण किया था।
  • आदि शंकराचार्य ने ओंकरेश्वर में गुरु गोविंद भगवत पाद के सान्निध्य में वेद-उपनिषदों की शिक्षा ली और फिर 11 वर्ष की उम्र में अद्वैत दर्शन और सनातन धर्म की पुन: स्थापना का उद्देश्य लेकर अखंड भारत के भ्रमण पर निकल गए थे।
  • आदि शंकराचार्य ने मध्यप्रदेश के चार स्थानों ओंकारेंश्वर, अमरकंटक, उज्जैन और रीवा के पंचमठा को स्पर्श किया था।
  • ओंकारेश्वर में तीन वर्ष तक शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करने के दौरान उन्होंने नर्मदा अष्टकम की रचना की थी।
  • आदि शंकराचार्य रीवा में बीहर नदी के किनारे आश्रम में पांचवां मठ स्थापित करना चाहते थे, लेकिन 477 ईसा पूर्व में उनका स्वर्गवास होने के कारण यह मठ नहीं बन सका। वर्तमान में इस स्थल को पंचमठा कहा जाता है।

ओंकारेश्वर के प्रसिद्ध मंदिर:

  • ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र में ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, गायत्री माता मंदिर, सिद्धनाथ गौरी सोमनाथ मंदिर, माता वैष्णोदेवी मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर, सेगांव के गजानन महाराज का मंदिर, नरसिंह टेकरी मंदिर, कुबेरेश्वर महादेव, चन्द्रमोलेश्वर महादेव के मंदिर भी दर्शनीय हैं।
  • मध्य प्रदेश के अधिकांश मंदिरों का निर्माण नागर शैली में किया गया है।

महत्त्व:

  • इसके निर्माण से पर्यटन को अत्यधिक बढ़ावा मिलेगा।
  • व्यापार को आर्थिक रूप से कई गुना लाभ मिलेगा।
  • अनुमान के अनुसार यहां हर महीने 1000 करोड़ का अतिरिक्त व्यापार हो रहा है।
  • इसका सबसे बड़ा लाभ आम लोगों को रोजगार के तौर पर मिलेगा।
  • देश की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पारंपरिक गतिविधियों को अनवरत रूप से बनाए रखने मदद मिलेगी।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

आदि शंकराचार्य ने देश में धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पारंपरिक प्रथाओं को पुनर्जीवित एवं पुनरुद्धार किया था। विवेचना कीजिए।