ओडिशा की आर्द्र्भूमियों में कैंसर-जन्य भारी धातुओं की उच्च सांद्रता

 

ओडिशा की आर्द्र्भूमियों में कैंसर-जन्य भारी धातुओं की उच्च सांद्रता

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

(पर्यावरण संरक्षण)

07 अक्टूबर, 2023

 चर्चा में:

  • हाल ही में एक अध्ययन में ओडिशा वेटलैंड्स में कैंसर पैदा करने वाले भारी धातुओं के उच्च स्तर का पता चला है।
  • हालाँकि इन आर्द्रभूमियों के पानी का उपयोग सीधे तौर पर मानव उपभोग के लिए नहीं किया जाता है, लेकिन आसपास के समुदायों के लोग अप्रत्यक्ष रूप से इन आर्द्रभूमियों से मछली, चावल, सब्जियाँ और पालक जैसे विभिन्न खाद्य पदार्थों का सेवन करके भारी धातुओं का उपभोग कर सकते हैं।
  • इस अप्रत्यक्ष जोखिम से खाद्य श्रृंखला में भारी धातुओं का समावेश हो सकता है और इसके बाद मानव स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

अनुसंधान के उद्देश्य

  • अनुसंधान का लक्ष्य तीन प्राथमिक उद्देश्यों को प्राप्त करना था:
  • आर्द्रभूमि मिट्टी में सीसा, क्रोमियम, तांबा और जस्ता सहित भारी धातुओं के संचय की जांच करना।
  • कृषि परिदृश्यों के भीतर आर्द्रभूमियों द्वारा उत्पन्न पारिस्थितिक जोखिम का आकलन करना।
  • सीसा और क्रोमियम के संपर्क से जुड़े संभावित मानव स्वास्थ्य जोखिमों की जांच करना।

अध्ययन स्थल और सैम्पल

  • शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए आठ आर्द्रभूमियों का चयन किया, जिनमें प्राकृतिक और निर्मित दोनों स्थल शामिल थे:
  • चंदनेश्वर, चिल्का, दरिंगबाड़ी, कोरापुट, भद्रक, हीराकुंड, तालचेर और टिटलागढ़
  • इन आर्द्रभूमियों से कुल 144 नमूने एकत्र किये गये।

परीक्षण और परिणाम

  • अध्ययन में हीराकुंड आर्द्रभूमि में सीसा (51.25 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम) और क्रोमियम (266 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम) की उच्चतम सांद्रता की पहचान की गई।
  • भद्रक में तांबे की उच्चतम सांद्रता (34.27 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम) प्रदर्शित हुई, जबकि कोरापुट में जस्ता का स्तर ऊंचा दिखा।
  • सभी साइटों पर पिछले अध्ययनों की तुलना में अधिक क्रोमियम सांद्रता देखी गई।

पारिस्थितिक जोखिम मूल्यांकन:

  • एक पारिस्थितिक जोखिम मूल्यांकन, जिसमें सभी परीक्षण की गई धातुओं पर एक साथ विचार किया गया, से पता चला कि हीराकुंड में पारिस्थितिक जोखिम सूचकांक सबसे अधिक था, इसके बाद तालचेर, भद्रक, टिटलागढ़, चिल्का, चंदनेश्वर, कोरापुट और दरिंगबाड़ी थे।

कैंसर का खतरा

  • क्षेत्र में औद्योगिक विकास के कारण हीराकुंड में वयस्कों और बच्चों के बीच कैंसरजन्य जोखिम सबसे अधिक था, जिससे अपशिष्टों से मिट्टी में भारी धातु का प्रदूषण हुआ। इसके अतिरिक्त, अध्ययन क्षेत्र का पश्चिमी भाग, जो चावल उत्पादन के लिए जाना जाता है, मिट्टी और कीटनाशकों के उपयोग के कारण प्रदूषण की समस्याओं का सामना कर रहा है, जिससे स्थानीय समुदाय में कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।

जागरूकता

  • भारी धातु के संपर्क से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाना सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

आर्द्रभूमि का संरक्षण:

रामसर समझौता

  • 1971 में आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए वैश्विक प्रयास के रूप में रामसर नामक स्थान (कैस्पियन सागर के तट पर ईरान में अवस्थित) में एक उच्चस्तरीय अंतर सरकारी बहुउद्देशीय सम्मेलन किया गया। इसके अंतर्गत आर्द्रभूमि व उनके संसाधनों के संरक्षण तथा युक्तियुक्त उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्यवाही और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की रूपरेखा तय की गई।
  • 2 फरवरी 1971 को यह सम्मेलन आयोजित किया गया था इसी उपलक्ष में प्रतिवर्ष 2 फरवरी को आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
  • यह समझौता 1975 में लागू हुआ।
  • भारत इस समझौते में 1982 में सम्मिलित हुआ।
  • संयुक्त राष्ट्र ने स्थलीय, जलीय और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण एवं पुनर्स्थापना के उद्देश्य से 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर दशक घोषित किया।

मोंट्रेक्स रिकॉर्ड

राष्ट्रीय स्तर पर पहल:

  • आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 को लागू किया गया है।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्ययोजना (2002-2016) के अनुसार, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत राज्य सरकारों को राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं के 10 किमी. के भीतर आने वाली भूमि को पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) घोषित किया जाना चाहिए।

आर्द्रभूमि का महत्व

  • आर्द्रभूमियाँ भोजन, स्वच्छ जल, ईंधन जैसे संसाधनों के अलावा जलीव जीव जंतुओं की आवास उपलब्ध कराती हैं।
  • यह जैव विविधता के संरक्षण , मृदा अपरदन से सुरक्षा , प्रदूषण नियंत्रक के रूप में पर्यावरण को सहयोग करता है
  • आर्द्रभूमियाँ मृदा निर्माण, पोषक तत्वों के चक्रण, प्राथमिक उत्पादन जैसे प्राकृतिक क्रियाओ में सहयोग प्रदान करती हैं।
  • आर्द्रभूमियाँ प्रत्यक्ष तौर पर पर्यटन को बढ़ावा देती हैं और अप्रत्यक्ष तौर पर से लोगों की आजीविका में सहायक होती हैं।

निष्कर्ष:

  • आर्द्रभूमियां मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इसलिए ओडिशा की आर्द्रभूमि में भारी धातु प्रदूषण को संबोधित करने के लिए प्रभावी नीतियों और जागरूकता अभियानों को चलाए जाने की आवश्यकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

  • आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में 'उचित उपयोग' की रामसर अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
  • पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से आर्द्र भूमियों का संरक्षण अति आवश्यक है। विवेचना कीजिए।