लद्दाख: पूर्ण राज्य की मांग हेतु जन आंदोलन

 

लद्दाख: पूर्ण राज्य की मांग हेतु जन आंदोलन

GS-II: भारतीय राजव्यवस्था

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

लद्दाख के बारे में, 6 वीं अनुसूची, अनुच्छेद 244, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST), बारदोली कमेटी (Bardoli Committee), लद्दाख की प्रमुख अनुसूचित जनजातियाँ।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

लद्दाख में जन आंदोलन के कारण, लद्दाख की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, महत्ता, निष्कर्ष।

09 फरवरी, 2024

ख़बरों में क्यों:

हाल ही में लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने कड़ाके की ठंड का सामना करते हुए लेह की ठंडी सड़कों पर जन आंदोलन शुरू किया।

  • जन आंदोलन का उद्देश्य: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना, संविधान की छठी अनुसूची को लागू करना और लेह-कारगिल जिलों के लिए अलग संसदीय सीटों का निर्माण करना
  • इस जन आंदोलन के प्रमुख नेतृत्वकर्ता संगठन हैं- लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA)

जन आंदोलन का कारण:

  • यह एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है और इसमें वे सभी विशेषताएं हैं जो पूर्वोत्तर राज्यों में हैं। इसके अलावा, हम पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए लद्दाख में 6 वीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करने की मांग करते हैं।
  • विधानसभा में प्रतिनिधित्व की मांग : प्रदर्शनकारियों के अनुसार, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के (अगस्त 2019) बाद से लद्दाख की जनता के प्रतिनिधित्व, शक्तियों और अधिकारों का काफी हद तक पतन हुआ है।
  • पहले, जब लद्दाख जम्मू और कश्मीर का हिस्सा था, तो इस क्षेत्र में विधानसभा में चार और विधान परिषद में दो सदस्य थे, जिससे पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता था।
  • इसके लिए कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने चार सूत्री एजेंडे की मांग की है।
  • भर्ती आयोग की मांग: राजपत्रित नौकरी के अवसरों में अत्यधिक वृद्धि के लिए लद्दाख में लोक सेवा आयोग की गठन मांग पूरी ना होना। लद्दाख को तत्काल अपने स्वयं के एक लोक सेवा आयोग की आवश्यकता है।
  • पूर्ण राज्य की मांग: प्रदर्शनकारियों के अनुसार, लद्दाख, रणनीतिक तौर पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण रीजन है इसलिए इसे एक पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल होना चाहिए।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया:  

  • केंद्र सरकार ने लद्दाख की अनूठी संस्कृति और भाषा की सुरक्षा के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

लद्दाख को 6वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु NCST की सिफारिश:

  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने 11 सितंबर 2019 को गृह मंत्रालय और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को 6वीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की थी।
  • आयोग का मानना था कि, इससे लद्दाख क्षेत्र में निवास करने वाली 97 प्रतिशत आदिवासी आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • लद्दाख की प्रमुख अनुसूचित जनजातियाँ: बाल्टी, बेडा, बॉट, बोटो, ब्रोकपा, ड्रोकपा, डार्ड, शिन, चांगपा, गर्रा, सोम, पुरीगपा

छठवीं अनुसूची के बारे में :

  • इस अनुसूची का उल्लेख भारतीय संविधान के अध्याय 10 के अनुच्छेद 244 में है।
  • यह अनुसूची बारदोली कमेटी (Bardoli Committee) की अनुशंसा पर भारतीय संविधान में जोड़ी गयी थी।
  • इस अनुसूची के प्रावधान पूर्वोत्तर के चार राज्य असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्य के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन पर लागू होते हैं।
  • इन स्वायत्त क्षेत्रों में प्रशासनिक गतिविधियां राज्यपाल के अधिकारों के नियंत्रणाधीन होती हैं।

लद्दाख(Ladakh) के बारे में:

  • 95,876 वर्ग किमी में विस्तारित, लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश है। 
  • 5 अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, लद्दाख जम्मू-कश्मीर से अलग हो गया और केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
  • इसे “लैंड ऑफ पासेस” (ला-दर्रा, दख-भूमि) के रूप में भी जाना जाता है।

लद्दाख की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • लद्दाख 950 ईस्वी से वर्ष 1834 तक एक स्वतंत्र राज्य था, उसके बाद हिंदू डोगरा ने इस पर शासन किया।
  • वर्ष 1819 के बाद सिख सम्राट रणजीत सिंह ने लद्दाख को जीतने का प्रयास किया, लेकिन डोगरा सामंत गुलाब सिंह ने  लद्दाख और जम्मू व कश्मीर पर पुन: अधिपत्य स्थापित किया।
  • मई 1841 में तिब्बत द्वारा लद्दाख पर आक्रमण किया गया, जिसके परिणामस्वरूप चीन-सिख युद्ध हुआ। यह युद्ध चुशुल की संधि द्वारा समाप्त हुआ।
  • 1845-46 के एंग्लो-सिख युद्ध के बाद लद्दाख सहित जम्मू और कश्मीर राज्य पर ब्रिटिश का आधिपत्य था।

भौगोलिक अवस्थिति एवं जलवायु:

  • यह पूर्व में चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, दक्षिण में भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, और पश्चिम में जम्मू और कश्मीर तथा पाकिस्तान प्रशासित गिलगित-बाल्टिस्तान से एवं शिनजियांग के दक्षिण-पश्चिम कोने से दूर उत्तर में काराकोरम दर्रा से घिरा है।
  • लद्दाख के आस-पास क्षेत्र में सिंधु नदी और इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ-श्योक-नुब्रा, चांग चेनमो, हानले, जांस्कर, और सुरू नदियाँ प्रवाहित होती हैं।
  • यह पृथ्वी पर सबसे ऊँचे तथा सूखे स्थानों में से एक है और यहाँ की जलवायु अत्यधिक कठोर है।

लद्दाख की महत्ता:

प्राकृतिक महत्त्व:

  • लद्दाख सिंधु जल तंत्र से भारत में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब तथा राजस्थान और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को जल संसाधन प्रदान करता है। इसलिए लद्दाख न केवल लद्दाख की आजीविका और लद्दाख के पारिस्थितिक तंत्र के लिये बल्कि पूरे नदी तंत्र के स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • लद्दाख में वार्षिक सौर विकिरण उच्च इन्सुलेशन के साथ और भू-तापीय संसाधन अपेक्षाकृत अधिक है।
  • लद्दाख पर्यटन उद्योग और कनेक्टिविटी की दृष्टिकोण से पूर्वोत्तर राज्यों से बेहतर स्थिति में है।

भू-राजनीतिक महत्त्व:

  • लद्दाख संस्कृति, धर्म, दर्शन, व्यापार तथा वाणिज्य के विकास में मध्य एशियाई देशों-उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और कज़ाखस्तान के साथ प्राचीन काल से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम रहा है।
  • प्रचुर संसाधनों की उपस्थिति और राजनीतिक प्रभुत्व के कारण लद्दाख (सियाचिन और अक्साई चिन) रीजन भारत, चीन और पाकिस्तान के लिए संघर्ष का केंद्रबिंदु रहा है।

निष्कर्ष:

वर्तमान में लद्दाख का मुद्दा राजनीतिक एवं सामरिक तौर पर अति संवेदनशील है। लद्दाख की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों के समाधान हेतु केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित 17 सदस्यीय समिति द्वारा प्रयास जारी हैं, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के लिए "संवैधानिक सुरक्षा उपायों" का वादा किया गया। हालांकि, इसमें कोई विशेष सफलता नहीं मिली है इसके लिए त्वरित एवं प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: टाइम्स आफ इंडिया

--------------------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न

लद्दाख की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं महत्ता को रेखांकित करते हुए इस केंद्र शासित प्रदेश में जारी  जन आंदोलन की मांगों की उपयुक्तता की जाँच कीजिए।