हिमाचल प्रदेश में दुर्लभ “पेंटब्रश स्विफ्ट बटरफ्लाई” की खोज

 

हिमाचल प्रदेश में दुर्लभ पेंटब्रश स्विफ्ट बटरफ्लाईकी खोज

 

प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

पेंटब्रश स्विफ्ट तितली, जंगली भट्टियात परियोजना, लेपिडोप्टेरिस्ट फ्रेडरिक मूर, धौलाधार पर्वत श्रृंखला, भारत में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (अनुसूची IV), जैवविविधता

मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

तितली की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण हेतु राज्य संचालित परियोजनाएं, विलोपन का कारण, संरक्षण की स्थिति

23 अक्टूबर 2023

चर्चा में:

  • हाल ही में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में राज्य वन विभाग द्वारा पहली बार पेंटब्रश स्विफ्ट तितली को खोजा गया है।
  • 2022 में राज्य वन विभाग द्वारा शुरू की गई जंगली भट्टियात परियोजना द्वारा तितलियों की 120 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है।
  • इस परियोजना के अंतर्गत दस्तावेजीकरण में एनोमलस नवाब, ब्लैंक स्विफ्ट, टेल्ड जे और सायरन जैसी असामान्य प्रजातियां शामिल हैं।
  • वर्तमान में हिमाचल प्रदेश भारत में पाई जाने वाली तितली प्रजातियों में से 25% का घर है।

पेंटब्रश स्विफ्ट बटरफ्लाई (बाओरिस फ़ार्री)

बारे में:

  • बाओरिस फ़ार्री, हेस्परिडे परिवार की एक तितली प्रजाति है जिसे आमतौर पर पेंटब्रश स्विफ्ट के नाम से जाना जाता है।
  • इस प्रजाति की खोज 1878 में पूर्वी हिमालय में की गई थी, लेकिन हिमाचल प्रदेश में पहले इसकी कभी तस्वीर नहीं ली गई।
  • इस तितली का वर्णन पहली बार 145 साल पहले पूर्वी हिमालय में लेपिडोप्टेरिस्ट फ्रेडरिक मूर द्वारा किया गया था।
  • इसकी पहचान ऊपरी अग्र पंख कोशिका में दो अलग-अलग स्थानों के आधार पर की जाती है।
  • इस प्रजाति की तितलियां आहार के तौर पर बांस और कुछ अन्य घास प्रजातियों को खाती हैं।

निवास स्थान:

  • इसका निवास स्थान पूर्वोत्तर, मध्य और दक्षिण भारत में वितरित है, और उत्तराखंड में दुर्लभ है।
  • तितली की यह प्रजाति धौलाधार पर्वत श्रृंखला की निचली पहाड़ियों पर देखी जाती है।
  • धौलाधार पर्वत श्रृंखला का विस्तार जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों में है यह मध्य या लघु हिमालय का मुख्य पर्यटक स्थल है।

विलोपन का कारण:

  • निवास स्थान की हानि, लार्वा मेजबान पौधों की कमी, कीटनाशकों के उपयोग में वृद्धि, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन आदि प्रमुख कारणों से तितली की आबादी में गिरावट हुई है।

संरक्षण की स्थिति:

  • वर्तमान में तितली की यह प्रजाति, भारत में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची IV के तहत कानूनी रूप से संरक्षित है।
  • यह अधिनियम जंगली जानवरों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन, जंगली जानवरों, पौधों तथा उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • यह अधिनियम उन पौधों और जानवरों की अनुसूचियों को भी सूचीबद्ध करता है जिन्हें सरकार द्वारा अलग-अलग स्तर की सुरक्षा तथा निगरानी प्रदान की जाती है।

संरक्षण हेतु प्रयास

  • हिमाचल प्रदेश में पेंटब्रश स्विफ्ट की खोज आवास संरक्षण के महत्व को रेखांकित करती है।
  • तत्काल संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें तितली पार्क और संरक्षण रिजर्व, तितली पालन या प्रजनन केंद्र और देशी मेजबान पौधों की प्रजातियों के वृक्षारोपण की स्थापना शामिल है।
  • संरक्षण पहल को उच्च ऊंचाई वाली तितली प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो निवास स्थान के विनाश के खतरों का सामना कर रही हैं, हाल के वर्षों में उनकी संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
  • सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से तितलियों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना उनके संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

स्रोत: टी.एच

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

तितली की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण हेतु राज्य द्वारा संचालित परियोजना, विलोपन के कारण एवं उनके संरक्षण की स्थिति पर चर्चा कीजिए।