गुटनिरपेक्ष आंदोलन का 19वाँ शिखर सम्मेलन

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का 19वाँ शिखर सम्मेलन

GS-II: अंतरराष्ट्रीय संबंध(IR)

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रीलिम्स के लिए महत्व

19वाँ NAM शिखर सम्मेलन,गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM),वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट (Voice of the Global South Summit)

मेन्स के लिए महत्व

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना, उद्देश्य, प्रासंगिकता, चुनौतियांऔर भारत के लिए इसका महत्त्व, आगे की राह।

20 जनवरी, 2024

ख़बरों में क्यों:

  • विदेश मंत्रालय के हालिया बयान के मुताबिक गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के 19वें  शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा किया जाएगा।

संबंधित प्रमुख तथ्य:

  • NAM शिखर सम्मेलन: 19वाँ NAM शिखर सम्मेलन 17 से 20 जनवरी तक युगांडा के कंपाला में आयोजित किया जा रहा है।
  • इससे पहले 15 जनवरी को विदेश मंत्रियों की बैठक होगी। विदेश मंत्री द्वारा इसके अलावा कई द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेने का अनुमान है।
  • NAM का मेजबान: युगांडा वर्ष 2024-2027 के दौरान NAM समूह की अध्यक्षता करेगा।
  • जनवरी 2024 में,युगांडा द्वारा दो महत्त्वपूर्ण आयोजनों की मेजबानी की जाएगी, जिसमें NAM शिखर सम्मेलन और G7 व चीन के द्वारा आयोजित तीसरा दक्षिण शिखर सम्मेलन (3rd South Summit) शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि18वां गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) शिखर सम्मेलन अक्टूबर 2019 मेंअजरबैजान की  राजधानी  बाकू में आयोजित किया गया था।
  • 18 वें NAM शिखर सम्मेलन का विषय "समकालीन दुनिया की चुनौतियों के लिए ठोस और पर्याप्त प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए बांडुंग सिद्धांतों का पालन करना था।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) के बारे में:

  • NAM का गठन शीत युद्ध के दौरान राज्यों के एक संगठन के रूप में कियागयाथा।
  • यह राज्य ऐसे थे जो औपचारिक रूप से खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका या सोवियत संघ के साथ जोड़ना नहीं चाहते थे, बल्कि स्वतंत्र या तटस्थ रहना चाहते थे।
  • इस समूह की मूल अवधारणा 1955 में इंडोनेशिया में आयोजित एशिया-अफ्रीका बांडुंग सम्मेलन में हुई चर्चा के दौरान उत्पन्न हुई।
  • सितंबर 1961 में यूगोस्लाविया के बेलग्रेड में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM)का पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया।
  • सदस्य देश:NAM समूह में अफ्रीका के 53 देश, एशिया के 40 देश, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के 26 देश और यूरोप का एक देश (बेलारूस) शामिल है।
  • पर्यवेक्षक: 18 देश और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो NAM के पर्यवेक्षक हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र के लगभग दो-तिहाई सदस्य गुटनिरपेक्ष आंदोलन में प्रतिनिधित्व करते हैं, और वे विश्व की जनसंख्या का 55% हैं।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्य:

  • शीत युद्ध की राजनीति का त्याग करना और स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय राजनीति काअनुसरण करना
  • सैन्य गठबंधनों से पर्याप्त दूरी बनाए रखना
  • साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध करना
  • रंगभेद की नीति के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत करना और मानवाधिकारों कीरक्षा के लिए यथासंभव प्रयास करना

भारत और गुटनिरपेक्ष आन्दोलन (NAM):

  • भारत NAM के संस्थापक सदस्यों में से एक है और इसने वर्ष 1983 में नई दिल्ली में 7वें NAM शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।
  • भारत के लिए NAM का महत्त्व: NAM समूह ने अंतरराष्ट्रीय मंचों और मामलों में भारत को एक उत्कृष्ट स्थान और मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है।
  • भारत ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में उभरने के लिए NAM जैसी पहल का लाभ उठा सकता है।
  • वर्ष 2023 में भारत की G-20 की अध्यक्षता ने ग्लोबल साउथ की चिंताओं को G-20 नेताओं के एजेंडे में सबसे आगे रखा है।
  • उदाहरण के लिए, भारत द्वारा आयोजित वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट (Voice of the Global South Summit) में लगभग 130 देशों की भागीदारी देखी गई है।

वर्तमान में NAM की प्रासंगिकता/महत्त्व:

यह निम्नलिखित क्षेत्रों में सहायक हो सकता है:

  • संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों का पुनर्गठन तथा लोकतंत्रीकरण करना।
  • खाद्य सहयोग, जनसंख्या, व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
  • व्यापार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय प्रवाह को सुनिश्चित करना।
  • विकासशील देशों में हस्तक्षेप और आर्थिक शर्तों के थोपने का विरोध करना।
  • भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव (शीतयुद्ध के बाद) के बीच, आंदोलन का ध्यान दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की ओर केंद्रित हो रहा है।
  • विदेशी ऋण और गरीबी जैसी ग्लोबल साउथ द्वारा सामना की जाने वाली आम समस्याओं को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है।
  • NAM निश्चितता, पारदर्शिता और समानता के साथ विकासशील दुनिया को खाद्य, वित्त, ईंधन और उर्वरक (Food, Finance, Fuel and Fertilizers) की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • विश्वव्यापी संकट के प्रति समन्वित, समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक प्रतिक्रिया:  NAM वैश्विक संकट के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा दे सकता है।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने “कोविड-19 के खिलाफ एकजुट” (United Against COVID-19) विषय पर आधारित ऑनलाइन NAM शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें महामारी के संकट को संबोधित किया गया। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य कोविड-19 से लड़ने में वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा देना और राज्यों तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सामूहिक रूप से महामारी से निपटने के लिए प्रेरित करना था।
  • NAM विकसित और विकासशील देशों के बीच विभिन्न विषयों पर विवादों को बातचीत और शांतिपूर्वक हल करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक भागीदार के मामले में निष्पक्ष निर्णय लिया जाए।
  • NAM शिखर सम्मेलन का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि यह आंदोलन के नेताओं को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय चिंता के मुद्दों पर एक-दूसरे से मिलने और विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करता है।

NAM समूह से के समक्ष चुनौतियाँ:

  • भारत के लिए प्रासंगिकता में कमी: भारत का प्रमुख राष्ट्रीय हित वैश्विक राजनीति के केंद्रीय स्तंभों में से एक बनना है, ऐसे में NAM आज उतना प्रासंगिक नहीं  रहा है।
  • उदाहरण के लिए, भारत के विदेश मंत्री ने हाल ही में कहा कि NAM एक विशेष समय  में पैदा हुआ विचार है और उनका मानना ​​है कि भारत को NAM से कार्रवाई की स्वतंत्रता की अवधारणा का पालन करते हुए, समकालीन बदलावों पर कुशलतापूर्वक प्रतिक्रिया देने के लिए इससे आगे बढ़ना चाहिए।
  • वर्ष 2019 में अजरबैजान में और वर्ष 2016 में वेनेजुएला में हुए गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व उपराष्ट्रपति स्तर पर किया गया था। यह लगातार दूसरी बार था जब भारतीय प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन में अनुपस्थित रहे।
  • NAM का मुख्य उद्देश्य नव स्वतंत्र तीसरी दुनिया के देशों को उन गैर-जरूरी मुद्दों से दूर रखना था, जो उन्हें किसी भी गुट में शामिल होने पर परेशान कर सकते थे। चूँकि शीतयुद्ध समाप्त हो गया है, इसलिए NAM का उद्देश्य अब अस्तित्व में नहीं है, जिसके कारण NAM का भी अस्तित्व समाप्त हो जाना चाहिए।
  • इसके अलावा NAM के एजेंडे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सभी उपनिवेशित देशों के उपनिवेशवाद को खत्म करने पर जोर देना था जिसे अब हासिल भी किया जा चुका है।
  • NAM की कभी-कभी अपने मूल उद्देश्य से भटकने और सदस्य देशों द्वारा अपने व्यक्तिगत एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में इसका दुरुपयोग करने के लिये इसकी आलोचना की गई है।
  • उदाहरण के लिए, अजरबैजानी राष्ट्रपति ने NAM के अध्यक्ष के रूप में पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ाया और चीन को समूह के पर्यवेक्षक के रूप में अपना एजेंडा आगे बढ़ाने की कोशिश करते हुए भी देखा गया है।
  • वर्तमान में, संयुक्त राष्ट्र के बाद देशों का दूसरा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय संगठन काफी हद तक निष्प्रभावी है। चूँकि NAM एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करने की स्थिति में नहीं है।
  • NAM समूहके पास कोई लिखितचार्टर नहीं है और इस पर कोई सख्त नियम नहीं है इसलिए इसकाकोई वैश्विक प्रभाव नहीं है।

आगे की राह:

  • उत्तर और दक्षिण, अमीर तथा गरीब एवं पूँजीपति व श्रमिक वर्गों के बीच बढ़ती असमानताओं से निपटने में NAM समूह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि यह विकासशील देशों को आर्थिक असमानताओं को सामूहिक रूप से संबोधित करने एक मंच प्रदान करता है।
  • वैश्विक राजनीति में लगातार प्रासंगिक और प्रभावशाली बने रहने के लिए, NAM समूह के दायरे को व्यापक बनाते हुए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, एड्स जैसी स्वास्थ्य चिंताओं, नशीले पदार्थों की तस्करी, बढ़ती गरीबी, खाद्य संकट और बेरोजगारी जैसे विभिन्न वैश्विक मुद्दों को शामिल किया जाने की आवश्यकता है।
  • NAM से संबंधित चुनौतियों के संबोधन हेतु इसके सदस्य देशों को समान विचार और कार्रवाई के लिए एक साथ रहना और कार्य करना जारी रखना चाहिए।

स्रोत: द हिंदू

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की नीतियों पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान में इससे संबंधित चुनौतियां एवं प्रासंगिकता पर विचार कीजिए।