ग्रामीण भारत में स्वच्छता संबंधी चुनौतियां

ग्रामीण भारत में स्वच्छता संबंधी चुनौतियां

GS-II: सरकारी नीतियां एवं हस्तक्षेप, स्वास्थ्य

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

स्वच्छ भारत अभियान, जल जीवन मिशन(JJM), जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (CRSP), संपूर्ण स्वच्छता अभियान, राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण, सतत विकास लक्ष्य, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण(NSSO), खुले में शौच मुक्त (ODF)।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

भारत सरकार की स्वच्छता संबंधी सार्वजनिक नीतियां एवं योजनाएं, भारत में स्वच्छता संबंधी डेटा, स्वच्छता संबंधी चुनौतियां, आगे की राह, निष्कर्ष।

08 फरवरी, 2024

संदर्भ:

पिछले दशक में, स्वच्छता कवरेज में सुधार हेतु भारत सरकार की स्वच्छता संबंधी सार्वजनिक नीतियां एवं योजनाएं चमत्कारपूर्ण रही हैं।

पानी और स्वच्छता तक पहुंच मुद्दा संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिकल्पित 17 सतत विकास लक्ष्यों में लक्ष्य 6 है। हालाँकि, विभिन्न उपायों के बावजूद स्वच्छता से संबंधित कुछ चिंताएँ बढ़ रही हैं।

भारत में स्वच्छता संबंधी डेटा:

  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 85% गाँव ओडीएफ प्लस बन गए हैं।
  • राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण- (NSSO) 2012 में, जब 59% ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय तक पहुंच नहीं थी, तो 4% व्यक्तियों ने, जिनके पास शौचालय की सुविधा थी, सुविधा का उपयोग नहीं करने की सूचना दी थी। इसका उपयोग न करने के प्राथमिक कारण थे: कोई अधिरचना न होना (21%); सुविधा में खराबी (22%); सुविधा का अस्वास्थ्यकर/अस्वच्छ होना (20%), और व्यक्ति कारण (23%)।
  • मंत्रालय द्वारा आयोजित अधिक व्यापक राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण (एनएआरएसएस)-राउंड-3 (2019-20) से पता चलता है कि भारत में 95% ग्रामीण आबादी के पास शौचालय की पहुंच थी।
  • स्वामित्व, साझा और सार्वजनिक शौचालयों तक पहुंच क्रमशः 79%, 14% और 1% घरों तक उपलब्ध थी।
  • यह भी बताया गया कि 96% शौचालय क्रियाशील थे और लगभग सभी में पानी की सुविधा थी। हालाँकि, इसी रिपोर्ट से पता चलता है कि केवल 85% ग्रामीण आबादी सुरक्षित, कार्यात्मक और स्वच्छ शौचालयों का उपयोग करती है।
  • यह मानते हए कि घरों में जितने प्रतिशत लोगों के पास शौचालय है, शौचालय तक पहुंच है, शौचालय तक पहुंच और उनके उपयोग के बीच अंतर 10 % तक बढ़ जाता है।

स्वच्छता संबंधी चुनौतियां (Sanitation Challenges):

घर का आकार, सामाजिक मानदंड

  • हमारे अर्थमिति मॉडल बताते हैं कि आर्थिक स्थिति और शिक्षा के साथ-साथ शौचालय का उपयोग घर के आकार पर भी निर्भर करता है। घर का आकार जितना बड़ा होगा, शौचालय का उपयोग न करने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
  • अत्यधिक भीड़भाड़ और सामाजिक मानदंड घर के सभी सदस्यों को एक ही शौचालय का उपयोग करने से रोकते हैं। 2020 के हमारे सर्वेक्षण से पता चलता है कि केवल 3%-4% घरों में एक से अधिक शौचालय हैं। इसके अलावा, यदि पानी तक पहुंच मुश्किल हो तो शौचालय का उपयोग करने की संभावना कम हो जाती है।
  • दूरदराज और पिछड़े गांवों में शौचालय का उपयोग बहुत अधिक पाया जाता है, अगर घरों में पानी तक पहुंच हो।
  • यदि किसी घर में अलग बाथरूम हो तो शौचालय के उपयोग की संभावना भी कम हो जाती है।
  • कार्यक्रम के दूसरे चरण में एक निश्चित आकार से बड़े घरों के लिए एकाधिक शौचालयों को अनिवार्य करने वाला कोई मानदंड नहीं है। ना ही इसमें अटैच बाथरूम बनाने का कोई प्रावधान है।
  • स्वच्छता व्यवहार भी सामाजिक-आर्थिक वर्गों में भिन्न होता है। एनएआरएसएस-3 से पता चलता है कि शौचालयों तक पहुंच उच्च जातियों (97%) के लिए सबसे अधिक और अनुसूचित जातियों (95%) के लिए सबसे कम थी। हमारे बह-राज्य अध्ययन से पता चलता है कि गैर-उपयोगकर्ताओं का प्रतिशत पिछड़ी जातियों की तुलना में उच्च जातियों में अधिक है।
  • इसके अलावा, अभियान डिजाइन में गांवों के बीच नेटवर्क में भिन्नता पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि कुछ गांवों में परिवारों का व्यवहारिक परिवर्तन स्वतंत्र रूप से और अन्य में सामूहिक रूप से हो सकता है।

सामंजस्य का अभाव:

  • एसबीएम-जी के शुरुआती चरण के दौरान 2014 से 2019 के बीच लगभग 10 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया। कवरेज में वृद्धि से सुरक्षित स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरुकता भी बढ़ी हैं।
  • हालाँकि, राष्ट्र में सामूहिक व्यवहार परिवर्तन अभी भी होना बाकी है। हमारे अध्ययन से पता चलता है कि स्वच्छता में व्यवहारिक परिवर्तन स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकता है।
  • यह सामाजिक नेटवर्क और जीवन स्तर में समग्र सुधार पर निर्भर है, जिसमें बेहतर आवास और बुनियादी सेवाओं तक पहुंच शामिल है।
  • इनमें से प्रत्येक बुनियादी जरूरत के लिए अलग-अलग कार्यक्रम हैं, लेकिन वे अच्छी तरह से समन्वित नहीं हैं।
  • भारत में समग्र योजना की कमी के कारण बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में उच्च स्तर के व्यय के बावजूद कार्यक्रमों में तालमेल की कमी है। असंगठित प्रयासों से बहुमूल्य सार्वजनिक वित्त का अकुशल उपयोग होगा।

जल जीवन मिशन(JJM) का प्रभावी न होना:

  • जल जीवन मिशन (JJM) कार्यक्रम 2024 तक प्रत्येक घर में नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन इस मिशन के सकारात्मक परिणाम नहीं देखे गए।

स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) के बारे में:

  • यह अभियान वर्ष 2014 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के प्रयासों में तेजी लाने और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य: ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच को समाप्त करना।
  • देश में सार्वजनिक स्वच्छता कार्यक्रमों की शुरुआत 1986 में केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (CRSP) के शुभारंभ के साथ हुई थी।
  • इसीक्रम में वर्ष 1999 में संपूर्ण स्वच्छता अभियान (Total Sanitation Campaign) शुरू किया गया था।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) प्रथम चरण:

  • भारत में 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
  • इस मिशन के अंतर्गत 10 करोड़ से ज्यादा व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया जिसके परिमाणस्वरूप सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों ने स्वयं को 2 अक्तूबर, 2019 को ODF घोषित कर दिया।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) द्वितीय चरण:

  • यह, प्रथम चरण के तहत प्राप्त की गई उपलब्धियों की स्थिरता और ग्रामीण भारत में ठोस/तरल और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) के लिये पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करने पर जोर देता है।
  • कार्यान्वयनः स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) द्वितीय चरण को वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक की अवधि के लिये 1,40,881 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ एक मिशन के रूप में कार्यान्वित किया जाएगा।
  • शीर्ष पाँच प्रदर्शन करने वाले राज्य तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश हैं जहाँ अधिकतम गाँवों को ODF प्लस घोषित किया गया है।

‘खुले में शौच मुक्त (ODF)’ स्थिति के बारे में:

  • ODF: किसी क्षेत्र को ODF के रूप में अधिसूचित या घोषित किया जा सकता है यदि दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता है।
  • ODF+: एक शहर को ODF+ घोषित किया जा सकता है, यदि किसी दिन किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच और/या पेशाब करते हुए नहीं पाया जाता है और सभी सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक अवस्था में एव सुव्यवस्थित हैं।
  • ODF++: एक शहर को ODF++ घोषित किया जा सकता है, यदि वह पहले से ही ODF+ स्थिति में है और वहाँ मल कीचड़/सेप्टेज (Faecal sludge/Septage) और नालियों का सुरक्षित रूप से प्रबंधन तथा उपचार किया जाता है एवं किसी प्रकार के अनुपचारित कीचड़ सेप्टेज (Sludge/Septage) और नालियों की निकासी जल निकायों या खुले क्षेत्रों के नालों में नहीं होती है।

आगे की राह:

  • सामूहिक व्यवहार परिवर्तन: राष्ट्र में सामूहिक व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता है। जैसा कि अध्ययनों से पता चलता है कि स्वच्छता में व्यवहारिक परिवर्तन स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकता है। यह सामाजिक नेटवर्क और जीवन स्तर में समग्र सुधार पर निर्भर है, जिसमें बेहतर आवास और बुनियादी सेवाओं तक पहुंच शामिल है।
  • छूटे हुए परिवारों को कवर करना: छूटे हुए परिवारों की संख्या काफी है और उन्हें एसबीएम चरण II में कवर करने की आवश्यकता है। सरकार को पिछले चरण की कमियों को पहचानना चाहिए और वर्तमान चरण में कमियों को दूर करना चाहिए।
  • नागरिक समाज की भागीदारी: स्वच्छता नीतियों और कार्यक्रमों को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय प्राथमिकताओं के डिजाइन, कार्यान्वयन और निगरानी में महिलाओं सहित नागरिक समाज की भागीदारी की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
  • प्रभावी निगरानी: बेहतर जवाबदेही और कार्यान्वयन के लिए कुशल निगरानी और मूल्यांकन के लिए संस्थानों को मजबूत करने की आवश्यकता है।
  • विश्लेषण और मूल्यांकन करें: नीतियों, शासन संरचनाओं और फंडिंग की जांच के लिए एक विश्लेषण की आवश्यकता है। योजनाओं के कवरेज और स्वास्थ्य सुविधाओं में अनुपालन पर अद्यतन आंकड़ों के लिए मूल्यांकन आवश्यक है। यह नीतियों को प्राथमिकता देने और संसाधन जुटाने का आधार बनेगा।

निष्कर्ष:

  • भारत में स्वच्छता संबंधी कार्यक्रमों को लागू करने से सार्वजनिक जीवन एवं स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं, लेकिन सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच एक चुनौती बनी हुई है। इसलिए सरकार को 2024-25 तक भारत को खुले में शौच मुक्त से खुले में शौच मुक्त प्लस स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव करने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

देश में स्वच्छता कवरेज में उल्लेखनीय प्रगति एवं सुधार के बावजूद, कई चुनौतियां मौजूद हैं। इन सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक चुनौतियों के निराकरण हेतु आगे की राह का उल्लेख कीजिए।