एशिया-प्रशांत “एसडीजी प्रगति” रिपोर्ट, 2024

एशिया-प्रशांत “एसडीजी प्रगति” रिपोर्ट, 2024

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

एशिया और प्रशांत SDG प्रगति रिपोर्ट 2024, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP), सतत विकास लक्ष्य (SDG)।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

एशिया-प्रशांत SDG प्रगति रिपोर्ट- 2024: प्रमुख तथ्य, प्रमुख सिफारिशें, एशिया-प्रशांत SDG प्रगति रिपोर्ट की महत्ता, SDG से संबंधित भारत की प्रगति रिपोर्ट, चिंताएं, सतत विकास लक्ष्य(SDG)।

22/02/2024

चर्चा में क्यों:

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) ने एशिया-प्रशांत SDG प्रगति रिपोर्ट- 2024 जारी की है।

  • रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में 2062 तक की देरी हो सकती है, जो निर्धारित समय सीमा से 32 साल अधिक है।

एशिया-प्रशांत SDG प्रगति रिपोर्ट के बारे में:

  • एशिया और प्रशांत SDG प्रगति रिपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के प्रमुख प्रकाशनों में से एक वार्षिक रिपोर्ट है, जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों की सफलता एवं चुनौतियों का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

एशिया-प्रशांत SDG प्रगति रिपोर्ट की महत्ता:

  • यह रिपोर्ट SDG प्रगति का एक संक्षिप्त समीक्षा प्रदान करती है और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए अधिक न्यायसंगत, समावेशी और रणनीतिक परामर्श प्रदान करती है।
  • यह रिपोर्ट सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में किये गए प्रयासों की सफलता और विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद विशिष्ट चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • वार्षिक एसडीजी प्रगति रिपोर्ट एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक लक्ष्यों पर प्रगति का एक सिंहावलोकन प्रदान करती है।
  • यह रिपोर्ट ESCAP और उसके भागीदारों की गतिविधियों और नीति प्रतिक्रियाओं के लिए आधार के रूप में कार्य करती है।

रिपोर्ट से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • सतत् विकास लक्ष्य (SDG) की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, एशिया और प्रशांत के पाँच उपक्षेत्रों के मध्य असमान एवं अपर्याप्त रूप से विकास हुआ है।

प्रगति में विलंब:

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्य निर्धारित वर्ष 2030 के बजाय 2062 तक ही संभवता हासिल किए जा सकेंगे।
  • 116 मापने योग्य SDG लक्ष्यों में से केवल 11% को ही पूरा किया जा रहा है। यदि वर्तमान प्रक्षेप-पथ जारी रहता है, तो वर्ष 2030 तक क्षेत्र को आवश्यक प्रगति का केवल एक-तिहाई ही प्राप्त होने का अनुमान है।

जलवायु कार्रवाई:

  • SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) पर प्रगति गंभीर रूप से पीछे है, SDG 13 के सभी लक्ष्य या तो स्थिर हैं या इनकी गति मंद है, जो राष्ट्रीय नीतियों में जलवायु कार्रवाई को शामिल करने और जलवायु से संबंधित आपदाओं से निपटने के लिये समुत्थानशक्ति को सुदृढ़ करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
  • वर्तमान में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 169 SDG लक्ष्यों में से लगभग 67% मापने योग्य नहीं हैं।
  • जलवायु लक्ष्य (SDG 13) के तहत 62.5% संकेतकों में प्रगति की निगरानी के लिये आवश्यक डेटा का अभाव है।
  • वर्ष 2017 के बाद से डेटा उपलब्धता में सुधार हुआ है लेकिन यह 3 जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों सहित 53 लक्ष्यों के लिये अपर्याप्त है।

शैक्षिक विकास:

  • स्कूल नामांकन दर में समग्र प्रगति के बावजूद, क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा तथा रोज़गार के अवसरों तक पहुँचने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • उनकी नामांकन दर कम है और उन्हें साक्षर होने के लिये संघर्ष करना पड़ता है। युवा महिलाओं को भी श्रम बाज़ारों तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे युवा बेरोज़गारी की दर अधिक हो जाती है।
  • इस बीच, पुरुषों के सामने आने वाली चुनौतियाँ उनके स्वास्थ्य या व्यक्तिगत सुरक्षा से संबंधित होती हैं।
  • वे आत्महत्या, दीर्घकालिक व्याधियों और सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की उच्च दर से पीड़ित हैं।
  • भुखमरी की समाप्ति (SDG 2), अच्छा स्वास्थ्य और जीवनस्तर (SDG 3), स्वच्छ जल एवं स्वच्छता (SDG 6), किफायती तथा स्वच्छ ऊर्जा (SDG 7) व टिकाऊ शहरी व सामुदायिक विकास (SDG 11) जैसे लक्ष्यों पर प्रगति को भी सीमित कर दिया गया है।
  • ये लक्ष्य जलवायु परिवर्तन से निकटता से संबंधित हैं और उन चुनौतियों का सामना करते हैं जो क्षेत्र में प्रगति को बाधित कर सकती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन और मौसम की चरम घटनाओं को अगले दशक में गंभीर वैश्विक जोखिमों के रूप में पहचाना गया है, जिससे SDG लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये जलवायु कार्रवाई को संबोधित करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है।
  • फिलीपींस में दिव्यांग बच्चों के समर्थन की लागत का अनुमान लगाने के उद्देश्य से समर्पित अनुसंधान और विश्लेषण ने विकलांगता भत्ता प्रदान करने, विकलांग बच्चों को सहायता प्रदान करने के लिये हाल के कानून को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • वियतनाम में राष्ट्रव्यापी डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने डिजिटल परिवर्तन में तेज़ी लाने और युवाओं तथा प्रवासी श्रमिकों के लिये कौशल एवं रोज़गार अंतर को समाप्त करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के मूल्य पर प्रकाश डाला है।
  • इस बीच उत्तर और मध्य एशिया में, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान तथा उज़्बेकिस्तान में राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों को राज्यविहीन आबादी को बेहतर समर्थन देने के लिये उन्नत किया गया है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें:

  • महिलाओं, लड़कियों, ग्रामीण आबादी और शहरी गरीबों सहित हाशिए पर रहने वाले समूहों को प्रभावित करने वाली असमानताओं को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता है, जो स्वयं को शिक्षा तथा रोज़गार के अवसरों से वंचित पाते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने और विभिन्न सतत् विकास लक्ष्य (SDG) हासिल करने के लिये संधारणीय बुनियादी ढाँचे तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता है।

SDG से संबंधित भारत की प्रगति रिपोर्ट:

  • इस रिपोर्ट के मुताबिक, सतत विकास लक्ष्यों के 85 मापदंडों पर भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है, जबकि 27 मामलों में प्रगति लगभग स्थिर रही है. जबकि 36 मामलों में प्रगति खराब रही है.
  • भारत के समग्र SDG स्कोर में 6 अंकों का सुधार हुआ, जो वर्ष 2019 में 60 से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 66 हो गया।
  • उल्लेखनीय उपलब्धियों में क्रमशः 83 और 92 के समग्र लक्ष्य स्कोर के साथ लक्ष्य 6 (स्वच्छ जल व स्वच्छता) तथा लक्ष्य 7 (सस्ती व शुद्ध ऊर्जा) शामिल हैं।

चिंताएं:

  • कुपोषण: देश में कुपोषण की स्थिति पहले से भी बदतर हो गयी है।
  • जहां 2015 में देश की 14 फीसदी आबादी कुपोषण से पीड़ित थी, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 16.6 फीसदी हो गया। इसी तरह देश में महिलाओं में एनीमिया की समस्या भी लगभग पहले जैसी ही है।
  • आत्महत्या: देश में आत्महत्याओं की संख्या भी बढ़ी है।
  • स्वच्छता: घरों से निकलने वाले गंदे पानी के मामले में भी प्रगति पिछड़ गई है।
  • जहां 2020 में घरों से निकलने वाले 26.6 फीसदी दूषित पानी को साफ किया जा रहा था। वहीं 2022 में यह आंकड़ा घटकर 20 फीसदी रह गया है।
  • संसाधनों का उपयोग: देश में संसाधनों का उपयोग बढ़ा है, जहां 2015 में भारत में प्रति व्यक्ति प्रति व्यक्ति मैटेरियल फुटप्रिंट 4.8 टन था, वह 2019 में बढ़कर 5.2 टन हो गया।
  • बेरोजगारी दर: देश में बेरोजगारी दर 2018 में 7.7 फीसदी से बढ़कर 2020 में 7.9 फीसदी हो गई।
  • सतत पर्यटन: सतत पर्यटन के मुद्दे पर प्रगति में भी गिरावट आई है।
  • शरणार्थी समस्या: देश में शरणार्थियों की संख्या जो 2015 में प्रति लाख 0.8 थी वह 2022 में बढ़कर एक हो गई है।
  • रिसर्च और डेवलपमेंट: रिसर्च और डेवलपमेंट पर होने वाले खर्च में कोई बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है।
  • उत्सर्जन: आंकड़ों के मुताबिक, 2015 से 2019 के बीच कृषि क्षेत्र से उत्सर्जन में भी बढ़ोतरी हुई है।
  • इसके अलावा समुद्री प्रदूषण और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग के मामले में भी प्रगति पिछड़ गई है।

सतत विकास लक्ष्य(SDG):

  • 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए 17 लक्ष्य, अन्य लक्ष्यों के अलावा, 2030 तक अत्यधिक गरीबी और भूख को समाप्त करने, स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक पहुंच सुनिश्चित करने और गुणवत्तापूर्ण सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित हैं। सतत विकास लक्ष्य-17 निम्नलिखित हैं:
    • दुनिया भर से गरीबी को उसके सभी रूपों में समाप्त करना।
    • भूख ख़त्म करना, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना।
    • सभी उम्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना।
    • सभी को सीखने के अवसर प्रदान करते हुए समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना।
    • लैंगिक समानता हासिल करना और महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना।
    • सभी के लिए स्वच्छता और पानी के स्थायी प्रबंधन तक पहुंच सुनिश्चित करना।
    • सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना।
    • निरंतर, समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार और सभी के लिए सभ्य काम को बढ़ावा देना।
    • लचीला, समावेशी और टिकाऊ औद्योगीकरण को बढ़ावा देना।
    • देशों के बीच और देशों के भीतर असमानता को कम करना।
    • सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहरों और मानव बस्तियों का निर्माण।
    • टिकाऊ उपभोग और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करें।
    • जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।
    • सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग करें।
    • स्थायी उपयोग को बढ़ावा देते हुए स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के बढ़ते नुकसान को रोकने, वनों, भूमि क्षरण और जैव विविधता की रक्षा करने का प्रयास।
    • सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देना और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सभी स्तरों पर प्रभावी और जवाबदेह बनाना।
    • सतत विकास के लिए वैश्विक साझेदारी को पुनर्जीवित करने सहित कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत करना।

निष्कर्ष:

भारत द्वारा सतत विकास लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता और सफलता प्रशंसनीय है। हालांकि, सतत विकास लक्ष्य से जुड़ी चिंताओं के समाधान हेतु विशेषकर जलवायु कार्रवाई के लिए भारत को राष्ट्रीय नीतियों में एकीकृत करने के साथ, बदलावों को अपनाने और जलवायु संबंधी आपदाओं से निपटने के लिए अनुकूलन क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही हमें टिकाऊ बुनियादी ढांचे और अक्षय ऊर्जा में और अधिक निवेश की आवश्यकता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

एशिया-प्रशांत “एसडीजी प्रगति” रिपोर्ट, 2024 के आलोक में भारत के समग्र सतत विकास लक्ष्य अर्जन और इससे संबंधित चिताओं का परीक्षण कीजिए।