एनसीईआरटी की बुक्स में राखीगढ़ी की खोज के निष्कर्ष शामिल

एनसीईआरटी की बुक्स में राखीगढ़ी की खोज के निष्कर्ष शामिल

GS-1: कला एवं संस्कृति (इतिहास)

(IAS/UPPCS)

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT), हड़प्पाई स्थल- राखीगढ़ी पुरास्थल, हस्तिनापुर (Hastinapur), शिवसागर (Shivsagar), धौलावीरा (Dholavira), आदिचनल्लूर (Adichanallur)।

मेंस के लिए प्रासंगिक:

 राखीगढ़ी पुरास्थल डीएनए से प्राप्त निष्कर्ष, हड़प्पाई स्थलों के विकस हेतु भारत सरकार की पहल निष्कर्ष।

08/04/2024

स्रोत: द हिंदू

प्रसंग:

हाल ही में, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने प्राचीन हड़प्पाई स्थल राखीगढ़ी से प्राप्त DNA के निष्कर्षों को जोड़कर कक्षा 12 के इतिहास के पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए हैं।

  • इस संबंध में, राखीगढ़ी पुरास्थल पर हाल ही में किए गए पुरातत्व-आनुवांशिक अनुसंधान का उल्लेख करना आवश्यक है।
  • हड़प्पावासियों के आनुवांशिक इतिहास का अध्ययन करने के लिए राखीगढ़ी में खुदाई से प्राप्त मानव कंकाल के अवशेषों से डीएनए निकाला गया था।
  • यह शोध कार्य डेक्कन कॉलेज, डीम्ड यूनिवर्सिटी, पुणे द्वारा सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद और हार्वर्ड मेडिकल कॉलेज के सहयोग से किया गया है।

डीएनए निष्कर्ष क्या हैं?

  • हरियाणा के राखीगढ़ी में पुरातात्विक स्रोतों से प्राचीन डीएनए के अध्ययन से पता चलता है कि हड़प्पावासियों की आनुवंशिक जड़ें 10,000 ईसा पूर्व तक जाती हैं।
  • हड़प्पावासियों का डीएनए आज तक कायम है और दक्षिण एशियाई आबादी का अधिकांश हिस्सा उन्हीं का वंशज प्रतीत होता है। मतलब आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि हड़प्पावासी इस क्षेत्र के मूल निवासी थे।
  • ये निष्कर्ष बड़े पैमाने पर आप्रवासन के बिना आनुवंशिक निरंतरता का संकेत देते हैं। मतलब सीमावर्ती क्षेत्रों और दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले लोग भारतीय समाज में समाहित हो गए थे।

अन्न भंडार:

  • इस स्थल से परिपक्व हड़प्पा चरण (2600 ईसा पूर्व से 2000 ईसा पूर्व) से संबंधित एक अन्न भंडार यहां पाया गया है। इसमें 7 आयताकार या वर्गाकार कक्ष हैं।

संस्कृति, पहनावा और पूजा:

  • राखीगढ़ी में अग्नि वेदियाँ और अर्धवृत्ताकार संरचनाएँ प्रकट हुईं हैं। मिट्टी की ईंटों से बने पशु बलि के गड्ढे और मिट्टी के फर्श पर त्रिकोणीय और गोलाकार अग्नि वेदियां हड़प्पावासियों की अनुष्ठान प्रणाली की ओर इशारा करती हैं।
  • एक बेलनाकार मुहर जिसके एक तरफ 5 हड़प्पा के पात्र और दूसरी तरफ एक मगरमच्छ का प्रतीक है, इस साइट से एक महत्वपूर्ण खोज है।
  • एक ऐसी जगह मिली है जिसके बारे में माना जाता है कि यह आभूषण बनाने की इकाई है।

घरों का विकास:

  • इस साइट पर उचित जल निकासी व्यवस्था के साथ मिट्टी की ईंट और पक्की ईंट दोनों के घर हैं।

कब्रिस्तान और दफन स्थल:

  • राखीगढ़ी में परिपक्व हड़प्पा काल का एक कब्रिस्तान खोजा गया है, जिसमें आठ कब्रें मिली हैं।

खोजे गए अवशेष:

  • सिरेमिक उद्योग का प्रतिनिधित्व लाल बर्तन द्वारा किया जाता था, जिसमें डिश-ऑन-स्टैंड, फूलदान, जार, कटोरा, बीकर, छिद्रित जार, प्याला और 'हांडी' (पैन) शामिल थे।
  • अन्य पुरावशेषों में ब्लेड शामिल हैं; टेराकोटा और सीप की चूड़ियाँ; अर्द्ध कीमती पत्थरों के मोती, टेराकोटा, शंख और तांबे की वस्तुएं; जानवरों की मूर्तियाँ, खिलौना गाड़ी का ढाँचा और टेराकोटा का पहिया; हड्डी बिंदु; उत्कीर्ण स्टीटाइट मुहरें और मुहरें।
  • नेक्रोपोलिस:  खुदाई में कुछ विस्तारित कब्रगाहें मिली हैं, जो निश्चित रूप से बहुत बाद के चरण की हैं, हो सकता है कि यह मध्ययुगीन काल की हो। यहां एक नर और मादा को दो बार दफनाने वाली दुर्लभ कब्र मिली है।

राखीगढ़ी के बारे में:

साइट स्थान:

  • यह पुरास्थल हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है, जो 550 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है.
  • वर्तमान राखीगढ़ी घग्गर नदी से 27 किमी दूर, घग्गर-हकरा नदी के मैदान में स्थित है।
  • इस स्थल की खोज वर्ष 1969 में सूरजभान ने की थी।
  • यह पुरातात्विक स्थल, 2600-1900 ईसा पूर्व का है।
  • यह भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ा हड़प्पाकालीन स्थल है।

हड़प्पाई स्थलों के विकस हेतु भारत सरकार की पहल: 

  • वर्ष 2020 में राखीगढ़ी (Rakhigarhi)  को एक प्रतिष्ठित स्थल के रूप में विकसित करने तथा यहाँ एक राष्ट्रीय संग्रहालय स्थापित करने की घोषणा की गयी थी।
  • इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर (Hastinapur), असम में शिवसागर (Shivsagar), गुजरात में धौलावीरा (Dholavira) और तमिलनाडु में आदिचनल्लूर (Adichanallur) को भी राष्ट्रीय संग्रहालयों के साथ प्रतिष्ठित स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। ताकि इन स्थलों के सामाजिक एवं आर्थिक लाभ अर्जित किए जा सकें।

हस्तिनापुर (Hastinapur):

  • उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में स्थित हस्तिनापुर महाभारत काल में पांडवों एवं कौरवों की प्राचीन राजधानी थी। प्राचीन काल में यह कई धर्मों का संगम स्थल था।
  • यहाँ स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर (Shri Digamber Jain Bada Mandir) सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जबकि अन्य मंदिरों में जंबूद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर और अस्तपद जैन मंदिर भी है।
  • हस्तिनापुर को पंच प्यारे भाई धर्म सिंह के जन्मस्थान के रूप में भी जाना जाता है जो गुरु गोविंद सिंह (दसवें सिख गुरु) के शिष्य थे।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वर्ष 1950-52 में हस्तिनापुर में उत्खनन किया था और इसमें तीर, भाला, चिमटा, हुक, कुल्हाड़ी, चाकू आदि शामिल थे।

शिवसागर (Shivsagar):

  • असम में स्थित यह स्थान वर्ष 1699 से 1788 ईस्वी के मध्य अहोम साम्राज्य की राजधानी था और पहले इसे रंगपुर के नाम से भी जाना जाता था।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को कारेनघर (तलातलघर) परिसर जो अहोम शक्ति का गढ़ था, में उत्खनन के दौरान रास्ते के संरचनात्मक अवशेषों के साथ, लंबी दीवारें, नालियों के लिये टेराकोटा पाइप, फूलदान और कुछ पात्र मिले थे।
  • यहाँ स्थित अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल रंग घर (Rang Ghar) है, जो अहोम राजाओं के लिए एक रंगभूमि था, जिसे खेल के लिये उपयोग किया जाता था।

धौलावीरा (Dholavira):

  • हड़प्पा सभ्यता से संबंधित यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।
  • 100 हेक्टेयर ने फैले इस स्थल की खोज वर्ष 1967-68 ईस्वी में जे. पी. जोशी ने की थी।
  • यह भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर था जो तीन भागों में विभाजित था- दुर्ग, मध्यम नगर और निचला नगर।
  • इस स्थल की सबसे महत्त्वपूर्ण खोज यहाँ विश्व की सबसे पुरानी जल संरक्षण प्रणाली मिली है जहाँ वर्षा जल का संचयन किया जाता था।

आदिचनल्लूर (Adichanallur):

  • तमिलनाडु के थूथुकुडी (Thoothukudi) ज़िले में इस पुरातात्विक कलश-दफन स्थल को पहले जर्मन प्रकृतिवादी डॉ. जागोर (Jagor) और बाद में एक अंग्रेज पुरात्तवविद अलेक्जेंडर रे (Alexander Rea) ने वर्ष 1876 और 1905 के बीच खुदाई का कार्य करवाया था।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वर्ष 1902-03 की वार्षिक रिपोर्ट में अलेक्जेंडर रे ने दक्षिणी भारत में खोजे गए इस स्थल को सबसे व्यापक प्रागैतिहासिक स्थल के रूप में बताया है।

निष्कर्ष:

हरियाणा स्थित राखीगढ़ी हड़प्पाई स्थल से खोजे गए अवशेषों से प्राप्त निष्कर्षों को हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 12 कक्षा के प्राचीन इतिहास के पाठ्यक्रम में जोड़ा है ताकि वैज्ञानिक एवं शोध पर आधारित प्राचीन भारत के समाज से संबंधित तथ्यों से विद्यार्थियों को परिचित कराया जा सके। सामाजिक एवं आर्थिक लाभ अर्जित करने के लिए केंद्र सरकार इन हड़प्पाई स्थलों के विकास पर भी ध्यान दे रही है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

राखीगढ़ी से खोजे गए अवशेष प्राचीन भारतीय सामाजिक संस्कृति के परिचायक हैं विवेचना कीजिए।  

हालिया वर्षों में कुछ हड़प्पाई स्थलों के विकास हेतु भारत सरकार ने पहल शुरू की है। चर्चा कीजिए।