भारतीय आम चुनाव, 2024

भारतीय आम चुनाव, 2024

GS-2: राजव्यवस्था और शासन

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

18 वीं लोकसभा, चुनाव आयोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, लोकतंत्र, रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट-1951, प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट-1952, तारकुंडे समिति और गोस्वामी समिति, इवीएम, आदर्श आचार संहिता।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

भारतीय आम चुनाव-2024, चुनाव आयोग(ECI) के बारे में, इसकी भूमिका, आगे की राह, निष्कर्ष।

19/03/2024

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, भारतीय चुनाव आयोग ने चुनिंदा राज्यों में विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 18 वीं लोकसभा के चुनाव कराने की घोषणा की है।

  • मुख्य चुनाव आयुक्त “राजीव कुमार” के अनुसार, इस लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून 2024 को घोषित किए जाएंगे क्योंकि 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होगा।

भारतीय आम चुनाव, 2024

  • चुनाव अवधि: ये लोक सभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक सात चरणों में आयोजित कराए जाएंगे।
  • सात चरण: पहला चरण-19 अप्रैल, दूसरा चरण-26 अप्रैल, तीसरा चरण-7 मई, चौथा चरण-13 मई, पांचवां चरण-20 मई, छठा चरण-25 मई और सातवां चरण-1 जून 2024
  • इस साल लोकसभा चुनाव के साथ चार राज्यों (ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल और आंध्र प्रदेश) में भी विधानसभा चुनाव होंगे।
  • उल्लेखनीय है कि 2019 में लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में संपन हुए थे, जबकि 2014 में नौ चरणों में चुनाव हुए थे।
  • इस बार के लोक सभा चुनाव की मतदाता सूची में 85 वर्ष से अधिक आयु के 82 लाख मतदाता और 2.18 लाख शताब्दी के मतदाता शामिल हैं।

भारतीय चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश:

चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा:

  • चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग हर उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा तय करता है:
    • लोकसभा उम्मीदवार 95 लाख से रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकता है।
    • वहीं, जिन राज्यों में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं वहां विधानसभा उम्मीदवार 40 लाख रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकता है।
  • 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक और 40 प्रतिशत बेंचमार्क विकलांगता वाले दिव्यांग व्यक्ति (PwD) मतदाता घर से मतदान कर सकते हैं।

चुनाव के बारे में:

  • चुनाव वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग वोट देकर किसी विधायी निकाय में अपनी ओर से कार्य करने, उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतिनिधियों को चुनते हैं।
  • चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं, जिसका अर्थ है कि 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी भारतीयों को वोट देने का अधिकार है, चाहे उनकी जाति, रंग, धर्म, लिंग या जन्म स्थान कुछ भी हो।
  • चुनाव देश के प्रत्येक वयस्क नागरिक को सरकार गठन की प्रक्रिया में भाग लेने में सक्षम बनाते हैं।

भारत में चुनावी परिदृश्य:

  • भारत में अक्सर चुनाव होते रहते हैं। इनमें लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधान सभाओं (विधानसभाओं) विधान परिषदों (विधान परिषद) और भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के सदस्यों का चुनाव करने के लिए चुनाव शामिल हैं।
  • नगर पालिकाओं, नगर निगमों और पंचायती राज जैसे स्थानीय निकायों के लिए भी चुनाव होते हैं।

चुनाव आयोग(ECI) के बारे में:

  • भारत का चुनाव आयोग एक स्वायत्त एवं अर्द्ध न्यायिक संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में चुनाव प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होता है। यह तीन सदस्यीय निकाय है।

भूमिका:

  • निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना,
  • राजनीतिक दलों को मान्यता देना,
  • प्रतीकों का आवंटन करना और
  • चुनावों के संचालन और पर्यवेक्षण के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करना।

चुनाव प्रक्रिया:

चुनाव के लिए अधिसूचना:

  • चुनाव की प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर तब शुरू होती है जब चुनाव आयोग की सिफारिश पर लोकसभा के मामले में राष्ट्रपति और राज्य विधानसभा के मामले में राज्यपाल चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करते हैं।

नामांकन दाखिल करना:

  • जो व्यक्ति चुनाव लड़ने का इरादा रखता है, उसे निर्धारित प्रपत्र में नामांकन पत्र दाखिल करना होता है, जिसमें उसका नाम, उम्र, डाक पता और मतदाता सूची में क्रमांक अंकित होता है।

सुरक्षा(जमानत) राशि:

  • प्रत्येक उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करते समय सुरक्षा राशि जमा करनी होती है।
  • हर चुनाव के लिए अलग-अलग जमानत राशि होती है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जमानत राशि का उल्लेख रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में जबकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की जमानत राशि का उल्लेख प्रेसिडेंट एंड वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 में किया गया है।
  • लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग और एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग जमानत राशि होती है। जबकि, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए एक ही राशि होती है।
  • लोकसभा चुनाव: सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है. वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है।
  • विधानसभा चुनाव: सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को को 5 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सभी वर्ग के उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।
  • चुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है।

नामांकन की जांच और वापसी:

  • रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा प्राप्त सभी नामांकन पत्रों की जांच चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दिन पर की जाती है। उम्मीदवार अपना नामांकन वापस भी ले सकते हैं।

चुनाव अभियान:

  • चुनाव प्रचार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक उम्मीदवार मतदाताओं को दूसरों के बजाय उसे वोट देने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करता है।
  • इस अवधि के दौरान, उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र में यात्रा करके अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।

आदर्श आचार संहिता:

  • प्रचार अवधि के दौरान राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों से राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के आधार पर भारत के चुनाव आयोग द्वारा विकसित आदर्श आचार संहिता का पालन करने की अपेक्षा की जाती है।
  • यह चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही लागू हो जाती है।

मतदान, गिनती और परिणाम की घोषणा:

  • मतदान कराने के लिए प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी संख्या में मतदान केंद्र स्थापित किए जाते हैं।
  • प्रत्येक बूथ को प्रक्रिया में मदद के लिए मतदान अधिकारियों के साथ एक पीठासीन अधिकारी के प्रभार में रखा गया है।
  • जो उम्मीदवार किसी निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक वोट प्राप्त करता है उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है।

चुनाव सुधार हेतु आयोग:

  • लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन की अध्यक्षता में तारकुंडे समिति और गोस्वामी समिति द्वारा समय-समय पर कई चुनाव सुधारों की सिफारिश की गई है। कुछ सुधार इस प्रकार हैं:
  • मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई है।
  • सुरक्षा जमा राशि में वृद्धि की गयी
  • फोटो पहचान पत्र पेश किए गए
  • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया गया

आगे की राह:

  • भारतीय चुनाव आयोग ने देश में लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखने अभी तक चुनाव प्रणाली में कई प्रभावशाली सुधार किए हैं। हालांकि अभी भी कुछ और कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे-
    • चुनावी राजनीति में धन की भूमिका को नियंत्रित करने के लिए कड़े प्रावधान होने चाहिए।
    • किसी भी आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए
    • प्रचार में जातिगत एवं धार्मिक अपीलों के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए।
    • लोगों को स्वयं अधिक सतर्क रहना होगा, राजनीतिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होना होगा।

निष्कर्ष:

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है। वयस्क मताधिकार की स्वीकृति और चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता के आधार पर भारत ने अपनी चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने का प्रयास किया है। भारत की इस उपलब्धि में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराए गए चुनावों की विशेष भूमिका रही है। हालांकि, इसके बावजूद भी भारतीय चुनाव प्रणाली में कठोर चुनाव सुधारों की आवश्यकता है। चुनाव प्रणाली के सुधार की दिशा में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी चंदे को गैर-संवैधानिक घोषित करना एक महत्वपूर्ण कदम कहा जा सकता है।  

स्रोत: द हिंदू

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

भारतीय आम चुनाव, 2024 के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा कीजिए

भारतीय चनाव आयोग की कार्य प्रणाली एवं भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।