भारत और फ्रांस के मध्य बढ़ती रणनीतिक साझेदारी

 

भारत और फ्रांस के मध्य बढ़ती रणनीतिक साझेदारी

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2

(अंतरराष्ट्रीय संबंध)

भूमिका:

  • भारत और फ्रांस के बीच पिछले 25 साल से रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है। हाल के दिनों में भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच पेरिस शिखर वार्ता से दोनों देशों के बीच संबंधों का विस्तार हुआ है। नई विश्व व्यवस्था को ध्यान में रखकर दोनों देशों अपने संबंधों को नया रूप दे रहे हैं।
  • इसमें प्रमुख वजह भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था तो है ही। साथ ही, बदलती वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में भारत को लेकर दुनिया के तमाम देशों का नजरिया सकारात्मक हो रहा है। फ्रांस- भारत संबंधों पर इसका भी असर दिख रहा है।

भारत-फ्रांस संबंध

पृष्ठभूमि:

  • पिछले ढाई दशक से दोनों देशों की ओर से कई कूटनीतिक प्रयास किए गए हैं। जनवरी 1998 से दोनों देशों के मध्य रक्षा एवं रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से द्विपक्षीय संबंध कायम हैं।
  • संबंधों की शुरुआत से फ्रांस ने भारत के लिए एक मजबूत दोस्त की तरह साथ दिया है और बदलते समय में भारतीय आवश्यकताओं को पूरा किया है। उदाहरण के तौर पर, जब भारत ने मई 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण किया था, तो अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने इसकी निंदा करते हुए भारत पर अलग-अलग प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके बावजूद फ्रांस मजबूती से भारत के साथ खड़ा था। तब भी फ्रांस ने भारत को हथियारों का निर्यात करने से इनकार नहीं किया।

वर्तमान संदर्भ में:

  • रक्षा सहयोग के मामले में फ्रांस के लिए भारत कुछ साल में बड़ा साझेदार बनकर उभरा है।
  • रक्षा क्षेत्र में भारत, फ्रांस के लिए बहुत बड़ा बाजार है।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 63 विषयों से संबंधित समझौतों पर सहमत हुए। सुरक्षा, संप्रभुता के लिए साझेदारी के तहत दोनों देश लड़ाकू जेट और पनडुब्बियों पर सहयोग जारी रखने पर सहमत हुए हैं।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र में फ्रांस के सीएनईएस और भारत के इसरो के बीच कई समझौतों के माध्यम से वैज्ञानिक और वाणिज्यिक साझेदारी को बढ़ाया जा रहा है, विशेष रूप से पुन: प्रयोज्य लांचर के संबंध में। नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के तहत दोनों देश भारत के जैतापुर में 6-ईपीआर बिजली संयंत्र परियोजना, छोटे माड्यूलर परमाणु संयंत्रों और उन्नत संयंत्रों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त कार्रवाई के दोनों देश एक रोडमैप अपनाएंगे, जिसमें व्यापक रणनीति के सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा। आतंकवाद-निरोध कार्यक्रम के तहत फ्रांस के जीआइजीएन और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के बीच सहयोग को मजबूत किया जाएगा।

प्रौद्योगिकी सहयोग:

  • प्रौद्योगिकी सहयोग के तहत अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से सुपरकंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम कंप्यूटिंग पर सहयोग को मजबूत किया जाएगा। फ्रांसीसी एटोस और भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बीच सुपर कंप्यूटर की आपूर्ति के लिए 920 करोड़ रुपए से अधिक के समझौते की घोषणा की गई है।
  • नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में फ्रांस और भारत के बीच मार्गों के विस्तार और भारतीय नागरिक उड्डयन बाजार की वृद्धि तकनीकी और सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जहां तक गंभीर वैश्विक मुद्दों का सवाल है, प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर अंतरराष्ट्रीय संधि को अपनाने के लिए फ्रांस और भारत ने प्रतिबद्धता जताई है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाएगा। ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में फ्रांसीसी एजंसी ने 923 करोड़ रुपए के वित्तपोषण की घोषणा की है। शिक्षा और अनुसंधान को लेकर भी करार हुए हैं।
  • आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए तमाम कदमों के बावजूद अभी भी भारत दुनिया के बड़े हथियार आयातक देशों की कतार में है। इसके विपरीत फ्रांस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है। दुनिया में हथियारों समेत रक्षा उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार है। दुनिया के शीर्ष पांच हथियार निर्यातक देशों में अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और जर्मनी हैं। वैश्विक हथियार व्यापार में इन पांच देशों की हिस्सेदारी तीन चौथाई से ज्यादा है। ये पांचों देश मिलकर सालाना 85 बिलियन डालर मूल्य के हथियार बेचते हैं।

फ्रांस से रक्षा खरीद:

  • ‘स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (सिपरी) के अनुसार, भारत 2018 से 2022 के बीच दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक था। इस अवधि में भारत के हथियारों का आयात दुनिया के कुल आयात का लगभग 11 फीसद था। भारत सबसे ज्यादा हथियार रूस से खरीदता है। रूस के बाद फ्रांस ही वो देश है जिससे भारत सबसे ज्यादा रक्षा उत्पाद खरीदता है।
  • सिपरी के मुताबिक भारत के हथियार आयात में रूस की हिस्सेदारी 45 फीसद है। फ्रांस की हिस्सेदारी 29 फीसद और अमेरिका की 11 फीसद है। 2018 से 2022 के दौरान फ्रांस से भारत को हथियार आयात में 2013-17 के मुकाबले 2018-22 के बीच 489 फीसद का इजाफा हुआ है।

निष्कर्ष:

  • रक्षा क्षेत्र विशेषज्ञों के अनुसार, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत ने कई कदम उठाए हैं। इसके बावजूद बाहरी देशों पर निर्भरता को खत्म करने में और अधिक लंबा सफर तय करना पड़ेगा। भारत के रक्षा बाजार पर अमेरिका के साथ ही फ्रांस की भी नजर है। भारत, रूस से हथियारों की खरीद कम करता है तो फ्रांस विकल्प बनना चाहेगा।
  • अमेरिका और चीन भारत के दो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। चीन के साथ खराब होते रिश्तों की वजह से भारत को आयात के मामले में चीन पर निर्भरता को कम करने की जरूरत है। भारत इसके लिए विकल्पों पर काम भी कर रहा है और फ्रांस की नजर इन बदलते हालात पर है। फ्रांस भारत के बड़े बाजार का लाभ उठाना चाहता है।

मुख्य परीक्षा प्रश्न

हालिया वर्षों में भारत और फ्रांस के मध्य रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है। इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए