भारत में “हीट एक्शन प्लान(HAP)” की व्यवहार्यता

भारत में “हीट एक्शन प्लान(HAP) की व्यवहार्यता

GS-1,2,3: भौगोलिक घटनाएं, सरकारी नीतियां, पर्यावरण संरक्षण

(IAS/UPPCS)

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:

हीट वेव, आईएमडी, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, हीट एक्शन प्लान(HAP), एल नीनो, ला नीना

 ।

मेंस के लिए प्रासंगिक:

हीटवेव, हीट एक्शन प्लान (HAP) के बारे में, चुनौतियां, भारत में हीट वेव उत्पन्न होने के मुख्य कारण, आगे की राह, निष्कर्ष।

18/04/2024

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, आईएमडी ने पूर्वी और दक्षिणी भारत में आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान और लू यानि हीट वेव की आवृत्ति में वृद्धि की भविष्यवाणी की है।

  • इस साल फरवरी के शुरू में ही पूर्वोत्तर और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में काफी गर्म तापमान (सामान्य से 3.1-5 डिग्री सेल्सियस ऊपर) दर्ज किया गया था।
  • अत्यधिक गर्मी से उत्पन्न खतरे का सामना करने के लिए भारत के “हीट एक्शन प्लान(HAP)” की व्यवहार्यता एवं इसकी की तैयारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
  • भारत में सबसे निचले स्तर के लोग अत्यधिक गर्मी से प्रभवित होंगे, जिसका उनके स्वास्थ्य और जीविकोपार्जन की क्षमता दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

हीटवेव क्या है:

  • आईएमडी के अनुसार, हीटवेव की परिभाषा क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करती है।

परिभाषा:

  • हीट वेव की स्थिति में किसी क्षेत्र का तापमान उसके औसत तापमान से कम से कम 4.5-6.4 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाता है। 
  • जब मैदानी क्षेत्रों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक, तटीय क्षेत्र का 37 डिग्री या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक पार कर जाता है, तब यह स्थिति हीट वेव कहलाती है।

हीट एक्शन प्लान (HAP) के बारे में:

  • हीट एक्शन प्लान(HAP) आर्थिक रूप से हानिकारक एवं जीवन के लिए खतरनाक हीटवेव के लिए एक प्राथमिक नीतिगत प्रतिक्रिया है। यह हीटवेव के प्रभाव को कम करने के लिए  कई गतिविधियों, आपदा प्रतिक्रियाओं एवं गर्मी के बाद के प्रतिक्रिया उपायों को निर्धारित करती है।
  • हीट एक्शन प्लान (HAP) राज्य, ज़िला और शहर स्तर पर मानव मृत्यु की संख्या और लू के अन्य प्रतिकूल प्रभावों को सीमित करने के लिए अल्पकालिक कार्रवाई करने तथा पिछली हीटवेव के डेटा तथा विश्लेषण के आधार पर आने वाले समय में हीटवेव का सामना करने हेतु दीर्घकालिक कार्रवाई के लिए तैयार किये गए दस्तावेज़ हैं। 
  • अल्पकालिक कार्रवाइयों में लोगों को हीटवेव के प्रति सचेत करना और स्वास्थ्य तथा कृषि जैसे विभिन्न विभागों का समन्वय करना शामिल हो सकता है।
  • दीर्घकालिक कार्रवाइयों में अवसंरचनात्मक परिवर्तन जैसे- ठंडी छतें, हरित आवरण में वृद्धि और जल संचयन संरचनाएँ शामिल हो सकती हैं।

हीट एक्शन प्लान (HAP) की व्यवहार्यता संबंधी चुनौतियां:

अभूतपूर्व चुनौती:

  • अत्यधिक गर्मी स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती है, जलवायु परिवर्तन के कारण हाल के दशकों में हीटवेव की आवृत्ति में वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 1998, 2002, 2010, 2015 और 2022 में हुई हीटवेव की घटनाओं के कारण श्रम उत्पादकता में कमी, जल की उपलब्धता, कृषि तथा ऊर्जा प्रणालियों पर काफी प्रभाव पड़ा जिससे बड़े पैमाने पर मौतों सहित व्यापक स्तर पर आर्थिक क्षति हुई।
  • मानव-प्रेरित कार्रवाइयों के कारण भारत में अत्यधिक हीटवेव की घटनाओं की आवृति की संभावना में 30 गुना वृद्धि हो गई है।

औसत ताप में वृद्धि:

  • वर्ष 2050 तक 24 शहरी केंद्रों में कम-से-कम 35 डिग्री सेल्सियस तापमान के औसत ग्रीष्मकालीन उच्च स्तर को पार करने का अनुमान है, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा।

स्थानीय परिदृश्य हेतु हीट एक्शन प्लान की  अनुपयुक्तता :

  • अधिकांश HAPs स्थानीय परिदृश्य हेतु नहीं बनाए गए हैं। वे आमतौर पर अत्यधिक शुष्क तापमान पर ध्यान केंद्रित करते हैं और आर्द्र ताप तथा गर्म रातों से उत्पन्न खतरों को अनदेखा करते हैं।
  • अधिकांश HAPs ने राष्ट्रीय हीटवेव थ्रेशोल्ड को अपनाया है जो स्थानीय आबादी द्वारा सामना किये जाने वाले जोखिमों के अनुकूल नहीं हो सकता है।
  • 37 HAPs में से केवल 10 में स्थानीय रूप से निर्दिष्ट तापमान सीमाएँ हैं। 

वित्तपोषण की कमी:

  • 37 HAPs में से केवल तीन के वित्तीयन स्रोतों की पहचान की गई है। आठ HAPs कार्यान्वयन विभागों को संसाधनों का स्व-आवंटन की मांग करते हैं, जो एक गंभीर वित्तीयन अभाव का संकेत देता है।

कमज़ोर कानूनी आधार:

  • HAPs का कानूनी आधार कमज़ोर है। समीक्षा की गई HAPs में से कोई भी अपने अधिकार के कानूनी स्रोतों को इंगित नहीं करता है। यह HAPs निर्देशों को प्राथमिकता देने एवं उनका अनुपालन करने हेतु नौकरशाही प्रोत्साहन को कम करता है।

 

पारदर्शिता का अभाव:

  • इसके अलावा HAPs अपर्याप्त पारदर्शी हैं। HAPs का कोई राष्ट्रीय कोष नहीं है तथा बहुत कम HAPs ऑनलाइन सूचीबद्ध हैं। यह भी स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या इन HAPs को समय-समय पर अपडेट किया जा रहा है और क्या यह मूल्यांकन डेटा पर आधारित है।

गर्मी के प्रति भारत की अत्यधिक संवेदनशीलता:

  • भारत गर्मी हेतु सबसे अधिक अनावृत और संवेदनशील देशों में से एक है।
  • वर्ष 1951 और 2016 के बीच तीन दिवसीय समवर्ती गर्म दिन और रात की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है, साथ ही RCP (कार्बन की सांद्रता को संदर्भित करता है) 4.5 एवं RCP 8.5 के मध्यवर्ती एवं उच्च उत्सर्जन के साथ इसके वर्ष 2050 तक दो से चार गुना बढ़ने का अनुमान है।

भारत में हीट वेव उत्पन्न होने के मुख्य कारण:

  • उत्तर भारत में हीट वेव के उत्पन्न होने में एल नीनो की मुख्य भूमिका रहती है।
  • एल नीनो एक ऐसी मौसमी परिघटना है जिसमें गर्म हवाएं मध्य प्रशांत महासागर के पश्चिम-पूरब दिशा में प्रवाहित होती हैं।
  • ला नीना द्वारा उत्पन्न उत्तर-दक्षिण दबाव के कारण दक्षिण भारत में हीट वेव का फैलाव।
  • ला नीना विश्व को प्रभावित करने वाली एक मौसमी परिघटना है जिसमें एक ठंडी हवाओं का समूह मध्य प्रशांत महासागर के पूरब-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होता है।
  • शहरी क्षेत्रों में पक्की और कंक्रीट की सड़कों का बढ़ा हुआ प्रभाव। 
  • वनावरण और वृक्षों के आवरण में कमी होना।
  • अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव से वातावरण के तापमान में सामान्य से 3 से 4 डिग्री की बढ़ोत्तरी होना।
  • पिछले 100 वर्षों में वैश्विक तापमान में औसतन 0.8 डिग्री की वृद्धि होना।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च दैनिक तापमान में वृद्धि होना।
  • मध्यम-उच्च ताप तरंग क्षेत्रों में अल्ट्रा वायलट किरणों की उच्च तीव्रता।

आगे की राह:

  • ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचने से रोकने हेतु अगले 20 वर्षों के दौरान उत्सर्जन को कम करना होगा।
  • सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) की अनुशंसाओं के मुताबिक़ हीट एक्शन प्लान (एचएपी) के लिए वित्तपोषण के नए स्रोतों की पहचान की जाए और मौजूदा राष्ट्रीय और राज्य नीतियों के साथ HAP के कार्यों को मिलाकर इसमें निरंतर सुधार किया जाए।
  • गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोगों का आकलन किया जाना चाहिए, ताकि उनकी राहत के लिए उचित एवं रणनीतिक कदम उठाए जा सकें।

 

 

 

निष्कर्ष:

भारत ने पिछले एक दशक में कई दर्जन हीट एक्शन प्लान बनाकर इसमें काफी प्रगति की है। हालांकि मूल्यांकन से इन सभी प्लान्स में कई कमियों का पता चला है जिन्हें भविष्य की योजनाओं में सही करके लागू करना होगा ।

यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो भारत को घटती श्रम उत्पादकता, कृषि में अचानक और बार-बार आने वाले व्यवधानों और असहनीय रूप से गर्म शहरों के कारण आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि लू या हीटवेव लगातार और तीव्र होती जा रहीं हैं।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

हीट वेव क्या हैं? भारत में हीट वेव के उत्पन्न होने के कारणों को समझाइए। 

भारत में हीट एक्शन प्लान(HAP) की व्यवहार्यता का मूल्यांकन कीजिए