भारत में आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस से बड़े बदलाव

भारत में आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस से बड़े बदलाव

यह टॉपिक आईएएस/पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के करेंट अफेयर और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित है 

07 सितंबर, 2023

चर्चा में क्यों:

  • हाल ही में केंद्रीय रेल संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा भारत के पहले 3डी मुद्रित डाकघर का उद्घाटन किया गया।

3डी मुद्रित डाकघर के बारे में:

प्रमुख बिंदु:

  • यह भारत में पहली व्यावसायिक इमारत है, जिसमें 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया गया है।
  • इस डाकघर का उद्घाटन पूर्वी बंगलुरु के कैम्ब्रिज लेआउट में किया गया।
  • इस डाकघर का निर्मित क्षेत्र 1,000 वर्ग फुट है।
  • इस डाकघर का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा 3डी कंक्रीट प्रिंटिंग तकनीक से किया गया।
  • इस डाकघर के संरचनात्मक ढाँचे का निर्माण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास द्वारा तैयार किया गया है।
  • इस डाकघर में प्रयुक्त 3डी प्रिंटिंग तकनीक डेनमार्क से आयात की गई थी।

3डी प्रिंटिंग के बारे में:

  • 3डी प्रिंटिंग मूल रूप से विनिर्माण की एक तकनीक है जिसके उपयोग से त्रिविमीय (Three Dimensional) ऑब्जेक्ट का निर्माण किया जाता है।
  • इसके लिये मूल रूप से डिजिटल स्वरूप में एक त्रिविमीय वस्तु को डिज़ाइन किया जाता है।
  • इसके बाद 3D प्रिंटर के द्वारा उसे भौतिक स्वरूप में प्राप्त किया जाता है।
  • जहाँ एक साधारण प्रिंटिंग मशीन में इंक और पन्नों की आवश्यकता होती है, वहीं इस प्रिंटिंग मशीन में प्रिंट की जाने वाली वस्तु के आकार, रंग आदि का निर्धारण कर उसी अनुरूप उसमें पदार्थ डाले जाते हैं।

विश्लेषण:

  • कृत्रिम मेधा एक माध्यम है, इसका उपयोग समाज और व्यक्ति के कमोबेश सभी पहलू में हो सकता है।
  • वर्तमान में जिन क्षेत्रों में इसका उपयोग नहीं दिख रहा है, उसमें इसका उपयोग भविष्य में नहीं होगा, यह बात शायद ही कोई समझदार व्यक्ति स्वीकार करे।
  • उदाहरण के लिए विगत कई वर्ष से गणतंत्र दिवस के सार्वजनिक समारोह में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से आतंकवादियों को खोजने का प्रयोग कृत्रिम मेधा के भरोसे से ही चल रहा है, जो चेहरे पहचान कर पूर्व चिह्नित आतंकवादी या अपराधी की सार्वजनिक उपस्थिति और सक्रियता से पुलिस नियंत्रण कक्ष में सुरक्षाकर्मियों को आगाह कर सकता है।
  • इसी तरह, एक प्रयोग रेलवे शुरू कर रहा है, जिसमें यात्रियों के सामान को उसके साथ जोड़कर उसकी चोरी की संभावना पर सुरक्षाकर्मियों को संकेत भेज सकता है।
  • इसी क्रम में कृत्रिम मेधा के आधार पर थ्रीडी प्रिंटिंग से देश में समुद्री पुल एवं एक मानचित्र के आधार पर सीमा पर चारदिवारी का निर्माण संभव है।
  • किसी व्यक्ति के दांत या पैर की हड्डी बनाकर इलाज में चिकित्सकों का सहयोग और मरीजों को लाभ पहुंचाने का काम हो रहा है।
  • आज कृत्रिम मेधा की व्यावसायिक संलिप्तता लगभग हर उद्योग के विकास और स्वचालन में पाई जा सकती है। इसलिए देश में इसकी व्यापकता के आंकड़ों का सटीक अनुमान लगाना तो कठिन है, लेकिन बीती फरवरी में नैसकाम के हवाले से सरकार ने संसद में बताया कि भारत में कृत्रिम मेधा से लगभग 4,16,000 पेशेवरों के लिए रोजगार के सृजन का अनुमान है।
  • इसके अलावा, सन 2035 तक कृत्रिम मेधा द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था में 957 बिलियन अमेरिकी डालर के अतिरिक्त योगदान देने की उम्मीद है।
  • इसके वर्तमान वैश्विक बाजार में 2020 की तुलना में 2021 में निजी निवेश 103 फीसद बढ़कर 96.5 बिलियन डालर हो गया था। अकेले अमेरिका में उद्योगों और व्यवसायों में कृत्रिम मेधा आधारित कुशल लोगों की मांग तेजी से बढ़ी है। 2010 और 2019 के बीच ऐसे लोगों की मांग में दस गुना वृद्धि हुई।
  • हालांकि भारतीय संदर्भों में इससे सतर्क होने की भी आवश्यकता है, क्योंकि इन स्थितियों में कुशल कामगारों की जरूरत तो बनी रहेगी, लेकिन अकुशल कामगारों के रोजगार का संघर्ष और बढ़ेगा।
  • यही नहीं, जब छोटे व्यवसायों के उत्पाद-निर्माण में स्वचालन बढ़ेगा, तो अकुशल या जरूरत के मानकों पर अक्षम लोगों की बड़े पैमाने पर छंटनी होगी, जो आजकल अक्सर सुनने को भी मिल जाती है।
  • यह नहीं भूलना चाहिए कि यातायात के तमाम साधनों के बीच आज भी कोलकाता में हाथ से खींचने वाला रिक्शा इसी तर्क पर बना हुआ है कि ऐसे रिक्शा चालकों की कुशलता इसी कार्य में सर्वोत्तम है। यह उनके जीवन-भरण का एकमात्र साधन के साथ मजबूरी भी है।
  • देश की लगभग 150 करोड़ की आबादी में से एक बड़ी संख्या में लोग किसी न किसी रूप में डिजिटल दुनिया से जुड़े हैं और यह हर जुड़ाव डिजिटल संसाधन तैयार कर रहा है, जिनका मुक्त दोहन निजी कंपनियों द्वारा हो रहा है।

थ्रीडी प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का महत्त्व:

  • इस प्रौद्योगिकी से ढांचागत विकास के साथ ही लघु और कुटीर उद्योग को नया रूप मिलेगा
  • आगामी वर्षों में त्रिआयामी यानी थ्रीडी प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी भारत जैसे विकासशील देश में विनिर्माण के क्षेत्र में एक आमूलचूल बदलावों की पहल कर सकती है।
  • इसमें लागत और समय दोनों कम लगेंगे, साथ ही सुदूर और दुर्गम स्थानों पर विनिर्माण का काम न्यूनतम जोखिम के साथ संपन्न किया जा सकता है।
  • मानव के साथ जानवरों के हड्डी वाले अंग, खिलौने, घर में रखने वाले सजावट के सामान, फर्नीचर, बर्तन आदि बनाने के लिए ऐसे उपक्रमों की संख्या तेजी से बढ़ेगी और पारंपरिक मशीनें धीरे-धीरे पीछे छूटती जाएंगी और डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ती जाएगी।
  • उत्पादों के डिजाइन और स्वरूप में विविधता और आकर्षण और अधिक बढ़ेगा।
  • उद्योगों की एक ही सांचे से बड़े पैमाने पर उत्पादन की प्रवृत्ति पर नए सिरे से विचार करने के लिए उपभोक्ताओं का दबाव बढ़ेगा।
  • एक नई औद्योगिक क्रांति के आधार बनने की पूरी संभावना है।
  • अंकटाड की प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट- 2023 के अनुसार, थ्रीडी प्रिंटिंग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर 2020 में इसका मूल्य 12 बिलियन डालर था, जो 2030 तक बढ़कर 51 बिलियन डालर होने की उम्मीद है।
  • साथ ही यह उद्योग कुल मिलाकर तीन से पांच मिलियन नई कुशल नौकरियां पैदा करेगा।
  • इस क्रम में सहायक नौकरियों की भी मांग तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि उद्योग को इंजीनियरों, साफ्टवेयर विकासकर्ता, सामग्री वैज्ञानिकों के साथ बिक्री, विपणन और अन्य विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ेगी।

निष्कर्ष:

  • डिजिटल दुनिया में नित्य बदलाव हो रहे हैं, लेकिन इसके नियमन का काम आज भी सन 2000 में बने नियम से काम चलाया जा रहा है। हालांकि अभी संसद से डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 पास हुआ है, जिसमें भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड बनाने की बात हुई है।
  • यह बोर्ड कैसे भारतीय डिजिटल डाटा का संसाधन और निजता की सुरक्षा करता है, यह तो समय बताएगा, लेकिन कृत्रिम मेधा से तेजी से बन रहे बाजार में हमारी मौलिक भागीदारी किस रूप में हो रही है, यह विचारणीय है, ताकि विश्व में सबसे बड़ी आबादी और सबसे अधिक इंटरनेट डाटा खपत करने वाले देश के रूप में हमारी भूमिका सिर्फ मजदूर या खरीदार तक ही सीमित न रहे। अगर आज इन उपायों पर तेजी से अमल नहीं किया गया, तो यह न तो समय के साथ न्याय होगा और न ही हमारी क्षमताओं की अलग से वैश्विक पहचान होगी।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारत के पहले 3डी मुद्रित डाकघर और थ्रीडी प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी के महत्त्व पर चर्चा कीजिए