भारत-चीन संबंध बनाम टेस्ला कंपनी

भारत-चीन संबंध बनाम टेस्ला कंपनी

GS-2: वैदेशिक संबंध  

(IAS/UPPCS)

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:

ईवी क्षेत्र, टेस्ला के सीईओ एलन मस्क, लिथियम (सफ़ेद सोना), नीति आयोग, भारत की ईवी नीति।

मेंस के लिए प्रासंगिक:

टेस्ला कंपनी के लिए चीन क्यों अधिक महत्वपूर्ण है, ईवी क्षेत्र में भारत के लिए चुनौतियां और संभावनाएं, भारत की ईवी नीति, आगे की राह, निष्कर्ष।

स्रोत: TH

03/05/2024

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, टेस्ला के सीईओ एलन मस्क कारों के निर्माण एवं व्यापार के मामले में भारत के मुकाबले चीन को वरीयता देते हुए  बीजिंग पहुंचे।

  • रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, एलेन मस्क की हालिया चीन यात्रा में उनकी मुलाकात चीनी बैटरी दिग्गज चाइना कंटेम्परेरी एम्पेरेक्स टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड (CATL) के अध्यक्ष रॉबिन ज़ेंग से हुई।
  • CATL का वैश्विक बैटरी उत्पादन में दो-तिहाई हिस्सा है, और यह टेस्ला के साथ-साथ वोक्सवैगन एजी और टोयोटा मोटर कॉर्प जैसे अन्य प्रमुख वाहन निर्माताओं के लिए आपूर्तिकर्ता है।

टेस्ला कंपनी के लिए चीन क्यों अधिक महत्वपूर्ण है?

बैटरी उत्पादन में चीन का प्रभुत्व:

  • चीन की वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बिक्री में आधे से अधिक हिस्सेदारी है, क्योंकि चीन लिथियम आधारित बैटरी के निर्माण में पूरी तरह आत्मनिर्भर है और ईवी विनिर्माण के लिए एक लिथियम एक महत्वपूर्ण तत्व है।
  • वर्तमान में चीन, लिथियम (जिसे सफ़ेद सोना कहा जाता है) के उत्पादन में अग्रणी देश है।

शंघाई में टेस्ला के सबसे बड़ा प्लांट की मौजूदगी:

  • चीन ने अपनी विदेश नीति के तहत वर्ष 2018 में शंघाई में टेस्ला के सबसे बड़े प्लांट को स्थापित करने की अनुमति प्रदान की थी।
  • वर्तमान में यह प्लांट एक साल में टेस्ला की सबसे सफल मॉडल 3 और मॉडल Y कारों की 1 मिलियन से अधिक यूनिट का उत्पादन करता है।
  • गीगाफैक्ट्री, पहली बार अमेरिका के बाहर, टेस्ला के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप को अपनी कारों की आपूर्ति करती है।

भारत की ईवी बैटरी के लिए आयात पर निर्भरता:  

  • भारत ईवी के उत्पादन में अभी भी शुरुआती चरण में है और बैटरी के लिए भारत को ऐतिहासिक रूप से दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि भारत, उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के माध्यम से लिथियम-आयन बैटरी के उत्पादन पर जोर दे रही है।

अमेरिका-चीन में बढ़ता तनाव:

  • वर्तमान में, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद, जासूसी विरोधी कानून और सेमीकंडक्टर्स जैसी प्रौद्योगिकी की आपूर्ति जैसे कई मुद्दों के कारण भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। ये गतिविधियां बड़े पैमाने पर चीन द्वारा नियंत्रित हैं। ऐसे में चीन, बड़ी निवेशक अमेरिकी कंपनियों को आर्थिक मदद और आधारभूत सुविधाएं प्रदान कर  आकर्षित कर रहा है।

भारत की ईवी नीति:

EV Policy 2024:

  •  केंद्र सरकार ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को मंजूरी दी है।
  • इस नीति के तहत कम से कम 50 करोड़ डॉलर, यानी भारतीय मुद्रा में 4,150 करोड़ रुपये के निवेश के साथ देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने वाली कंपनियों को शुल्क में रियायतें दी जाएंगी।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने वाली कंपनियों को कम सीमा शुल्क पर सीमित संख्या में कारों को आयात करने की अनुमति दी जाएगी।
  • ईवी पॉलिसी के मुताबिक, निवेश अगर 80 करोड़ डॉलर या उससे ज्यादा है तो हर साल ज्यादा से ज्यादा 8,000 की दर से अधिकतम 40,000 ईवी के आयात की अनुमति होगी।
  • 2018-19 में, भारत सरकार ने मोटर वाहनों, मोटर कारों, मोटरसाइकिलों के सीकेडी (पूरी तरह से बंद) आयात पर सीमा शुल्क 10% से बढ़ाकर 15% कर दिया।

उद्देश्य:

  • टेस्ला समेत अलग-अलग ग्लोबल ईवी मैन्युफैक्चरर्स से निवेश आकर्षित करना।
  • भारतीय कस्टमर को लेटेस्ट टेक्नॉलजी तक पहुंच प्रदान करना।
  • मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देना और ईवी कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी परिवेश को मजबूत करना।

महत्त्व:

  • इससे उत्पादन की उच्च मात्रा, अर्थव्यवस्था के विस्तार, उत्पादन की कम लागत और आयात में कटौती, कच्चे तेल की आयात कम होगी, व्यापार घाटा कम होगा, विशेषकर शहरों में वायु प्रदूषण कम होगा और स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

ईवी क्षेत्र में भारत के लिए चुनौतियां और संभावनाएं:

चुनौतियां:

चार्जिंग बुनियादी सुविधाओं का अभाव:

  • बैटरी की सीमित रेंज।
  • पर्याप्त संख्या में चार्जिंग पॉइंट्स का न होना।
  • बैटरी की चार्जिंग में काफी समय लगना। 

इलेक्ट्रिक वाहनों की उच्च लागत:

  • इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरियों का उपयोग अत्यधिक खर्चीला है।
  • सीमित मात्रा में लिथियम की उपलब्धता
  • विश्व में कुल ज्ञात लिथियम भंडार का 65% बोलिविया और चिली में स्थित हैं तथा इसी प्रकार 60% ज्ञात कोबाल्ट भंडार कान्गो में स्थित है।

चीन पर निर्भरता:

  • इलेक्ट्रिक कारों और अन्य वाहनों के पुर्जों के लिए भारत की चीन पर अत्यधिक निर्भरता।

ऑटोमोबाइल क्षेत्र में व्यवधान: 

  • इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल वातावरण में आने वाले बदलाव के लिये स्वयं को तैयार करना एक बड़ी चुनौती है।

संभावनाएं:

  • भारत वर्तमान में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है। दुनिया सबसे बड़ी Electric Car निर्माता कंपनी Tesla भारत में अपना कारोबार शुरु करने के लिए इच्छुक नजर आ रही है और भारत में इसके लिए परिस्थितियां अनुकूल बन रही हैं।
  • ईवी आपूर्ति श्रृंखला पर चीन के प्रभुत्व के बावजूद, इसका निर्यात यूरोप और अमेरिका में तेजी से जांच के दायरे में आ रहा है, जो भारत के लिए एक अवसर पेश कर रहा है।
  • यूरोपीय आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में चीन से बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी) के आयात पर सब्सिडी विरोधी जांच शुरू की थी।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका की ने भी चेतावनी दी है कि चीनी ईवी अमेरिकी कार निर्माताओं के लिए खतरा हैं।
  • देश में हर साल 50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ ईवी की बिक्री बढ़ रही है।
  • सरकार द्वारा देश में 2030 तक लगभग 30 प्रतिशत ईवी बिक्री हासिल करने का लक्ष्य है।
  • टेस्ला की सबसे बड़ी चीनी प्रतिद्वंद्वी BYD पहले से ही भारत में मौजूद है। ऐसे में कंपनी अपने राइवल को टक्कर देने के लिए भारत में प्रवेश कर सकती है।
  • भारतीय ऑटोमोटिव बाजार वर्तमान में 2030 तक 30 प्रतिशत ईवी बाजार हिस्सेदारी का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
  • देश में ईवी की कुल बिक्री साल 2030 तक 10 मिलियन के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है। हालांकि, ये तर्क दिया जा सकता है कि इस बाजार हिस्सेदारी में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों का बड़ा योगदान होने वाला है।
  • नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, लिथियम-आयन बैटरी (LIB) की सबसे बड़ी मांग लैपटॉप, मोबाइल फोन और टैबलेट जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स से आती है। भारत में ईवी बिक्री के माध्यम से एलआईबी बाजार केवल 1 गीगावॉट (उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 4.5 गीगावॉट की तुलना में) था।
  • बैटरी की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए, भारत उन्नत रसायन विज्ञान सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के माध्यम से बैटरी उत्पादन पर जोर दे रहा है।
  • नीति आयोग का कहना है कि भारत बढ़ते वैश्विक बाजार में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अच्छी स्थिति में है और 2030 तक वैश्विक बैटरी मांग का 13% तक प्रतिनिधित्व कर सकता है।

आगे की राह:

  • निश्चित रूप से, भारत को लिथियम का खनन करने और इसके लाभों को प्राप्त करने में कुछ समय लगेगा, लेकिन देश के पास अब पर्याप्त लिथियम भंडार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में पाए गए लिथियम की मात्रा, जम्मू-कश्मीर में पाए गए भंडार से अधिक बड़ी है।
  • सरकारी सूत्रों के मुताबिक,भारत में मौजूद लीथियम की मात्रा देश की 80 फीसदी मांग को पूरा कर सकती है। हालांकि, इतनी मात्रा में उपलब्ध लीथियम को रातों-रात रिफाइन करना संभव नहीं है। इसके लिए काफी समय, तकनीक और लोगों की जरूरत पड़ने वाली है।
  • टेस्ला कंपनी को भारत आने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि भारत को ईवी निर्माण का हब बनाया जा सके।  

निष्कर्ष:

भारत की अपनी यात्रा को स्थगित करने के एक सप्ताह के भीतर टेस्ला के सीईओ एलन मस्क पूर्ण स्व-ड्राइविंग (एफएसडी) पर जोर देने के लिए बीजिंग पहुंचे, जिसने दुनिया के सबसे मूल्यवान इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता के लिए वैश्विक आपूर्ति सीरिज में चीन के महत्व को रेखांकित किया। यही कारण है कि चीन टेस्ला के लिए भारत से भी अधिक महत्वपूर्ण बना हुआ है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

ईवी क्षेत्र में भारत के लिए चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा कीजिए

हाल ही में टेस्ला कंपनी ने ईवी विनिर्माण हेतु भारत की अपेक्षा चीन को अधिक महत्वपूर्ण गंतव्य माना है। विवेचना कीजिए।