बचपन और गरीबी

 

 

बचपन और गरीबी

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

(बाल गरीबी एवं शोषण)

23 सितंबर, 2023

भूमिका:

  • बचपन, इंसान की ¨जीवन का सबसे सुखद पल होता है, न किसी बात की ¨चिंता और न ही कोई जिम्मेदारी, लेकिन गरीबी और शोषण उसे अधिकारों से वंचित कर रही है। इसके चलते हंसता खेलता बचपन कहीं गुम होता जा रहा है।

बच्चों की गरीबी एवं शोषण से संबंधित आंकड़े:

  • विश्व बैंक और यूनिसेफ द्वारा किए गए हाल के शोध से पता चला है कि दुनिया में अत्यधिक गरीबी से ग्रसित लोगों में आधे से ज्यादा यानी 52.5 फीसद बच्चे हैं।
  • यानी अत्यधिक गरीबी में जीवन जीने वाला हर दूसरा व्यक्ति एक बच्चा है। वर्ष 2013 में इनकी आबादी 47.3 फीसद थी।
  • वैश्विक स्तर पर 2022 में बच्चों की 6.6 फीसद आबादी बेहद गरीबी का शिकार थी।
  • भारत में 5.2 करोड़ यानी 11.5 फीसद बच्चे बेहद गरीबी की स्थिति में थे।
  • 2022 में पांच वर्ष से छोटी उम्र के बच्चों में गरीबी की दर सबसे ज्यादा थी।
  • अत्यधिक गरीबी से ग्रसित लगभग 18.3 फीसद यानी 9.9 करोड़ बच्चों की उम्र पांच वर्ष या उससे कम थी।
  • यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी से ग्रसित ज्यादातर बच्चे उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया के नागरिक हैं। उप-सहारा अफ्रीका में गरीबी से ग्रसित बच्चों की दर दुनिया में सबसे ज्यादा, 40 फीसद है। वहीं दक्षिण एशिया में यह दर 9.7 फीसद है। दोनों क्षेत्रों में दुनिया के 90 फीसद बेहद गरीब बच्चे रहते हैं।
  • गौरतलब है कि ये बच्चे उन विकासशील देशों में रहते हैं, जहां सेहत संबंधी समस्याएं बहुत ज्यादा हैं। वहीं दूसरी तरफ बच्चों और किशोरों पर अत्याचार, हिंसा, अन्याय, क्रूरता और शोषण दुनिया में लगातार हो रहा है।
  • यूनीसेफ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के आधे से अधिक बच्चे गंभीर हिंसा सहने को अभिशप्त हैं।
  • इसमें से 64 फीसद बच्चे दक्षिण एशिया में रहते हैं। भारत से हर साल अपहरण किए हुए या खरीदे हुए हजारों बच्चे कुछ खास देशों में बेच दिए जाते हैं। इन बच्चों का उन देशों में यौन शोषण किया जाता है, मगर यह कभी संवेदना या चर्चा का विषय नहीं बनता। बच्चों के खिलाफ होने वाले इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ प्राथमिकियां बहुत कम लिखाई जाती हैं, जिससे इनकी सही संख्या का पता नहीं चल पाता है।

बच्चों के शोषण के खिलाफ क़ानून:

  • भारत में जो बच्चे काम करते हैं उनकी हालत दयनीय है। यह समस्या दुनिया भर के देशों में देखने को मिलती है। ऐसा नहीं कि बच्चों को न्याय दिलाने के लिए कोई कानून नहीं है।
  • दुनिया के कई देशों में बच्चों के शोषण के खिलाफ कानून हैं। मगर ये कानून बच्चों को शोषण, जुल्म, हिंसा और अपहरण से बचाने में कारगर नहीं रहे हैं। खासकर विकासशील देशों में, जहां गरीबी सबसे ज्यादा है, बच्चों को अनेक प्रकार की समस्याओं और हिंसक व्यवहारों का सामना करना पड़ता है।
  • लगभग चार दशक पहले भारत में बाल शोषण, अन्याय और क्रूरता रोकने के लिए कानून बनाया गया। बालश्रम को गैरकानूनी घोषित करने वाला कानून 1986 में बनाया गया था।
  • इससे बंधुआ मजदूरी में पिस रहे बाल मजदूरों को मुक्त कराने में मदद मिली। मगर घरों, भट्ठों, कृषि-फार्मों, खेतों, बगीचों, कारखानों आदि में काम करते और शहर के चौराहों पर भीख मांगते बच्चों की स्थिति मौजूदा समय में भी अत्यधिक दयनीय है। दिल्ली में लगभग एक लाख भीख मांगने वाले रहते हैं, जिनमें लगभग आधे बच्चे हैं।
  • भारत सरकार द्वारा हजारों की संख्या में बाल मजदूरों को मुक्त भी कराया जा चुका है, लेकिन उनका पुनर्वास आज तक मुकम्मल नहीं हो पाया है।
  • मौजूदा समय में लाखों की तादाद में बाल मजदूर शोषण और अन्याय के शिकार हैं। लाखों अपहृत या गायब हुए बच्चे लौटकर घर नहीं आते, उनके बारे में सरकार के पास आधी-अधूरी जानकारी होती है। जब तक शासन-प्रशासन के स्तर पर ऐसे बच्चों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी, तब तक बच्चों के शोषण, अन्याय और प्रताड़ना का चक्र चलता रहेगा।

प्रभाव:

  • दुनिया में करोड़ों छोटे बच्चों को हिंसक हालात में रहते हुए देखा जा सकता है। इससे उनका बचपन ही खत्म नहीं होता, बल्कि सेहत और संवेदना भी धीरे-धीरे खत्म होती रहती है।
  • मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चों के खिलाफ हिंसा उनकी मासूम जिंदगी को ही तहस-नहस नहीं कर रही है, बल्कि उनका आने वाला कल भी विकल बनता जा रहा है।

समाधान:

  • भारत ही नहीं, विश्व स्तर पर प्राप्त कई अनुभव बताते हैं कि बच्चों के साथ होने वाले हिंसक व्यवहारों की रोकथाम से ही हिंसा में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए कानून की मदद से जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है। इसमें बच्चों में व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ावा देना, स्कूलों में बाल संरक्षण नीतियों को कारगर ढंग से लागू करना और बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए माता-पिता में जागरूकता पैदा करना शामिल है।
  • बहुत छोटे बच्चे अपनी सुरक्षा करने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे बच्चों की तादाद दुनिया में करोड़ों में है। इन्हें सुरक्षा देना सबसे बड़ी चुनौती है। इसमें सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं, सिविल सोसाइटियों और बाल सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध समाज सेवियों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसके साथ यूनिसेफ बाल संरक्षण प्रणालियों, वित्त, कानून, मानक, शासन, निगरानी और सेवाओं को भी मजबूत करने तथा बढ़ावा देने की जरूरत है।
  • शोध बताते हैं कि जिन वजहों से बच्चों की दुर्दशा होती और उनका जीवन असुरक्षित रहता है, उन वजहों पर बारीकी से नजर रखना जरूरी है। शायद असल कारणों को समझ कर हिंसा, शोषण और जुल्म को पहले ही रोक दिया जाए, तो करोड़ों बच्चों की जिंदगी को सुरक्षित किया जा सकता है। दूसरी बात, बच्चों के खिलाफ सभी तरह की हिंसा और शोषण को रोकने और प्रतिक्रिया देने के लिए, मानव अधिकारों, नैतिक और आर्थिक नजरिए से बाल संरक्षण प्रणालियों में निवेश करना महत्त्वपूर्ण सुरक्षात्मक प्रक्रिया है।
  • बच्चों को सुरक्षा देने में पुलिस की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसलिए पुलिस को बच्चों की सुरक्षा पर खास तवज्जो देते हुए इस तरह प्रशिक्षण देना चाहिए, जिससे पुलिस की सुरक्षा में हर व्यक्ति को यकीन हो और बच्चे हर स्तर पर सुरक्षित महसूस कर सकें। दूसरी बात, पुलिस और जनता के संबंध एक-दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ाने वाला हो। जनता पुलिस को अपना दोस्त समझे और पुलिस जनता को अपना दोस्त माने। इससे हर परिवार का बच्चा अपहरण और तस्करी से बच सकेगा।
  • मगर सबसे महत्त्वपूर्ण है जन जागरूकता को बढ़ावा देना और जिन वजहों से बच्चों को हिंसा, शोषण और अपहरण का शिकार होना पड़ता है, उनको समझते हुए शासन-प्रशासन के साथ सहयोगी बनना।

निष्कर्ष:

  • उम्मीद की जानी चाहिए कि दुनिया में बच्चों की सुरक्षा को लेकर यूनिसेफ, सिविल सोसाइटी और स्वयंसेवी संगठन अधिक कारगर भूमिका में आएंगे। जिस तरह दुनिया में बच्चों के प्रति उपेक्षा की भावना बढ़ी है, उससे बच्चों से ताल्लुक रखने वाली समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। इसलिए बच्चों के प्रति अधिक संवेदना बढ़ाने की जरूरत है, ताकि बचपन की सुरक्षा मुकम्मल हो सके और हिंसा, शोषण और अपहरण की घटनाएं खत्म हो जाएं।

                                            ----------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न

बाल मजदूरी और शोषण, सामाजिक असमानताओं के परिणाम हैं। विवेचना कीजिए