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World Energy Outlook-2023 Report

27.10.2023

World Energy Outlook-2023 Report

प्रीलिम्स के लिए: वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट 2023, महत्वपूर्ण बिंदु, IEA द्वारा जारी प्रमुख रिपोर्ट

मुख्य जीएस पेपर 3 के लिए: विश्व ऊर्जा आउटलुक रिपोर्ट 2023 में भारत, सुझाव, कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत द्वारा की गई पहल, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के कार्य के प्रमुख क्षेत्र

खबरों में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) द्वारा अपना विश्व ऊर्जा आउटलुक 2023 रिपोर्ट को जारी किया गया।

महत्वपूर्ण बिन्दु:

  • 2030 तक वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी लगभग 80% से घटकर 73% होने का अनुमान है।
  • वैश्विक ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन 2025 तक चरम पर होगा।

वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट 2023 :

  • यह रिपोर्ट इस दशक के अंत तक वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में होने वाले व्यापक परिवर्तनों पर प्रकाश डालती है।
  • वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी मौजूदा 30 प्रतिशत से 2030 तक 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
  • 2030 तक दुनिया भर में सड़कों पर लगभग 10 गुना अधिक इलेक्ट्रिक कारें दिखाई देंगी।
  • वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार नई अपतटीय पवन परियोजनाओं में निवेश 2030 तक तीन गुना तक बढ़ जाएगा।
  • 2030 में जीवाश्म ईंधन यानी तेल, गैस व कोयले की मांग चरम पर होगी,इसके बाद मांग घटने लगेगी।
    • हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की घोषित नीतियों के परिदृश्य के तहत अगले दशक में कोयला एकमात्र जीवाश्म ईंधन में गिरावट का अनुमान है।
    • 2030 तक वैश्विक कोयले की खपत में 13.5% की गिरावट का अनुमान है, लेकिन प्राकृतिक गैस और तेल की खपत दोनों में वृद्धि का अनुमान है।

वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट 2023 में भारत:

  • भारत में अगले तीन दशक में दुनिया के किसी भी देश या क्षेत्र की तुलना में ऊर्जा मांग में वृद्धि सबसे अधिक होगी।
  • अकेले घरेलू एयर कंडीशनर चलाने के लिए बिजली की खपत 2050 तक नौ गुना बढ़ने का अनुमान है।
  • 2030 तक, भारत का उद्योग 30% कम CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) उत्सर्जित करेगा , और भारतीय सड़कों पर एक यात्री कार द्वारा चलाया गया प्रत्येक किलोमीटर 25% कम CO2 उत्सर्जित करेगा।
  • अपने ऊर्जा विकास के हिस्से के रूप में, भारत दीर्घकालिक शुद्ध शून्य उत्सर्जन महत्वाकांक्षा, बढ़ी हुई नियामक परिष्कार, स्वच्छ ऊर्जा तैनाती पर ध्यान केंद्रित करने और घरेलू स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थापना द्वारा चिह्नित एक गतिशील नए चरण में प्रवेश कर रहा है।
    • वर्तमान नीतिगत परिदृश्यों को आधार मानें तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति 2022 में 42 एक्साजूल (ईजे) से बढ़कर 2030 में 53.7 ईजे और 2050 में 73 ईजे हो जाने का अनुमान है। इसी तरह, तेल की मांग 2022 में 52 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) से बढ़कर 2030 में 68 लाख बीपीडी और 2050 में 78 लाख बीपीडी होने का अनुमान है।

सुझाव:

  • स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन जैसे कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन, जलविद्युत) जैसे स्वच्छ और अधिक टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण को प्रोत्साहित करना।
  • बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं सहित नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाएं।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और आवश्यक चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास सहित परिवहन क्षेत्र के विद्युतीकरण को बढ़ावा देना।
  • उत्सर्जन में कमी के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र , जैसे कार्बन कर या कैप-एंड-ट्रेड सिस्टम का कार्यान्वयन।
  • स्थायी ऊर्जा परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता और वित्तपोषण तक पहुँचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और सहयोग में संलग्न होना।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिए वाहनों और उद्योगों के लिए सख्त उत्सर्जन मानकों सहित वायु प्रदूषण को संबोधित करने के उपायों को लागू करना।

कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत द्वारा की गई पहल :

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए):
  • यूनाइटेड किंगडम के साथ एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड परियोजना:
  • उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (लीडआईटी) :
  • हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण करने की योजना के साथ ई-मोबिलिटी परिवर्तन में तेजी लाना।
  • मिशन LiFE : मिशन LiFE भारत के नेतृत्व में एक वैश्विक जन आंदोलन है जिसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के बारे में:

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की स्थापना इसके सदस्यों को तेल आपूर्ति में बड़े व्यवधानों में मदद के लिये वर्ष 1973-1974 के तेल संकट के बाद हुई थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी वर्ष 1974 में पेरिस (फ्राँस) में की गई थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी एक स्वायत्त संगठन है, जो अपने 30 सदस्य देशों और 8 सहयोगी देशों के साथ वैश्विक स्तर पर विश्वसनीय, सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करने हेतु काम करती है।
  • IEA मुख्य रूप से ऊर्जा नीतियों पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण आदि शामिल हैं। इन नीतियों को ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ के ‘3E’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • IEA का इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी क्लीन कोल सेंटर, कोयले को सतत् विकास लक्ष्यों के अनुकूल ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत बनाने पर स्वतंत्र जानकारी और विश्लेषण प्रदान करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख कार्यक्षेत्र :

  • ऊर्जा सुरक्षा: सभी ऊर्जा क्षेत्रों में विविधता, दक्षता और लचीलेपन को बढ़ावा देना।
  • आर्थिक विकास: IEA सदस्य देशों को ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा ऊर्जा की कमी को खत्म करने के लिये मुक्त बाज़ारों को बढ़ावा देना।
  • पर्यावरण जागरूकता: जलवायु परिवर्तन से निपटने के विकल्पों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान को बढ़ाना।
  • वैश्विक जुड़ाव: साझा ऊर्जा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के समाधान खोजने के लिये गैर-सदस्य देशों, विशेष रूप से प्रमुख उत्पादकों और उपभोक्ताओं के साथ मिलकर काम करना।

इसके द्वारा जारी प्रमुख रिपोर्ट:

  • वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट।
  • वर्ल्ड एनर्जी इंवेस्टमेंट रिपोर्ट।
  • एनर्जी टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव्स।
  • इंडिया एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट।
  • वर्ल्ड एनर्जी स्टैटिक्स।

वर्ल्ड एनर्जी बैलेंसेज़।