08.01.2024
सावित्रीबाई फुले और रानी वेलु नचियार
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खबरों में क्यों ?
हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा सावित्रीबाई फुले और रानी वेलु नचियार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
महत्वपूर्ण बिन्दु:
- प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि सावित्रीबाई फुले और रानी वेलु नचियार ने अपनी करुणा और साहस से समाज को प्रेरित किया है।
- प्रधानमंत्री ने मन की बात के कुछ अंश भी साझा किए गए है,जहां उन्होंने सावित्रीबाई फुले और रानी वेलु नाचियार के बारे में अपने विचार व्यक्त किए है।
सावित्रीबाई फुले के बारे में :
- सावित्रीबाई फुले का जन्म एक दलित परिवार में 3 जनवरी, 1831 को हुआ था।
- पुणे में प्लेग फैला तो सावित्रीबाई फुले मरीजों की सेवा में जुट गईं। इसी दौरान उन्हें प्लेग हो गया और 10 मार्च,1897 में उनकी मृत्य हो गई।
- सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव नयागांव में हुआ था।
- सावित्रीबाई फुले,जब महज 9 वर्ष की थीं,तब उनका विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले से कर दिया गया था।
- सावित्रीबाई को आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है।
- जिस समय सावित्रीबाई फुले की शादी हुई थी उस समय वह अनपढ़ थीं।
- सावित्रीबाई फुले की पढ़ाई में लगन देखकर ज्योतिराव फुले प्रभावित होते हुए,सावित्रीबाई को आगे पढ़ाने का मन बना लिया।
- इनको समाज सेविका,कवयित्री,दार्शनिक आदि के रूप में भी जाना जाता है।
- इनकी कविताएं अधिकतर प्रकृति, शिक्षा और जाति प्रथा को खत्म करने पर केंद्रित होती थीं।
- जब देश में जाति प्रथा अपने चरम पर थीं, तब इनके द्वारा अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया जाता था।
- सावित्रीबाई फुले को देश की पहली शिक्षिका माना जाता है,उन्होंने वर्ष,1848 में अपने पति के साथ मिलकर देश का प्रथम महिला स्कूल खोला था।
- अध्यापक बनने के लिए इनके द्वारा अहमदनगर और पुणे में ट्रेनिंग की गई थी।
सावित्रीबाई फुले की विशेष उपलब्धियां :
- सावित्रीबाई फुले अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल खोला।
- इस स्कूल में सावित्रीबाई फुले प्रधानाध्यापिका थीं।
- आगे चलकर, ये स्कूल सभी जातियों की लड़कियों के लिए खुला गया था।
- सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले द्वारा देश में कुल 18 स्कूल खोले गए,इनके इस कार्य के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा उनके योगदान को सम्मानित भी किया गया था।
- सावित्रीबाई द्वारा विधवाओं के लिए एक आश्रम भी खोला गया था।
- विधवाओं के अलावा वह निराश्रित महिलाओं, बाल विधवा बच्चियों और परिवार से त्यागी गई महिलाओं को भी अपने आश्रम में शरण देने लगीं।
- सावित्रीबाई फुले आश्रम में रहने वाली हर महिला और लड़कियों को पढ़ाती भी थीं।
- सावित्रीबाई फुले द्वारा 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की गई, जो बिना पुजारी और दहेज के विवाह आयोजित करता था।
सावित्रीबाई फुले के महत्वपूर्ण कथन:
- शिक्षा स्वर्ग का द्वार खोलती है जो स्वयं को जानने का अवसर देती है।
- बेटी के विवाह से पूर्व उसे शिक्षित बनाओ,जिससे वह आसानी से अच्छे बुरे में फर्क कर सके।
- स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो, पाठशाला ही इंसानों का सच्चा गहना है।
- स्त्रियां केवल घर और खेत पर काम करने के लिए नहीं बनी है,वह पुरुषो से बेहतर कार्य कर सकती हैं।
- जितना अधिक आप जानते है,उतना ही कम आपको डरने की संभावना होगी।
रानी वेलु नचियार के बारे में :
- रानी वेलु नचियार (3 जनवरी 1730 - 25 दिसंबर 1796) शिवगंगा एस्टेट की रानी थीं।
- रानी वेलु नचियार ने 10 से अधिक वर्षों तक शिवगंगई पर शासन किया था।
- रानी वेलु नचियार, भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ युद्ध (1870 में) करने वाली पहली भारतीय रानी थीं।
- हैदर अली की सेना, सामंती प्रभुओं, मारुथु ब्रदर्स , दलित कमांडरों और थंडावरायण पिल्लई के सहयोग से।
- हैदर अली ने 5,000 सैनिकों और बारूदी हथियारों से रानी की मदद की थी।
- रानी वेलु नचियार को तमिल लोग वीरमंगई (बहादुर महिला) के नाम से भी पुकारते थे।
- नचियार को युद्ध के कई तरीकों में प्रशिक्षित किया गया था, जिसमें युद्ध मैच हथियारों का उपयोग, वलारी , सिलंबम जैसी मार्शल आर्ट , घुड़सवारी और तीरंदाजी शामिल थी।
- रानी कई भाषाओं की विद्वान थीं और फ्रेंच , अंग्रेजी और उर्दू जैसी भाषाओं में पारंगत थीं।
- रानी वेलु नचियार ने पहले मानव बम के प्रयोग के साथ वर्ष, 1700 के दशक के अंत में प्रशिक्षित महिला सैनिकों की पहली सेना की स्थापना की थी।
- 31 दिसंबर 2008 को रानी वेलु नचियार के नाम पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया था।
परिचय:
- रानी वेलु नचियार रामनाथपुरम की राजकुमारी थीं।
- रामनाद साम्राज्य के राजा चेल्लामुथु विजयरागुनाथ सेतुपति और रानी सकंधीमुथथल की एकमात्र संतान थीं।
- रानी वेलु नचियार का विवाह,शिवगंगई के राजा मुथु वदुगनाथ पेरियावुदया थेवर से हुआ था, जिनसे उन्हें एक बेटी हुई।
- राजा मुथु वदुगनाथ पेरियावुदया थेवर 1780 में कलैयारकोइल में ईआईसी सैनिकों के साथ लड़ाई में शहीद होने के बाद, रानी स्वयं संघर्ष में शामिल हो गईं।
- 1790 में, उनकी बेटी वेल्लासी उनकी उत्तराधिकारी बनीं।
- रानी ने अपनी बेटी को राज्य के प्रशासन में मदद करने के लिए मारुडु भाइयों के साथ शक्तियां प्रदान कीं थी।
- अपनी बेटी को उत्तराधिकारी बनने के कुछ वर्ष पश्चात 25 दिसंबर 1796 को बिमारी के कारण वेलु नचियार की मृत्यु हो गई।
स्रोत:News on air