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प्रतिजैविक प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance - AMR)

23.05.2025

 

 

प्रतिजैविक प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance - AMR)

 

प्रतिजैविक प्रतिरोध क्यों एक गंभीर चिंता का विषय है?
 AMR एक वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के दस सबसे बड़े खतरों में से एक माना है। AMR आधुनिक उपचारों की प्रभावशीलता को कम करता है और दशकों की चिकित्सा प्रगति को उलट सकता है।

AMR क्या है?

  • प्रतिजैविक (Antimicrobials) में एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटिफंगल, और एंटिपैरासिटिक दवाएँ शामिल हैं।
  • ये विभिन्न सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, परजीवी) द्वारा होने वाले संक्रमणों का इलाज करती हैं।
  • AMR तब होती है जब ये सूक्ष्मजीव दवाओं के प्रभाव को झेलने के लिए विकसित हो जाते हैं।
  • मुख्य कारण: दवाओं का अधिक या गलत उपयोग, और सूक्ष्मजीवों के प्राकृतिक म्युटेशन।
     
  • परिणामस्वरूप, संक्रमण का इलाज कठिन हो जाता है, जिससे मृत्यु दर बढ़ती है, अस्पताल में भर्ती का समय लंबा होता है और चिकित्सा लागत बढ़ती है।
  • उदाहरण: मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट तपेदिक (MDR-TB) में मुख्य एंटी-टीबी दवाओं इसोनियाजिड और रिफैंपिसिन का असर नहीं होता।

चेतावनीपूर्ण रुझान और आंकड़े

  • अनुमानित बोझ: बिना वैश्विक कार्रवाई के 2050 तक AMR से 1 करोड़ (10 मिलियन) मौतें हो सकती हैं।
  • वर्तमान मृत्यु दर (2019): वैश्विक रूप से 12.7 लाख मौतें, भारत में लगभग 3 लाख।
  • आर्थिक प्रभाव: लंबी बीमारी, महंगी चिकित्सा, उत्पादकता में कमी, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव।

AMR कैसे फैलता है?

स्रोत

विवरण

मानव गलत उपयोग

वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक्स का अनुचित उपयोग, दवा पूरी न लेना।

पशुपालन प्रथाएँ

पोल्ट्री और पशुओं में 70% से अधिक एंटीबायोटिक्स वृद्धि हेतु उपयोग।

खाद्य श्रृंखला संचरण

मांस या उत्पादों में दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया का उपभोग।

स्वास्थ्य संस्थान

अस्वच्छता और अत्यधिक एंटीबायोटिक उपयोग से अस्पताल में प्रतिरोध।

कमजोर नियमन

बिना प्रिस्क्रिप्शन एंटीबायोटिक्स की आसानी से उपलब्धता।

सरकारी पहलें

  • कोलिस्टिन पर प्रतिबंध: पोल्ट्री क्षेत्र में इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए।
  • राष्ट्रीय AMR कार्य योजना (2017): WHO की वैश्विक योजना के अनुरूप जागरूकता, संक्रमण नियंत्रण, और दवा उपयोग पर नियंत्रण।
  • दवा नवाचार: नई दवाओं का विकास जैसे नेफेथ्रोमाइसिन (ब्रांड नाम ‘मानेफ’)।
  • नियामक प्राधिकरण: CDSCO द्वारा दवा अनुमोदन और सुरक्षा पर नियंत्रण।

मुख्य चुनौतियाँ

  • AMR नीति लागू करने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की कमी।
  • अनौपचारिक बाजारों में एंटीबायोटिक्स की अनियंत्रित बिक्री।
  • फार्मा कंपनियों का दबाव, कमजोर परीक्षण वाली दवाओं को जल्दी मंजूरी।
  • जनता में दवा दुरुपयोग के खतरों के प्रति जागरूकता की कमी।
  • देशव्यापी AMR निगरानी तंत्र की आवश्यकता।

आगे का रास्ता

  • व्यापक शिक्षा अभियान: चिकित्सा पेशेवरों और जनता दोनों के लिए।
  • निगरानी और रिपोर्टिंग में सुधार।
  • वैकल्पिक उपचारों और टीकों का विकास।
  • पशुपालन में एंटीबायोटिक उपयोग पर सख्त नियम।
  • वैश्विक सहयोग और अनुसंधान में निवेश।
     

निष्कर्ष
 प्रतिजैविक प्रतिरोध एक बहुआयामी समस्या है जो चिकित्सा, कृषि, पर्यावरण और नीति स्तर पर समन्वित प्रयासों से ही रोकी जा सकती है। भारत में AMR से निपटना, स्वास्थ्य सुरक्षा और विकास के लिए अपरिहार्य है।

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