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प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023

16.11.2023

 

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023

प्रारंभिक परीक्षा के लिए: प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2023 के बारे में मुख्य पेपर के लिए: प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2023 की मुख्य विशेषताएं, आवश्यकता, विधेयक की आलोचना

खबरों में क्यों?

हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 का मसौदा जारी किया है।      

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2023 के बारे में :

  • भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 का एक मसौदा प्रस्तावित किया है।
  • मसौदा विधेयक देश में प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने के लिए एक समेकित प्रारूप का प्रावधान करने के साथ-साथ मौजूदा केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और वर्तमान में देश में प्रसारण क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले अन्य नीति दिशानिर्देशों में बदलाव लाने का प्रयास करता है।
  • इस विधेयक का उद्देश्य प्रसारण क्षेत्र के लिए एक समेकित कानूनी ढांचा लाना है।
  • इस विधेयक का विस्तार ओटीटी सामग्री, डिजिटल समाचार और समसामयिक मामलों तक नियामक दायरे का विस्तार करता है जो वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के माध्यम से विनियमित हैं।
  • इस विधेयक के माध्यम से एकल विधायी ढांचे के तहत विभिन्न प्रसारण सेवाओं के लिए नियामक प्रावधान प्रदान किया गया है।
  • इस विधेयक में छह अध्याय, 48 धाराएं और तीन अनुसूचियां शामिल हैं।

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2023 की प्रमुख विशेषताएं :

  • अनुकूलन क्षमता :बिल तकनीकी उन्नति और सेवा विकास को बढ़ावा देते हुए ओटीटी , डिजिटल मीडिया, डीटीएच, आईपीटीवी और अन्य की गतिशील दुनिया को अपनाता है।
  • व्यापक :यह पहली बार समसामयिक प्रसारण और अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी शब्दों की परिभाषाएँ प्रदान करता है।
  • विभेदित दृष्टिकोण :यह विभिन्न सेवाओं में कार्यक्रम और विज्ञापन कोड के लिए एक विभेदित दृष्टिकोण की अनुमति देता है और प्रसारकों द्वारा स्व-वर्गीकरण और प्रतिबंधित सामग्री के लिए मजबूत पहुंच नियंत्रण उपायों की आवश्यकता होती है।
  • समावेशिता: इसका उद्देश्य उपशीर्षक, ऑडियो डिस्क्रिप्टर और सांकेतिक भाषा के उपयोग के माध्यम से प्रसारण को विकलांग लोगों के लिए अधिक समावेशी और सुलभ बनाना है।
  • दिव्‍यांगों के लिए पहुंच: यह विधेयक व्यापक पहुंच दिशानिर्देश जारी करने के लिए सक्षम प्रावधान प्रदान करते हुए दिव्‍यांगों की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
  • इसमें विकलांगता शिकायत अधिकारी का भी प्रावधान है ।
  • बुनियादी ढांचे की साझेदारी, प्लेटफॉर्म सेवाएं और ‘राइट ऑफ वे’: इस विधेयक में प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटरों के बीच बुनियादी ढांचे की साझेदारी और प्लेटफॉर्म सेवाओं के कैरिज के प्रावधान भी शामिल हैं।
  • इसके अलावा, यह स्थानांतरण और परिवर्तनों से जुड़े मुद्दे को अधिक कुशलता से हल करने के लिए ‘राइट ऑफ वे’ से जुड़े खंड को व्यवस्थित करता है और एक सुव्यवस्थित विवाद समाधान तंत्र की स्थापना करता है।
  • विवाद समाधान तंत्र :विधेयक ने विवाद समाधान के लिए एक संरचित तंत्र स्थापित किया।
  • वैधानिक दंड और जुर्माना: इस मसौदा विधेयक में ऑपरेटरों और प्रसारकों के लिए सलाह, चेतावनी, निंदा या मौद्रिक दंड जैसे वैधानिक दंड का समावेश है। इसमें कारावास और/या जुर्माने का प्रावधान पहले की तरह जारी हैं, लेकिन केवल बेहद गंभीर अपराधों के लिए ही, ताकि विनियमन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित हो सके।
  • न्यायसंगत दंड: निष्पक्षता और समता सुनिश्चित करने हेतु संबंधित प्रतिष्ठान के निवेश और कारोबार को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक दंड एवं जुर्माने को प्रतिष्ठान की वित्तीय क्षमता से जोड़ा गया है।

आवश्यकता :

  • केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 तीन दशकों से प्रभावी है। यह केबल नेटवर्क सहित सीधे प्रसारण की विषय-वस्तु की निगरानी करने वाले प्राथमिक कानून के रूप में कार्य कर रहा है।
  • हालांकि, इस बीच प्रसारण परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। तकनीकी प्रगति ने डीटीएच, आईपीटीवी, ओटीटी और विभिन्न एकीकृत मॉडल जैसे नए प्लेटफॉर्म पेश किए हैं।
  • प्रसारण क्षेत्र के डिजिटलीकरण के साथ, विशेष रूप से केबल टीवी में, नियामक प्रारूप को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता बढ़ रही है।
  • इसमें कारोबार करने में आसानी को सुनिश्चित करने और प्रसारकों एवं वितरण प्लेटफ़ॉर्म ऑपरेटरों द्वारा प्रोग्राम कोड और विज्ञापन कोड का पालन बढ़ाना शामिल है।
  • अधिक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता को पहचानते हुए, मौजूदा स्वरूप के नियामक प्रारूप को एक नए, व्यापक कानून से बदलने की आवश्यकता है।

बिल की आलोचना :

  • स्वायत्तता को प्रभावित : विनियमन स्वायत्तता को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि ओटीटी प्लेटफॉर्म "पुल मॉडल" पर काम करते हैं जहां उपभोक्ता सामग्री चुनते हैं।
  • सामग्री नवाचार पर प्रभाव : कड़े और व्यक्तिपरक कोड से सामग्री सेंसरशिप हो सकती है और दर्शकों के अनुभव पर असर पड़ सकता है।
  • विनियम : विधेयक उन ओटीटी प्लेटफार्मों तक नियामक दायरे का विस्तार करता है जो आईटी अधिनियम के तहत विनियमित हैं।
  • मूल्य निर्धारण व्यवस्था : चूंकि बिल के तहत ओटीटी सामग्री को विनियमित किया जाता है, सरकार ओटीटी सामग्री के लिए मूल्य निर्धारण व्यवस्था ला सकती है जैसा कि उसने टेलीविजन चैनलों के लिए किया है।

भारत में प्रसारण नियामक :

  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय : ये निजी प्रसारण, सार्वजनिक प्रसारण सेवा (प्रसार भारती), मल्टी मीडिया विज्ञापन, प्रिंट मीडिया के विनियमन आदि से संबंधित मामलों का केंद्र बिंदु है।
  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) : इसके द्वारा प्रसारण क्षेत्र में टेलीविजन चैनलों और सेवा प्रदाताओं के ग्राहकों को देय टैरिफ को नियंत्रित करता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और निगरानी केंद्र : इसकी स्थापना सरकारी मानदंडों और विनियमों के अनुसार टेलीविजन चैनल पर प्रसारित होने वाली सामग्री की देखरेख, निगरानी और रिकॉर्ड करने के लिए की गई थी।
  • प्रसार भारती : ये प्रसार भारती अधिनियम 1990 के तहत संसद द्वारा स्थापित एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है, और इसमें दूरदर्शन टेलीविजन प्रसारण और आकाशवाणी शामिल हैं।
  • केबल नेटवर्क अधिनियम 1995 : ये प्रसारक और वितरण पंजीकरण को नियंत्रित करता है, और राज्य सरकार ने अधिनियम के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कई निगरानी एजेंसियों की स्थापना की है।