06.11.2023
नीलगिरि तहर
प्रीलिम्स के लिए: नीलगिरि तहर, नीलगिरि तहर का वितरण, नीलगिरि तहर संरक्षण परियोजना
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खबरों में क्यों?
हाल ही में, तमिलनाडु राज्य सरकार ने नीलगिरि तहर परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसे जानवरों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए 2022 में शुरू किया गया था।
महत्वपूर्ण बिन्दु :
- नीलगिरि तहर तमिलनाडु का राज्य पशु है और राज्य शिकारी से संरक्षणवादी बने ईआरसी डेविडर को सम्मानित करने के लिए 7 अक्टूबर को नीलगिरि तहर दिवस के रूप में मनाता है।
- नीलगिरि तहर का उल्लेख सबसे पुराने तमिल महाकाव्य सिलापथिकारम में 'वरई आदु' के रूप में मिलता है।
नीलगिरि तहर के बारे में :
- नीलगिरि तहर, एक पहाड़ी बकरी जो पश्चिमी घाट के ऊंचे इलाकों में पाई जाती है।
- नीलगिरि तहर का वैज्ञानिक नाम नीलगिरीट्रैगस हाइलोक्रियस है।
- नीलगिरी तहर को स्थानीय रूप से "वराई आडु" के रूप में जाना जाता है।
- नीलगिरि तहर को माउंटेन मोनार्क के नाम से भी जाना जाता है।
- संगम काल के पांच महान महाकाव्यों में से दो, सिलप्पातिकरम और शिवकासिंदामणि में नीलगिरि तहर और उसके निवास स्थान का वर्णन मिलता है।
- 1600-1700 ईस्वी में त्रिकुदरसप्पा कविरायर द्वारा लिखित नाटक, कौरटालार कुरावनजी, एक गीत "कुरथी मलाई वलम कूरल" में भी नीलगिरि तहर का वर्णन किया गया है।
- नीलगिरि तहर, भारत में मौजूद 12 प्रजातियों में से दक्षिणी भारत का एकमात्र माउंटेन अनगुलेट (खुर वाले बड़े स्तनधारी) है।
- 2015 में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार इनकी जनसंख्या लगभग जंगलों में 3,122 है।
- यह एक पक्का पैर वाला (फिसलने की संभावना नहीं) अनगुलेट है जो दक्षिण पश्चिमी घाट के 1200 से 2600 मीटर की ऊंचाई पर खुले पर्वतीय घास के मैदानों में निवास करता है।
नीलगिरि तहर का वितरण :
- यह पश्चिमी घाट के लिए स्थानिक है लेकिन वर्तमान में इनकी बड़ी आबादी केवल नीलगिरी और अनामलाई में पाई जाती है।
- केरल का एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान नीलगिरि तहर की सबसे बड़ी आबादी का घर है।
- इनकी पलानी पहाड़ियाँ, श्रीविल्लीपुत्तूर, और मेघमलाई और अगस्तियार पर्वतमाला में कम आबादी पाई जाती है।
ख़तरा :
- निवास स्थान का नुकसान और कभी-कभी इसके मांस और त्वचा का शिकार।
संरक्षण की स्थिति :
- IUCN स्थिति - लुप्तप्राय
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 - अनुसूची।
नीलगिरि तहर संरक्षण परियोजना :
- तमिलनाडु सरकार ने नीलगिरि तहर के संरक्षण के लिए वर्ष 2022 में 25.14 करोड़ रुपये की लागत से एक परियोजना प्रारंभ की थी।
यह परियोजना 2022-2027 के दौरान तक लागू रहेगी।