08.12.2023
गरबा नृत्य
प्रारंभिक परीक्षा के लिए: गरबा नृत्य के बारे में, महत्वपूर्ण बिंदु, महत्व, भारत में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को सूची
मुख्य पेपर के लिए: अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के बारे में
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खबरों में क्यों:
हाल ही में यूनेस्को द्वारा 'गुजरात के गरबा नृत्य' को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है।
महत्वपूर्ण बिन्दु:
- बोत्सवाना में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सहेजने संबंधी 2003 की संधि के प्रावधानों के तहत गरबा को सूची में शामिल किया गया।
- नवरात्रि उत्सव के दौरान इसे सूची में शामिल करने के लिए नामांकित किया था।
- वर्ष 2023 में ही UNWTO ने गुजरात के कच्छ जिले के धोरडो गांव को बेस्ट टूरिज्म विलेज की सूची में शामिल किया था।
गरबा नृत्य के बारे में:
- यह पूरे गुजरात राज्य में किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक और भक्तिपूर्ण नृत्य है ।
- यह नवरात्रि के त्योहार के दौरान नौ दिनों तक मनाया जाता है ।
- यह त्योहार स्त्री ऊर्जा या शक्ति की पूजा के लिए समर्पित है।
- यह नृत्य कलश के चारों ओर होता है, जिसमें लौ जलती है। इसके साथ ही देवी मां अम्बा की एक तस्वीर होती है।
- इस स्त्री ऊर्जा की सांस्कृतिक, प्रदर्शनात्मक और दृश्य अभिव्यक्तियाँ गरबा नृत्य के माध्यम से व्यक्त की जाती हैं।
- गरबा का प्रदर्शनात्मक और दृश्य उत्सव घरों और मंदिर प्रांगणों, गांवों में सार्वजनिक स्थानों, शहरी चौराहों, सड़कों और बड़े खुले मैदानों में होता है। इस प्रकार गरबा एक सर्वव्यापी भागीदारी वाला सामुदायिक कार्यक्रम बन जाता है।
- गुजरात का गरबा नृत्य इस सूची में शामिल होने वाला भारत की 15वीं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है।
महत्व:
- एक धार्मिक अनुष्ठान होने के अलावा , गरबा सामाजिक-आर्थिक, लिंग और कठोर संप्रदाय संरचनाओं को कमजोर करके सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है।
- यह विविध और हाशिए पर रहने वाले समुदायों द्वारा समावेशी और सहभागी बना हुआ है , जिससे सामुदायिक बंधन मजबूत हो रहे हैं
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के बारे में:
- यूनेस्को आईसीएच एक शब्द है जो उन प्रथाओं, प्रतिनिधित्वों, अभिव्यक्तियों, ज्ञान, कौशल और सांस्कृतिक स्थानों को संदर्भित करता है जिन्हें किसी समुदाय, समूह या व्यक्ति की सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में मान्यता दी जाती है।
- यूनेस्को ने आईसीएच को "मानवता की सांस्कृतिक विविधता का मुख्य स्रोत और इसका रखरखाव, निरंतर रचनात्मकता की गारंटी" के रूप में परिभाषित किया है।
- इसे 2003 में यूनेस्को के आम सम्मेलन के 32वें सत्र में अपनाया गया था और तीस राज्यों द्वारा इसकी पुष्टि करने के बाद 2006 में लागू हुआ।
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के लिये दो महत्त्वपूर्ण सूचियाँ स्थापित की गई है।
- प्रतिनिधि सूची:आईसीएच की वैश्विक विविधता को प्रदर्शित करते हुए यह सूची इसके महत्त्व और विशेषता के बारे में जागरूकता बढ़ाती है।
- तत्काल सुरक्षा सूची: खतरे में पड़े आईसीएच की पहचान करते हुए यह सूची इसके अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिये तत्काल उपायों की मांग करती है।
भारत में यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची:
- वैदिक मंत्रोच्चारण की परंपरा -2008
- रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन- 2008
- कुटियाट्टम, संस्कृत रंगमंच - 2008
- राममन, गढ़वाल हिमालय, भारत का धार्मिक त्योहार और अनुष्ठान रंगमंच - 2009
- मुडियेट्टु, केरल का धार्मिक रंगमंच और नृत्य नाटिका -2010
- राजस्थान के कालबेलिया लोक गीत और नृत्य -2010
- छऊ नृत्य -2010
- लद्दाख का बौद्ध जप: ट्रांस-हिमालयी लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, भारत में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ - 2012
- मणिपुर का संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल बजाना और नृत्य - 2013
- जंडियाला गुरु, पंजाब, भारत के ठठेरों के बीच बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और तांबे का शिल्प - 2014
- योग - 2016
- नवरोज़ - 2016
- कुंभ मेला - 2017
- कोलकाता में दुर्गा पूजा - 2021
गुजरात के गरबा नृत्य - 2023