08.07.2025
डार्क वेब
प्रसंग:
केरल का एक 35 वर्षीय व्यक्ति हाल ही में डार्क वेब पर एक लेवल-4 विक्रेता के रूप में संचालन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उस पर आरोप है कि उसने एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म और क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन का उपयोग करते हुए मादक पदार्थों की बिक्री की।
डार्क वेब क्या है?
डार्क वेब इंटरनेट का एक छिपा हुआ हिस्सा है, जिसे सामान्य सर्च इंजन द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता। इसमें पहुंचने के लिए विशेष ब्राउज़रों की आवश्यकता होती है, जैसे कि टोर (The Onion Router), जो उपयोगकर्ताओं को गुमनामी और एन्क्रिप्टेड संचार की सुविधा देता है।
यह कैसे कार्य करता है?
- एक्सेस टूल: किसी विशेष ब्राउज़र को इंस्टॉल करना आवश्यक होता है।
- रूटिंग सिस्टम: उपयोगकर्ता का डाटा कई यादृच्छिक नोड्स के माध्यम से भेजा जाता है, प्रत्येक स्तर पर डाटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है—इसीलिए इसे “ऑनियन रूटिंग” कहा जाता है।
- वेब डोमेन: डार्क वेब साइट्स ".onion" डोमेन का उपयोग करती हैं, जो सामान्य ब्राउज़रों और सर्च इंजन पर दिखाई नहीं देतीं।
- विकेंद्रीकृत नेटवर्क: इसका संचालन किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नहीं किया जाता, जिससे निगरानी और नियंत्रण अत्यंत कठिन हो जाता है।
डार्क वेब की प्रमुख विशेषताएँ
- गोपनीयता और एन्क्रिप्शन:
उपयोगकर्ता की पहचान और ब्राउज़िंग गतिविधियां छिपी रहती हैं, जिससे विज़िटर और वेबसाइट ऑपरेटर दोनों की पहचान नहीं हो पाती।
- डिजिटल मार्केटप्लेस:
इसमें कानूनी और अवैध दोनों प्रकार के बाजार, फोरम, डेटा रिपॉजिटरी और व्हिसलब्लोअर प्लेटफॉर्म शामिल होते हैं।
- सेंसरशिप-प्रतिरोधी पहुंच:
यह उन क्षेत्रों में सेंसरशिप से मुक्त जानकारी तक पहुंच प्रदान करता है जहां सूचना पर प्रतिबंध होता है। पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और सूचनादाता इसका सुरक्षित संचार के लिए उपयोग करते हैं।
- साइबर अपराध का जोखिम:
डार्क वेब की गुमनामी इसे मादक पदार्थों, हथियारों, हैकिंग टूल्स और चुराए गए डेटा के अवैध व्यापार का अड्डा बना देती है। लेयर आधारित एन्क्रिप्शन के कारण सुरक्षा एजेंसियों के लिए इन्हें ट्रैक करना बेहद कठिन होता है।
चुनौतियाँ
- कानून प्रवर्तन की सीमाएँ:
डार्क वेब की जांच के लिए उन्नत साइबर फॉरेंसिक और अंतरराष्ट्रीय समन्वय की आवश्यकता होती है, जो कई एजेंसियों के पास नहीं है।
→ उदाहरण: एडिसन के मामले में, परत-दर-परत एन्क्रिप्शन और गुमनामी के कारण पहचान में देरी हुई।
- कानूनी अस्पष्टता:
वर्तमान कानून अक्सर डार्क वेब अपराधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करते और सीमा-पार अधिकार क्षेत्र को नहीं दर्शाते।
→ उदाहरण: कई मामलों में यह स्पष्ट नहीं होता कि मामला आईटी एक्ट के अंतर्गत आता है या एनडीपीएस एक्ट के तहत।
- क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग:
वर्चुअल करेंसी से किए गए लेनदेन बैंकिंग प्रणाली से बाहर होते हैं, जिससे वित्तीय निगरानी कठिन हो जाती है।
→ उदाहरण: ड्रग्स और हथियारों की खरीद के लिए मोनेरो या बिटकॉइन का उपयोग किया जाता है, जिन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है।
- जन जागरूकता की कमी:
उपयोगकर्ताओं की सीमित जानकारी, विशेष रूप से युवाओं को, डार्क वेब की धोखाधड़ीपूर्ण साइटों और खतरनाक नेटवर्कों का शिकार बना सकती है।
आगे का मार्ग
- विशेषीकृत साइबर इकाइयाँ:
प्रशिक्षित कर्मियों और वैश्विक सहयोग के साथ समर्पित डार्क वेब निगरानी सेल स्थापित की जाएं।
→ उदाहरण: इंटरपोल की डार्कनेट टास्क फोर्स जैसी साझेदारियों से जांच क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है।
- क्रिप्टोकरेंसी पर कड़ा नियंत्रण:
केवाईसी नियम लागू कर और ब्लॉकचेन विश्लेषण द्वारा अवैध लेनदेन की निगरानी की जाए।
→ उदाहरण: Chainalysis जैसी कंपनियाँ सरकारों को साइबर अपराध में क्रिप्टो ट्रेल्स ट्रैक करने में सहायता करती हैं।
- कानूनी सुधार:
साइबर कानूनों को अद्यतन कर डार्क वेब गतिविधियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए और दंड निर्धारित किया जाए।
→ उदाहरण: आईटी एक्ट और एनडीपीएस एक्ट में संशोधन कर प्रवर्तन की खामियों को दूर किया जा सकता है।
- डिजिटल साक्षरता अभियान:
युवाओं और छात्रों को डार्क वेब के खतरों और कानूनी परिणामों के बारे में शिक्षित किया जाए।
→ उदाहरण: स्कूल और कॉलेज स्तर पर साइबर सुरक्षा जागरूकता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
निष्कर्ष:
डार्क वेब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। इसका प्रभावी मुकाबला समन्वित पुलिसिंग, अद्यतन कानूनों और जनजागरूकता के माध्यम से ही संभव है, जिससे एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।