12.02.2024
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
प्रारंभिक परीक्षा के लिए: भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में, प्रस्तावना में चार सामग्रियों या घटकों का पता चलता है, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्याख्या |
खबरों में क्यों?
भारत का सर्वोच्च न्यायालय हाल ही में इस बात पर विचार करने के लिए सहमत हुआ कि क्या भारतीय संविधान की प्रस्तावना से "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्दों को हटाया जा सकता है।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में:
प्रस्तावना में चार सामग्रियों या घटकों का पता चलता है:
○संविधान के प्राधिकार का स्रोत: प्रस्तावना से संकेत मिलता है कि संविधान के प्राधिकार का स्रोत भारत की जनता में निहित है।
○भारतीय राज्य की प्रकृति: यह भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है।
○संविधान के उद्देश्य: प्रस्तावना में बताए गए उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता को सुरक्षित करना और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भाईचारे को बढ़ावा देना है।
○संविधान को अपनाने की तिथि: यह 26 नवंबर, 1949 को तारीख के रूप में निर्धारित करता है।
संशोधन: 1976 के 42वें संशोधन द्वारा, "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्द जोड़े गए; प्रस्तावना में अब "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" लिखा है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्याख्या:
स्रोत:हिन्दुस्तान टाइम्स