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भारत में असमानता

07.07.2025

भारत में असमानता

 

संदर्भ:

विश्व बैंक 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को मध्यम रूप से कम असमानता वाले देश के रूप में स्थान दिया गया है, जो गरीबी में कमी और समावेशी विकास में स्पष्ट प्रगति का संकेत है।

परिचय:

  • विश्व बैंक की रिपोर्ट: वसंत 2025 गरीबी और इक्विटी संक्षिप्त विवरण (Spring 2025 Poverty and Equity Brief) का हिस्सा।
  • गिनी इंडेक्स स्कोर: भारत का स्कोर 25.5 है (मध्यम रूप से कम असमानता)।
  • वैश्विक रैंकिंग: इस इंडेक्स के अनुसार चौथा सबसे अधिक समान देश।
  • वैश्विक तुलना: चीन, अमेरिका और ब्राजील से बेहतर स्कोर।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • गरीबी में कमी: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी में गिरावट देखी गई।
  • भारत का गिनी इंडेक्स 28.8 (2011) से सुधरकर 25.5 (2023) हो गया, जो अधिक समान आय वितरण को दर्शाता है।
  • सरकारी योजनाएँ: पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना जैसे कार्यक्रमों ने गरीब परिवारों का समर्थन किया।
  • वित्तीय समावेशन: जन धन योजना ने बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच बढ़ाई।
  • 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए (PMJDY)।
  • सामाजिक सुरक्षा जाल: मुफ्त खाद्यान्न योजनाओं ने पोषण सुरक्षा में सुधार किया।
  • स्वास्थ्य पहल: आयुष्मान भारत ने गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच का विस्तार किया।
  • रोजगार सहायता: मनरेगा जैसी योजनाओं ने ग्रामीण रोजगार के अवसर प्रदान किए (₹5 लाख के स्वास्थ्य कवर के लिए 41 करोड़ से अधिक कार्ड जारी किए गए)।

चुनौतियाँ:

  • डेटा सीमाएँ: उपभोग-आधारित गिनी आय-आधारित विषमताओं को छोड़ सकता है।
  • शहरी-ग्रामीण विभाजन: बुनियादी ढाँचे और अवसरों में अभी भी बड़ा अंतर है।
  • लैंगिक अंतर: कई क्षेत्रों में महिला कार्यबल भागीदारी कम बनी हुई है।
  • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था: 90% से अधिक श्रमिक अभी भी अनौपचारिक रोजगार में हैं।

आगे का रास्ता:

  • डेटा गुणवत्ता में सुधार: NSS और PLFS जैसे मिश्रित-तरीके वाले सर्वेक्षणों को अपनाना।
  • आय के अंतर को कम करना: जीवन यापन के लिए न्यूनतम मजदूरी कानूनों और कर सुधारों को लागू करना।
  • समावेशन पर ध्यान केंद्रित करें: ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण का विस्तार करें।
  • औपचारिक नौकरियों को बढ़ावा दें: श्रम-प्रधान उद्योगों और डिजिटल सेवाओं को प्रोत्साहित करें।

निष्कर्ष:

भारत का सुधरा हुआ गिनी स्कोर गरीबी उन्मूलन में हुए लाभ को दर्शाता है, फिर भी छिपी हुई असमानताएँ बनी हुई हैं। वास्तविक समानता के लिए संतुलित नीतियां, गुणवत्तापूर्ण डेटा और समावेशी रोजगार वृद्धि आवश्यक हैं।

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