02.07.2025
अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना को मंजूरी दी है, जिसमें ₹1 लाख करोड़ की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
• RDI योजना का उद्देश्य अनुसंधान, विकास और नवाचार में निजी निवेश को बढ़ावा देना है।
• यह निजी क्षेत्र की अनुसंधान परियोजनाओं को दीर्घकालिक, कम या शून्य ब्याज दर पर ऋण प्रदान करती है।
• यह योजना आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए उदीयमान और रणनीतिक क्षेत्रों पर केंद्रित है।
• एक द्विस्तरीय निधि संरचना के माध्यम से इस योजना के तहत धन का प्रबंधन और वितरण किया जाएगा।
• यह योजना निजी नवाचार को समर्थन देने के लिए दो-स्तरीय वित्त पोषण प्रणाली अपनाएगी।
• अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF) के तहत एक विशेष प्रयोजन निधि (SPF) बनाई जाएगी, जो मुख्य पूंजी को प्रबंधित करेगी।
• SPF से प्राप्त धनराशि द्वितीय स्तर के निधि प्रबंधकों को वितरित की जाएगी।
• ये प्रबंधक दीर्घकालिक सहायता कम-ब्याज या ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में प्रदान करेंगे।
• इक्विटी निवेश का भी उपयोग किया जा सकता है, विशेष रूप से स्टार्टअप्स और उभरते उपक्रमों के लिए।
• डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स या उच्च प्रौद्योगिकी नवाचार मंचों को वित्तीय समर्थन दिया जा सकता है।
• यह योजना निजी अनुसंधान परियोजनाओं में वित्त पोषण की कमी को दूर करने का प्रयास करती है।
→ विशेष रूप से डीप-टेक और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में।
• यह उच्च तकनीकी तत्परता स्तर (TRL) वाली परियोजनाओं को सहायता देगी।
→ जो व्यावसायीकरण के करीब हैं उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।
• स्टार्टअप्स के लिए डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना की जाएगी।
→ रणनीतिक तकनीकों में स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
• ऋण या इक्विटी के रूप में लचीले वित्तीय मॉडल को अपनाया जाएगा।
→ जिससे शुरुआती और विकासशील दोनों प्रकार की कंपनियों को मदद मिल सकेगी।
• योजना की रणनीतिक दिशा का निर्धारण अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF) द्वारा किया जाएगा।
→ प्रधानमंत्री इस संस्था के अध्यक्ष होंगे, जिससे शीर्ष स्तर की निगरानी सुनिश्चित होगी।
• योजना के कार्यान्वयन का नोडल विभाग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) होगा।
→ नीति निष्पादन और समन्वय की जिम्मेदारी निभाएगा।
• भारत में निजी क्षेत्र का अनुसंधान निवेश वैश्विक मानकों की तुलना में बहुत कम है।
→ उदाहरण: भारतीय निजी कंपनियां GDP का 0.3% से भी कम R&D में लगाती हैं।
• जोखिम अधिक और लाभ मिलने में समय लगता है, जिससे निवेशक हतोत्साहित होते हैं।
→ उदाहरण: डीप-टेक परियोजनाओं को लाभदायक बनने में वर्षों लग जाते हैं।
• स्टार्टअप्स और लघु कंपनियों के पास पूंजी तक सीमित पहुंच है।
→ उदाहरण: पारंपरिक बैंक ऋण के लिए इनके पास पर्याप्त गिरवी नहीं होती।
• कई एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी कार्यान्वयन में देरी कर सकती है।
→ उदाहरण: ANRF, DST और निधि प्रबंधकों की भूमिकाओं में ओवरलैपिंग हो सकती है।
• स्टार्टअप्स को वित्तीय अवसरों की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं।
→ उदाहरण: राज्य स्तर पर कार्यशालाएं और वेबिनार आयोजित किए जाएं।
• द्वितीय-स्तरीय निधि प्रबंधकों का पारदर्शी चयन और समय पर फंड जारी किया जाए।
→ उदाहरण: परियोजनाओं के चयन के लिए स्वतंत्र समीक्षा समितियां गठित हों।
• प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी को बढ़ावा दें।
→ उदाहरण: निजी कंपनियों को IIT या CSIR लैब के साथ सहयोग के लिए प्रेरित करें।
• आयात पर निर्भरता कम करने हेतु स्थानीय तकनीकों का विकास करें।
→ उदाहरण: स्वदेशी सेमीकंडक्टर या बैटरी तकनीक को प्राथमिकता दें।
RDI योजना भारत को एक वैश्विक नवाचार केंद्र बनाने की दिशा में परिवर्तनकारी कदम है। यदि इसका सुचारु रूप से क्रियान्वयन किया गया, तो यह वित्तीय अंतर को पाट सकती है और उच्च-प्रभाव वाली तकनीकी परियोजनाओं में निजी भागीदारी को सशक्त बना सकती है।