भारत-चीन संबंध: नत्थी वीजा

भारत-चीन संबंध: नत्थी वीजा

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2

(अंतरराष्ट्रीय संबंध)

02 अगस्त,2023  

संदर्भ:

  • अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को एक बार फिर नत्थी वीजा दिए जाने पर भारत और चीन के बीच विवाद हुआ है। दरअसल, चीन के चेंगडू में विश्व विश्वविद्यालय खेल शुरू हो चुके हैं। इन खेलों में वुशु (मार्शल आर्ट्स) प्रतियोगिता में भारत को भी हिस्सा लेना था। इसके लिए अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ियों को भारत भेज रहा था, जिनको चीन ने नत्थी वीजा जारी किए। इसके बाद भारत ने आपत्ति जताते हुए वुशु प्रतियोगिता में किसी भी खिलाड़ी को नहीं भेजने का फैसला किया। अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों के अलावा पांच अन्य खिलाड़ियों, एक कोच और दो सहायकों को भी चेंगडू ना जाने के आदेश दे दिए गए। विदेश मंत्रालय ने नत्थी वीजा देने के चीन के फैसले को अस्वीकार्य बताया और इस मामले में सरकार ने भी चीन सरकार का कड़ा विरोध किया है।

क्या होता है नत्थी वीजा:

  • जब पासपोर्ट पर वीजा का ठप्पा लगाने की जगह एक अलग कागज लगा कर उस पर वीजा लगाया जाता है, तो उसे नत्थी वीजा कहते हैं। इस तरह के वीजा को अमूमन स्टेपल के जरिए पासपोर्ट से जोड़ दिया जाता है। दरअसल, चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को नत्थी वीजा देना बेजिंग द्वारा अरुणाचल को भारत का हिस्सा ना मानने की नीति का हिस्सा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है और मानता है कि इस वजह से वहां के लोगों को चीन जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं है। साथ ही, चीन की नीति यह भी कहती है कि अरुणाचलवासी आधिकारिक रूप से नागरिक भारत के हैं, इसलिए उन्हें नत्थी वीजा दिया जाना जरूरी है। वापस लौटने पर नत्थी वीजा को फाड़ दिया जाता है।
  • इस तरह पासपोर्ट पर कोई निशान नहीं होता, जिससे इस बात का सबूत मिल सके कि व्यक्ति को उस देश का वीजा दिया गया था। चीन अगर आधिकारिक रूप से अरुणाचल के लोगों को वीजा दे देगा तो उसे डर है कि इसे इस बात का सबूत माना जाएगा कि उसने अरुणाचल को भारत का हिस्सा मान लिया है। बेजिंग ने इस तरह के नत्थी वीजा कई बार जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को भी दिए हैं।
  • यह पहली बार नहीं है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के भारतीय नागरिकों को नत्थी वीजा जारी किया है। अतीत में अरुणाचल प्रदेश के एथलीटों को 2011 एशियाई कराटे चैंपियनशिप और 2011 युवा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए भी चीन में वीजा देने से मना कर दिया गया था। चीन सरकार ने 2009 में अरुणाचल प्रदेश के भारतीय नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करना शुरू किया।

नाजुक मोड़ पर संबंध:

  • चेंगडू खेलों को लेकर यह घटना ऐसे समय पर हुई है, जब दोनों देशों के बीच रिश्तों को स्थिर करने के प्रयासों को रेखांकित किया गया है। विदेश मंत्रालय ने 27 जुलाई को बताया कि 2022 इंडोनेशिया के बाली में हुई जी20 की शीर्ष बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों को स्थिर करने की जरूरत पर चर्चा की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक दूसरे से बात की थी। इससे पहले 26 जुलाई 2023 को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि बाली में दोनों नेता द्विपक्षीय रिश्तों को स्थिर करने को लेकर अहम सहमति पर पहुंचे थे।
  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ने हमेशा दृढ़तापूर्वक यही कहा है कि पूरे मुद्दे के समाधान के लिए जरूरी है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर में स्थिति का समाधान हो और सीमावर्ती इलाकों में शांति की बहाली हो। भारत सरकार पूर्वी लद्दाख को पश्चिमी सेक्टर कहती है, जहां कई स्थानों पर जून 2020 से लेकर अभी तक दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सामने तैनात हैं। हाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल चीन के विदेश मंत्री वांग यी से दक्षिण अफ्रीका में मिले थे।

चीन का दावा:

  • चीन अरुणाचल प्रदेश में 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर दावा करता है। भारत का मानना है कि चीन ने पश्चिम में अक्साई चिन के 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताता है। दोनों देशों के बीच 3,500 किलोमीटर (2,174 मील) लंबी सीमा है। 1912 तक तिब्बत और भारत के बीच कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं खींची गई थी।

जमीनी हकीकत:

  • भारत- चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। यह सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। चीन सीमा तीन सेक्टर में बंटी हुई है- पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मध्य सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश। दोनों देशों के बीच अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है। कई क्षेत्रों के बारे में मतभेद हैं। भारत का अक्साई चिन फिलहाल चीन के नियंत्रण में है। 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया था। पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है। चीन कहता है कि ये दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है।

आगे की राह:

  • वैध भारतीय पासपोर्ट रखने वाले भारतीय नागरिकों के वीजा को लेकर स्थानीयता या रंग भेद के आधार पर कोई भेदभाव या विशेषता सूचक व्यवहार नहीं होना चाहिए। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न राज्य है। चीन के इस रवैये का कड़ा विरोध किया जाना चाहिए।
  • अपने खिलाड़ियों और चीनी वीजा चाहने वाले हर दूसरे अरुणाचलवासी को निराश करने की बजाय, हमें तिब्बत से भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने वाले किसी भी व्यक्ति को खुद से नत्थी वीजा जारी करना शुरू कर देना चाहिए। हमें यह भी कहना चाहिए कि जब तक तिब्बत और भारत के बीच विवादित सीमा का समाधान नहीं हो जाता, हम ऐसा करना जारी रखेंगे।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

नत्थी वीजा क्या है? नत्थी वीजा के मामले में भारत-चीन संबंधों में विवाद उत्पन्न हुआ है विवेचना कीजिए